वो कॉलेज के दिन,
वो बेपरवाह सा मस्त स्वभाव।
कभी बंक मारके सर्दी में बाहर धूप सेंकना,
कभी सहेलियों संग इठलाना, बलखाना।
कभी परिणाम आने पर रोना, कभी खुश हो जाना,
कभी मस्ती में गुनगुनाना, कभी शांत हो जाना।
सपनो की दुनियां में नए पंख लगाना,
काश लौट आए वो कॉलेज के दिन।
हम जी ले फिर से वो पल,
वो कॉलेज की मस्ती, वो कॉलेज के रंग।