वह अधूरी लड़की
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डरी सी
सहमी सी
घूरती
आँखों को
पढ़कर
अनमनी सी
वह
लड़की
हिरनी की भाँति
कुलांचे
भरना चाहती है
मोरनी की भाँति
नृत्य
करना चाहती है
कोयल की भाँति
कूँकना
चाहती है
लड़को की भाँति
देर अंधेरी रातों में
सुनसान सड़कों पर
घूमना
चाहती है
कम कपड़ों में
चिड़िया की भाँति
बारिश में भीगकर
चहचहाना
चाहती है
कली की भाँति
ओस की बून्दो का
स्पर्श
महसूस कर
खिलाना
चाहती है
पानी की भाँति
निश्चल
वहना
चाहती है
भँवरे की भाँति
गुनगुनाना
चाहती है
वर्षा की भाँति
प्यार
बरसाना
चाहती है
पर;
वह
नही कर पाती
क्योंकि;
वह;
खौफ़ खाती है
उन कामुक
भेड़ियों से
जो;
अवसर पाते ही
उसे दबोचने को
तैयार बैठे हैं
अपने स्वप्नों को
रोज़
मरता देखती है
वह
अधूरी लड़की !!