मैंने सफेद ही रखा अपनी चादर को,
दाग ना कभी लगने दिया।
तेरी बेवफाई का दाग ऐसा लगा,
की छूटता ही नहीं है।
तेरे जुल्मों सितम का आलम,
टूटता ही नहीं है।
हम तो अपना सब कुछ हार गए,
तेरे कारण।
पर तेरे अंदर इस बात का अहसास,
पनपता ही नहीं है।