तू खुश है, क्योंकि मैं उदास हूं।
तू जीत गया है, और मैं हताश हूं।
तेरी झोली भरी है,
और मेरी अभी भी खाली है।
तू ये न भूल, तेरे दिए जख्मों को,
भरने का दम रखती हूं।
मैं आज भी उठकर,
तूझसे लड़ने का दम रखती हूं।
31 अगस्त 2024
तू खुश है, क्योंकि मैं उदास हूं।
तू जीत गया है, और मैं हताश हूं।
तेरी झोली भरी है,
और मेरी अभी भी खाली है।
तू ये न भूल, तेरे दिए जख्मों को,
भरने का दम रखती हूं।
मैं आज भी उठकर,
तूझसे लड़ने का दम रखती हूं।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D
बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏 पढ़ें होम पेज पर मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां और सभी भागों पर अपना लाइक देकर आभारी करें 😊🙏
31 अगस्त 2024