फिलाहल सहिष्णुता की जरूरत है ..........
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को आज जरूरत है सहिष्णुता एवं उदारवादी नागरिक व्यवस्था कि क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता का विस्तार होना है और भारत द्वितीय सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। यद्यपि यह सत्य है कि एशिया से जापान की दावेदारी अधिक मज़बूत है तथा अमेरिका का उसको समर्थन भी प्राप्त है तथा आफ्रिकी महाद्वीप का कोई भी सदस्य अभी तक स्थायी सदस्य नही है जबकि एशिया से चीन पहले से ही स्थायी सदस्य है और एशिया में अपना बर्चस्व बनाये चाहता है रखना। ऐसी स्थिती में भारत का सफर कांटो भरा है तथा उसे सिद्ध करना है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों को जीवन जीने की बुनियादी सुविधाए प्राप्त है और वह सहिष्णु होकर जीवन जीने की स्वतंत्रता, उपासना की स्वतंत्रता व धर्म की स्वतंत्रता का उपभोग भलीभाँति कर रहे हैं। यद्यपि यह सत्य है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छबि खराब करने के दाँवपेंच शुरू हो गए है और हमारे पडोसी जी UNOजान से उसमें जुट गए है परिणामस्वरूप सीमा पर तनाव व शीश फ़ायर का उल्लघंन कर हमें भड़काने की कोशिश की जा रही है पर उनकी कवायद निमूर्ल साबित होगी यदि हम बुद्धिमानी का परिचय दें।
दूसरी तरफ साहित्य के पुरोधा कलुबगी की हत्या उपरान्त विचारको में उपजा असन्तोष व सम्मान लौटाने का सिलसिला भी रुकना चाहिए क्योंकि इससे गलत संदेश प्रसारित हो रहा है साथ ही सरकार को भी परखना होगा कि कहीं सम्मान लौटाने की परम्परा किसी साजिश का परिणाम तो नही है।