मेरी मईया तू क्यों बिछड़ी,
मैं तेरे बाग की कली थी।
मेरी मईया तू क्यों रूठी,
मैं तुझको देख के खिली थी।
तेरे आंगन में बीता बचपन,
तू ही मेरी सखी सहेली थी।
हवाओं के गर्म झोंके,
मैं तेरे आंचल में छुपी थी।
मेरी मईया तू क्यों बिछड़ी,
मैं तेरे बाग की कली थी।