“खाओ मेरी कसम ना शराब को हाथ लगाओगे ना किसी लड़की के चक्कर में पड़ोगे जब तक तुम्हारी पढ़ाई पूरी ना होगी और मुझसे कुछ भी ना छिपाओगे” अपूर्व को बार बार अपनी मां की सौगंध याद आ रही थी, जब वो नाशिक से पुणे पहुंचा था इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करने, ग्रेजुएशन तक तो खूब कसम निभाई लेकिन जैसे ही वो पोस्टग्रेजुएशन तक पहुंचा उसके मिज़ाज बदलने लगे, हालांकि उसने शराब को हाथ तक नहीं लगाया, वो खुद एक रुढ़िवादी परिवार से था लेकिन कहते है कि जैसा देश वैसा भेष, उसे भी वो आजादी भाने लगी जो उसे अपने सयुंक्त परिवार में नहीं मिल पाई उसके परिवार के लोग फार्मेसी से जुड़ा व्यवसाय करते थे दादा दादी, चाचा चाची सब लोग मिलजुलकर रहते थे, ऐसे में सबके आने जाने का वक्त भी तय था अगर कोई फिल्म भी देखनी हो तो पूरा परिवार ही साथ जाता अपूर्व की खुद अपनी बहनों को रोकने टोकने की आदत थी ऐसे कपड़े पहनो, उस लड़के से बात मत करो या फिर जल्दी घर आओ, लेकिन अब जो पाबंदियां उसने अपनी बहनों और खुद पर लगा रखी वो उसे बोझ सी लगने लगी।
अपूर्व अपनी मां की तरह एकदम गोरा चिट्टा और मध्यम कद काठी का लड़का था जो कि आकर्षक लगता था, एक दिन उसकी क्लॉस में एक लड़की का आना हुआ, समृद्धी नाम की लड़की, उसका कद करीब अपूर्व के जितना ही था यानि 5 फीट 7 इंच, गेहूंआ रंग और बेहद तीखे नैन नक्श, साथ ही साथ उसका ड्रेसिस सेंस भी काफी अच्छा था अक्सर शार्ट स्कर्ट पहनाना ही पसंद था जो उसकी छरहरी काया पर जचंती भी खूब थी, क्लॉस में पढ़ने वाले बहुत सारे लड़के उसके पीछे पड़े थे साथ ही उसे मॉडलिंग और फ़िल्मों में किस्मत आजमाने को कहते भी थे लेकिन वो हंसकर टाल जाती थी। अपूर्व को भी वो बहुत अच्छी लगने लगी और वो उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने की सोचने लगा साथ ही उसके दिल में ख़्याल आया कि क्या वो उसे अपने लायक समझेगी?
चाहे कितनी ही बड़ी आपदा क्यों ना आ जाए अपूर्व कॉलेज मिस करना बिल्कुल पसंद नहीं करता था यही उसके अच्छे एकेडमिक रिकार्ड का राज भी था, एक दिन इतनी तेज बारिश हुई कि घुटनों तक पानी भर आया उस दिन क्लॉस में सिर्फ समृद्धी ही आई, थोड़ी देर में अपूर्व भी आ गया, समृद्धी सफेद रंग की कमीज़ और ब्लू जींस पहनकर आई थी जो बारिश की वजह से थोड़ा भीग गई थी हालांकि वो रेनकोट पहनकर आई थी फिर भी उसके घुंघराले बाल भीग गए थे और काजल थोड़ा फैल गया था, फिर भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।
आज सिर्फ अपूर्व, समृद्धि और उनकी प्रोफेसर थी क्लॉस में, जैसे ही क्लॉस खत्म हुई बारिश भी थम गई, तब अपूर्व ने जरा झिझकते हुए समृद्धी से कहा “सुनिए ऐसा लग रहा है कि आप ठिठुर रही है क्या आप मेरे साथ सामने वाली दुकान पर चाय पीने चलेगी, समृद्धी ने काफी सोचते हुए जवाब दिया अच्छा ठीक है थोड़ी देर बाद दोनों ने साथ मिलकर चाय पी, बातों ही बातों में दोनों में गहरी दोस्ती हो गई समृद्धि ने कहा कि वो औरंगाबाद से आई है उसके माता पिता की वो इकलौती संतान है, उसके पिता दुबई में इंजिनियर है, वो और उसकी मां हाल ही में वहां से औरंगाबाद शिफ़्ट हुई है और उसके पिता उनसे मिलने आते रहते है। काफी रिजर्व सी दिखने वाली समृद्धि उससे आज काफी घुल मिल गई उसे काफी अकेलापन महसूस हो रहा था पुणे में, तब अपूर्व ने कहा कि वो चिंता ना करे जब भी उसे कोई परेशानी हो तो उसे फोन करे। इस तरह दोनों की दोस्ती काफी बढ़ गई एक दिन समृद्धी ने अपूर्व से कहा क्यों ना वो दोनों एक साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे तो दोनों का अकेलापन भी दूर हो जाएगा साथ ही खर्चे भी बांट लिए जाएंगे।
तब अपूर्व को लगा कि क्या उसका मकान मालिक इसके लिए तैयार होगा तब उसने किसी तरह उन्हें ये कहकर मना लिया कि वो उसकी मंगेतर है बस कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली है और ऐसा वो खुद भी चाहता था कि उसकी पढ़ाई खत्म होते ही वो उसे अपने घर के लोगो से उसे मिलवाएगा और आगे बात बढ़ाएगा। समृद्धी के आते ही अपूर्व के खर्चे बढ़ने लगे तब उसने अपने घर के लोगों से ये कहकर अतिरिक्त पैसा मांगना शुरु कर दिया कि वो कोई ऑनलाईन कोर्स कर रहा है, एक दिन समृद्धि ने अपूर्व से एक लाख रुपए की मांग की, कहा कि उसे किसी ज़रुरी काम से मुंबई जाना है अगर वो उससे सचमुच प्यार करता है तो वो मना नहीं करेगा और वो जल्द ही उसके पैसे लौटा देगी, अपूर्व को लगा अगर फिर उसने घर के लोगों से पैसे मंगाए तो उन्हें कहीं शक ना हो जाए तब उसके दिल में ख्याल आया क्यों ना जो सोने की चेन और अंगूठी उसने पहन रखी थी उसे बेच दिया जाए तो शायद काम बन जाए आखिर वो जिसे प्यार करता है उसके लिए इतना तो करना ही चाहिए, और आखिरकार पैसों का इंतज़ाम हो गया, समृद्धी मुंबई की तरफ निकल पड़ी उसके ख्वाब काफी बड़े थे, वो केवल अपनी पढ़ाई और नौकरी और शादी तक ही सीमित नहीं रहना चाहती थी।
उसके एक दोस्त ने उसका नंबर और फोटो बिना पूछे ही टीवी शो वालों को दे दिया, जहां ऑडिशन में उसका सिलेक्शन भी हो गया और आखिरकार उसे चुन लिया गया।
7 दिन बाद वो मुंबई से लौटी तो अपूर्व के चेहरे की रौनक देखते ही बनती थी, समृद्धि ने कहा कि वो अब अपनी पढ़ाई नहीं करना चाहती क्योंकि उसे अपनी मंजिल मिल गई है, अपूर्व थोड़ा हैरान हुआ लेकिन उसने उसकी खुशी में ही अपनी खुशी समझी।
कुछ दिन बाद समृद्धी मुंबई में काम करने लगी, अब वो सिर्फ हफ्ते में एक बार, फिर महीने में एक बार अपूर्व को कॉल करने लगी, अपूर्व उसके बदले रवैये को लेकर थोड़ा परेशान रहने लगा तब उसने उससे मुंबई जाकर मिलने का फैसला लिया, उसने पुणे से मुंबई की बस पकड़ी और उसके फ्लैट पर मिलने पहुंचा तो देखा वो पांच और लड़कियों उसके साथ रह रही थी वहां का किराया काफी ज्यादा था तो शेयरिंग के सिवा कोई और चारा नहीं था, अपूर्व ने कहा कि वो आज उसके साथ पास वाले पार्क में घूमने जाना चाहता है तब समृद्धि ने कहा ठीक है दोनों काफी देर टहलने लगे, तब अपूर्व ने कहा कि वो उसे अपने परिवार से मिलवाना चाहता है, तो समृद्धि ने कहा किसलिए ? अपूर्व ने कहा “शादी के लिए” तब वो चौंक गई और कहा “ देखो अपूर्व कॉलेज में मुझे कई लड़के चाहते थे लेकिन तुम्हारे दिल की सच्चाई देखकर मैंने तुम्हें चुना लेकिन अभी मैं सिर्फ 23 साल की हूं, अपने जीवन में कुछ बनना चाहती हूं और तुम्हें ये मालूम ही होगा कि शादी और घर गृहस्थी के चक्कर में पड़कर मेरा करियर बर्बाद हो जाएगा। तुम भी सेटल नहीं हुए हो मैं तुम्हारे माता पिता पर तो निर्भर नहीं रह सकती हूं, हो सके तो मुझे भूल जाओ ऐसा समझो कि तुम्हारा और मेरा साथ बस इतना ही था”
समृद्धी की बात सुनकर अपूर्व नाराज हो गया और उसकी आवाज तेज हो गई वो कहने लगा “ मैनें तुम्हारे लिए अपना सब कुछ खो दिया जितना बन पड़ा किया”
समृद्धी ने कहा “ये अपने तेवर अपने माता पिता की ढूंढी हुई लड़की को दिखाना मेरी भी अपनी इज्जत है तुम ही मेरे लायक नहीं हो”
अपूर्व गुस्से का घूंट पीकर बिना कुछ कहे वहां से चला गया और पुणे जाने वाली बस के लिए बस स्टैंड पर इंतज़ार करने लगा, आसूं भी नहीं बहा सकता था आदमी जो ठहरा फिर उसके मन में ख्याल आया कि गलती तो उसकी भी थी जो बिना सोचे समझे भविष्य के ख़्वाब बुनने लगा और अंधा विश्वास किया। अपनी बहनों के लिए तो उसने लक्ष्मण रेखा खींच दी थी लेकिन अपनी मां की दी गई सौंगध को तोड़ने से पहले एक बार भी नहीं सोचा।
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