सुस्वागत वसंत
"सुस्वागत वंसत"हरित-क्रांति की,प्रज्ज्वलित मशालपिली सरसों दृष्ट सर्वत्र,जिव-जंतु,समस्त विश्व.संपन्न-खुशहाल,प्रलय का भय त्याग,निर्भयता का करो वरण,अशुभ भाव त्याज्य, शुभ हों विचारस्वागत करतें है दृष्ट-अगोचर,सुहावन, 'ॠतु-बसंत बहार'माँ सरस्वती की रहे अहेतुकी कृपा,हो नित्य अद्भुत चमत्कारशुभारम्भ करो,पठन-