चांद कितना दूर है हमसे,
फिर भी पास है लगता।
छू नहीं सकते,
फ़िर भी एहसास है देता।
सारी दुनिया को देखता,
फिर भी चुप है रहता।
सब मे एक समान,
फिर भी है प्यारा।
रात में जो करता है,
सारे जग में उजियारा।
26 अगस्त 2024
चांद कितना दूर है हमसे,
फिर भी पास है लगता।
छू नहीं सकते,
फ़िर भी एहसास है देता।
सारी दुनिया को देखता,
फिर भी चुप है रहता।
सब मे एक समान,
फिर भी है प्यारा।
रात में जो करता है,
सारे जग में उजियारा।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D