मुझे पुकारती हुई पुकार खो गई कहीँ... प्रलम्बिता अंगार रेख-सा खिंचा अपार चर्म वक्ष प्राण का पुकार खो गई कहीं बिखेर अस्थि के समूह जीवनानुभूति की गभीर भूमि में। अपुष्प-पत्र, वक्र-श्याम झाड़-झंखड़ों
सभी जीवों की एकता: करुणा और बुद्धिमानी की कहानी एक समय की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक युवक रहता था। राम अपने तेज दिमाग और तेज बुद्धि के लिए पूरे गांव में जाने जाते थे, और उनसे अ
"द हीलर ऑफ़ द फ़ॉरेस्ट: ए टेल ऑफ़ करेज एंड मैजिक" बहुत समय पहले, यूरोप के घने जंगलों में बसे एक छोटे से गाँव में अन्ना नाम की एक महिला रहती थी। वह एक मरहम लगाने वाली और दाई थी, जो अपनी बुद्धि और दयाल
"द हीलर ऑफ़ द फ़ॉरेस्ट: ए टेल ऑफ़ करेज एंड मैजिक" बहुत समय पहले, यूरोप के घने जंगलों में बसे एक छोटे से गाँव में अन्ना नाम की एक महिला रहती थी। वह एक मरहम लगाने वाली और दाई थी, जो अपनी बुद्धि और दयाल
"द डायमंड हीस्ट: ए मुंबई मिस्ट्री" मुंबई, भारत की हलचल भरी सड़कों पर एक अपराध किया गया था। प्रसिद्ध संग्रहालय से एक बेशकीमती हीरा चोरी हो गया था, और पुलिस चकित थी। हीरा लाखों रुपये का था, और यह संग
"द किंग ऑफ़ द फॉरेस्ट: गार्जियन ऑफ़ द वाइल्ड" एक बार की बात है, दूर एक गहरे, अंधेरे जंगल में एक राजा था। वह सिर्फ कोई राजा नहीं था, बल्कि जंगल के सभी जानवरों का शासक था। उनकी शक्ति और अधिकार बेजोड़
टिंग-टोंग... डोरबेल बजी तो कुछ ही देर बाद किरण ने दरवाज़ा खोला। सामने अमन था। किरण- अमन! अच्छा हुआ तू आ गया। मेरी जान छुड़वा इनसे। अमन को देखते ही राहत भरी सांस लेकर बोली किरण तो उसने हैरानी से पूछ
एक बार की बात है, पहाड़ों में बसे एक सुदूर गाँव में, मेई नाम की एक युवती रहती थी। वह सुलेख में अपनी असाधारण प्रतिभा के लिए जानी जाती थीं और अक्सर कागज के एक टुकड़े पर अपने स्ट्रोक को पूरा करने में घंट
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 64 वर्ष की रही होंगी | राम अमोल पाठक जी प्रकाश पब्लिकेशन में एडिटर थे, बड़े ही सज्जन और ईमानदार व्यक्ति थे सभी
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 42-45 वर्ष की रही होंगी वो अपने पति राम अमोल पाठक जी और चार बच्चों बड़ा बेटा चन्दन, बेटी पूर्णिमा,मंझला बे
अपने डॉक्टर बेटे के बंगले में उसकी कार साफ़ कर रहे ड्राईवर से बतियाते राधाकिशन जी को भ्रम-सा हो रहा था कि नज़दीक खड़ी उनकी मोटरसाइकिल उस कार को घूर रही है और उसकी नज़रों में नाराज़गी भी है I यह
मैं कम्प्यूटर पर काम कर रहा था बगल की खिड़की में मेरी किताबें चुनी रहती थीं। उन क़िताबों के बीच में एक छोटी सी चुहिया झाँक रही थी, वो मुझे ही देख रही थी। मैंने हाथ से उसे भगाया तो वह किताबों के बीच में
2011 की बात है मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन करके साइबर कैफे पर बुलाया। वो काफी टेंशन में था। मेरे पूछने पर उसने बताया कि 3 दिन से उसके फेसबुक पर कोई कमेंट व लाईक नहीं आया है। 2004 में pg में एसाइनमेंट के
शारदा ने अंग्रेजी फ़िल्मों में देखा था कि इस तरह मनोचिकित्सक या मनोविज्ञानी की देखरेख में कई लोग समूह में बैठते हैं। अपने जैसे अनजान लोगों के बीच बैठकर लोग अपने मन की बातें, दुख-दर्द बांटते हैं और यह प्रक्रिया मानसिक रूप से ठीक होने में उनकी मदद करती है। अक्सर कई बार जो बातें वे खुद को जानने वाले लोग
बॉर्डर पर भूत (Orginally published in Hinglish year 2013)कहा जाता है कि अगर कर्म अच्छे हों और नियत साफ़ रहे, तो इंसान खुश रहता है। यह बात बताते समय लोग भूल जाते हैं कि इंसान अपने कर्म और नियत को संभाल सकता है पर अगर दूसरे की नियत में खोट है, तो अच्छे इंसान पर भी मुसीबत आ सकती है। यह बात केवल इंसान पर
बैंक का पब्लिक डीलिंग का समय समाप्त हो गया था और गेट बंद हो चुका था. इसलिए बैंकिंग हाल में हलचल घट गई थी. ऐसे में कपूर साब इधर उधर नज़र घुमा रहे थे. - कपूर साब किसे ढूंढ रहे हैं जी?- बच्चे अज स्वेर तों किसी कुड़ी नाल गल नई कित्ती, कह कर कपूर साब मिसेज़ सहगल के पास जाकर बतिया
🏵️🏵️🏵️लधुकथा: "माँ"🏵️🏵️🏵️यह एक ममतामयी बेबस माँ कीदर्दनाक लधुकथा का एक अंशमात्र हैमाँ कोई न कोई बहाना खोजती रहती है कि कैसे भी हो, अपना पेट काट कर बच्चे को दो निवाला अधिक खिला दे बस? दो कौर अधिक खाले, एतदर्थ आँचल में छुपा लेती है एक-आध रोटी और-अतिरिक्त फुसला-उसला कर, इधर-उधर बच्चे का ध्यान बंट
मैंने भूत देखामैंने एक बार देखा है भूत...वह छाया थी, या सच-मुच!एक दिन गोधुली के समय बेतिया रेलवे स्टेशन के करीब घटित हुई एक घटना की स्मृति ताजी हो गई।संभवतः अप्रैल 1969 की बात है, याने आज से लगभग 52 साल पहले की बात।उधर, शहर से बाहर, उन दिनों प्रायः सन्नाटा रहता था पर आज वह चकाचक फोर लेन कनेक्टिंग हा
छुट्टी आ रही है बच्चो एक हफ्ते की. दादी के घर जाना है क्या?- हाँ हाँ! ट्यूबवेल में नहाएंगे.- तो अपने अपने बस्ते तैयार कर लो. सन्डे सुबह छे बजे निकलेंगे. तुम दोनों वहीँ रुक जाना हम दोनों वापिस आ जाएँगे. फिर अगले सन्डे मैं तुम दोनों को वापिस ले आऊंगा. ठीक है?- पर खटारा बस
संजीवनी का आज कॉलेजमें प्रथम वर्ष का फायनल एग्ज़ाम है, उसकापेपर सुबह 8 बजे है, लेकिन ये क्या वो तो 6.30 बजने के बाद भी उठी ही नहीं। उसकीमां ने आवाज़ देकर उसे जगाया कहा “बेटा तुम्हारा आज इम्तिहान है और तुम सो हीरही हो, रोज तो सुबह 4 बजे उठ