समय ख़त्म हो जाता है,
ख्वाहिशे ख़त्म नहीं होती।
जिंदगी ख़त्म हो जाती है,
अजमाइशे ख़त्म नहीं होती।
रिश्तो की इस भीड़ में,
फरमाइशें ख़त्म नहीं होती।
हम भी चलें कुछ करने के लिए,
पर जिंदगी की रियायते ख़त्म नहीं होती।
20 अगस्त 2024
समय ख़त्म हो जाता है,
ख्वाहिशे ख़त्म नहीं होती।
जिंदगी ख़त्म हो जाती है,
अजमाइशे ख़त्म नहीं होती।
रिश्तो की इस भीड़ में,
फरमाइशें ख़त्म नहीं होती।
हम भी चलें कुछ करने के लिए,
पर जिंदगी की रियायते ख़त्म नहीं होती।
10 फ़ॉलोअर्स
मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D