डायरी के पन्नो में,
इतिहास छिपा रहता है।
कोई नही जानता,
वो राज़ छिपा रहता है।
सिमट जाते है,
सब दर्द, आंसू, खुशियां उसमे,
हर एक पल का हिसाब लिखा रहता है
कभी सहेली, कभी हमराज़,
कभी राजदार बन जाती है, ये डायरी।
खामोशियों के सफर में,
आवाज़ बन जाती है, ये डायरी।
कभी सुर, ताल, कभी साज,
बन जाती हैं, ये डायरी।
कभी तो जिंदगी का ख़्वाब,
बन जाती है ये डायरी।