मैं चली, मैं चली।
सबने कहा, तू थक जाएगी,
गिर जाएगी, ऐसे ही मर जाएगी।
फिर भी मैं चली, मैं चली।
उम्मीदों के पंख लगाए,
आशाओं की आस जगाए।
मैं चली, मैं चली।
सबने कहा, पंख तो एक दिन कट जाएंगे,
आशाएं तो मिट जाएंगी।
फिर भी मैं चली, मैं चली।
उम्मीदों को दिशा देने,
आशाओं की फिज़ा लेने।
मै चली, मैं चली।
मैं चली, मैं चली।