टूटी मेरी निंद्रा, तो क्या देखा।
सामने अपने कान्हा को देखा।
बोले मुझसे क्यों दुखी हैं।
जो छूट गए, वो बेगाने थे।
जो पास है, वो अनजाने है।
क्या रोना बेगाने, अनजानों के लिए।
इस जग में, मैं ही हूं बस तेरा अपना।
2 सितम्बर 2024
टूटी मेरी निंद्रा, तो क्या देखा।
सामने अपने कान्हा को देखा।
बोले मुझसे क्यों दुखी हैं।
जो छूट गए, वो बेगाने थे।
जो पास है, वो अनजाने है।
क्या रोना बेगाने, अनजानों के लिए।
इस जग में, मैं ही हूं बस तेरा अपना।
10 फ़ॉलोअर्स
मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D