आंख बंद थी, फिर भी आंसू बह गए।
जैसे चुपके से कुछ, कह गए।
वो ज़ख्म तो सबको दिख गए, जो बाहरी थे।
पर अंदर के जख्मों को, कौन सहलाए।
आंखो ने चुपके से दर्द सहा,
पर ये आंसू फिर भी निकल आए।
21 अगस्त 2024
आंख बंद थी, फिर भी आंसू बह गए।
जैसे चुपके से कुछ, कह गए।
वो ज़ख्म तो सबको दिख गए, जो बाहरी थे।
पर अंदर के जख्मों को, कौन सहलाए।
आंखो ने चुपके से दर्द सहा,
पर ये आंसू फिर भी निकल आए।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D
वाह निशब्द करती हुई आपकी रचनाएं हैं बहुत खूबसूरत लिखती हैं आप बहन 😊 मैं यू ट्यूब पर भी हूं यू ट्यूब पर मेरे चैनल का नाम --नूतन काव्य प्रभा है कभी आइएगा सब्सक्राइब कर वीडियो पसंद आएं तो लाइक कमेंट करिएगा 🙏😊🙏
2 सितम्बर 2024
धन्यवाद आपका चैनल भी मैने सब्सक्राइब कर लिया है। समय मिलते ही अवश्य देखूंगी।