मन के अन्दर मेरे,
कुछ ख़्वाब बसे थे,
जो अब टूट गए हैं,
ओर तुम कहते हो कि,
अफ़सोस भी ना मनाए।
9 सितम्बर 2024
मन के अन्दर मेरे,
कुछ ख़्वाब बसे थे,
जो अब टूट गए हैं,
ओर तुम कहते हो कि,
अफ़सोस भी ना मनाए।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D