shabd-logo

"जय जवान जय किसान '

2 अक्टूबर 2015

122 बार देखा गया 122

आज है दो अक्टूबर का दिन

आज का दिन है बड़ा महान

आज के दिन दो फूल खिले हैं

जिनसे महका हिन्दुस्तान

"जय जवान जय किसान '

दीपक श्रीवास्तव की अन्य किताबें

76
रचनाएँ
SNEH
0.0
सामाजिक सरोकारों को समर्पित है स्वेच्छिक संस्था स्नेह
1

स्नेह का सम्मान समाहरोह

22 सितम्बर 2015
0
2
0
2

स्नेह के सेमीनार में हम

22 सितम्बर 2015
0
1
0
3

मेरी लिखित दूसरी पुस्तक

22 सितम्बर 2015
0
3
1
4

ज़िंदगी

22 सितम्बर 2015
0
6
3

तेज रफ्तारभागती जिंदगीअक्शरथककरचूर होकभीहाँफती हैतो कभीकाँपती हैकभीनिढल होलुढ़कती हैतो कभीऊर्जास्फूटित करसरकती हैजबकि;निठल्ली ज़िंदगीकछुए की भाँतिरेंगते हुएबिंदास चलबेलगाम होमटरगश्ती करते हुएकभीबहकते हुएतो कभीचहंकते हुएमंजिल परकभी न कभीपहुँच ही जाती है !!

5

स्नेह का सम्मान समाहरोह

22 सितम्बर 2015
0
3
1
6

मेरी लिखित प्रथम पुस्तक

23 सितम्बर 2015
0
5
3
7

samaajwad

23 सितम्बर 2015
0
5
2

यह कैसा समाजवाद?............................वर्ग संघर्षजाति संघर्षप्रजाति संघर्षलिग संघर्षको बढ़ाने वालायह कैसा समाजवाद?क्षेत्रवादभाषावादराष्ट्रीयतावादभाई-भतीजावादको फैलाने वालायह कैसा समाजवाद?लोक वादपरलोक वादमानववाददर्शनको मिटाने वालायह कैसा समाजवाद?

8

शास्वत

23 सितम्बर 2015
0
4
0
9

23 सितम्बर 2015
0
5
1

ब्रम्हाण्ड मेंऊँ ;शाश्वत सत्य हैनिराकार हैऊर्जा पुन्ज हैसमस्त सृष्टि कानियन्ता हैसंचालक हैशक्ति का केन्द्र बिन्दु हैग्रहोंनक्षत्रोंराशियों कासभापति हैआकाश गंगा कास्वामी हैमसलनसम्पूर्ण विश्वइकाई के रूप मेंविलीन हैॐ मे

10

आरक्छन समीक्छा

23 सितम्बर 2015
0
3
1

जब भाजपा पहली बार सत्ता में आई तो उसने अपने चुनावी घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाते हुए संविधान समीक्षा आयोग का गठन किया तब भी बहुत से दलों ने, कुछ जाति विशेष के लोगों ने बहुत विरोध किया उसी प्रकार इस बार भी जब आरक्षण समीक्षा की बात आ रही है तो लोग विरोध पर उतारू है आखिर क्यों? क्या विरोध कर रहे लोग व

11

जातिवाद

24 सितम्बर 2015
0
5
4

R 2015जातिवाद के चाबुक नेसमाज कोइतने कोड़े मारेकि वहलहूलुहान होकरचित्कार उठाप्रकृति नेइंसान बनाया थाइंसान ने बनायाधर्मपन्थसम्प्रदायजातिप्रजातिऔरक्षेत्रवादभाषावादनस्लवादऔर अबसमाजवाद के नाम परभाई-भतीजावाद !!

12

तुम्हारा यौवन

24 सितम्बर 2015
0
6
4

आकाश गंगा केसितारों कोअपनेआंचल मेंसहेज-समेटआसमानी आवरण मेंलिपटास्निग्धमासूमनिर्दोस यौवनकिसी कीनीद चुराता हैतोकोई;स्वयम हीअपने आप सेअपहृत होखो देता हैअपना चैन !!

13

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

24 सितम्बर 2015
0
3
0

भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 'का शुभारम्भ.............................................भारत सरकार द्वारा बेटियों के संरक्षण, सम्वर्धन व लिंगीय असमानता को कम करने तथा बालिका अनुपात को बढ़ाने के उद्देश्य से तथा बेटियो को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण के अनर्निहित

14

एकाकीपन

24 सितम्बर 2015
0
4
0

उदासशाम मेंनिरवताका सायातेरे हिज्र काअहसास कराईजाफ़ा करता हैमेरे;अकेलेपन सेवशीभूतएकाकीपन का!

15

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

25 सितम्बर 2015
0
2
0
16

बोन्साई

25 सितम्बर 2015
0
4
1

बोनसाई...........बोनसाईहो गया हैसमाजछोटी छोटीविविधताएँछोटी छोटीसमस्यायेंछोटे छोटेख्वाबऔर ;छोटी छोटीखुशियाँइसकी शाखाओं परफलफूल रही है !!बोनसाई हो गया हैइंसानछोटी छोटीमहात्वाकाक्षाएँछोटी छोटीकामनाएँछोटे छोटेमुश्किलातऔर ;छोटे छोटेइबादातइसकी शाखाओं परफलफूल रही है !!

17

पतंग

25 सितम्बर 2015
0
5
2

पतंग.......इंसानपतंग हो गया हैकभी सीना तानआकाश में कुलाचे भरता हैतो कभीहिचकोले लेधरातल पर आ जाता है ! कभीअवसर मिलते हीपेंच फसाकाट देता है दूसरे की पतंगतो कभीदूसरे के पेंच में फसकटकरकैद हो जाता हैकिसी अन्य के सुरक्षित हाँथों में !!

18

सम्मान

26 सितम्बर 2015
0
1
0

रंग विथिका संस्था द्वारा आयोजित मेरी रंग यात्रा सम्मान समारोह हिन्दुस्तानी एकेडमी इलाहाबाद में प्रारम्भ रंगकारा व फिल्मों का जाना माना चेहरा आसीमा भट्र को सम्मानित किया गया I

19

अजनवी तुम क्यों ?

26 सितम्बर 2015
0
1
0

अज़नबीतुम क्यों?मेरी पलकों कीसरहदों को लांघपिरोते होख्वाबों की लड़ीऔर;दिखाते होकुछ अक्शआड़े तिरछे से,कुछ अक्शलपकते हैमेरी तरफअपलक निहारते हुएपर;जब मेंउनको छूने कोहाँथ बढ़ाता हूँतो गायब हो जाते हैंशून्य में!अज़नबीतुम क्यों?मेरी पलको कीझालरो को बेधसज़ाते होएक ख्वाबजिसमें;कुछ अन्जानचेहरों परमैं रीझ करद

20

उठो सुबह हो गयी है। शुभ प्रभात

27 सितम्बर 2015
1
4
0
21

स्वाभिमान व् अभिमान के बीच का फर्क

27 सितम्बर 2015
0
2
0

स्वाभिमानव ; अभिमान में ; फ़र्क हीकितना हैएक पतली लकीर का कोई देख पाता हैऔर ; कोईबिन देखे हीभ्रमित हो जाता हैस्वाभिमानव ;अभिमानके माध्यफ़ासला ही कितना हैसिर्फ ; सिफ़र कावही सिफ़र जो ;अंक के पहले लग जायेतोनगण्यऔर ;बाद में लग जाये तो ; पूर्णांक हो जाता है !!

22

छात्रसंघ चुनाव

27 सितम्बर 2015
0
2
0

नियमों का घोर उल्लघंन | लिंगदोह समिति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय खर्च सीमा 5000/-निर्धारित की है पर किसी भी प्रत्याशी द्वारा पाँच लाख रुपये से कम खर्च नही किए जा रहे हैं जिसकी बानगी है अध्यक्ष प्रत्याशी का यह काफिला जिसमें पचासो लक्ज़री गाड़ियाँ जुलुश में शामिल हुई |

23

छात्रसंघ चुनाव

27 सितम्बर 2015
0
2
0

नियमों का घोर उल्लघंन | लिंगदोह समिति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय खर्च सीमा 5000/-निर्धारित की है पर किसी भी प्रत्याशी द्वारा पाँच लाख रुपये से कम खर्च नही किए जा रहे हैं जिसकी बानगी है अध्यक्ष प्रत्याशी का यह काफिला जिसमें पचासो लक्ज़री गाड़ियाँ जुलुश में शामिल हुई |

24

मेरी तैयार होती गूलर की बोनसाई |

27 सितम्बर 2015
0
2
0
25

सहिद दिवस

27 सितम्बर 2015
0
5
0

आज मध्य रात्रि सरदार भगत सिंह की जयन्ती है जिन्होंने 27-28/9/1907 में पंजाब प्रान्त में जन्म लिया था तथा 23 वर्ष की अवस्था में 23-03-1931 को वटुकेश्वर दत्त व राजगुरू के साथ अंग्रेज सरकार द्वारा उन्हे फासी पर चढ़ा दिया गया। शहीद होने से पूर्व भगत सिंह जी द्वारा जॉन सण्डर्स को इसलिए गोली से उड़

26

सुबह हो गयी भाई उठो

28 सितम्बर 2015
0
3
0
27

आमंत्रण

28 सितम्बर 2015
0
3
0
28

एक कार्यक्रम में

30 सितम्बर 2015
0
3
1
29

रिशते

30 सितम्बर 2015
0
5
2

रिश्ते जब कुछ रिश्ते टूट फूट कर उलझकर बदरंग हो विखरने लगे तो ;उनको एक गट्ठर में बांधकर एक कोने में दफ़न कर दिया गया नए रिश्तों की चमक में उनका वज़ूद कही लुप्त हो गया पर; नए रिश्तों की चकाचौंधऔर आकर्षणकम होने के बादएक दिनकोने में पड़ी पोटली को खोलकरझाड़ा पोछाउसमें जीवाश्म बन गए रिश्तों को टटोलकरीने से

30

धुप का टुकड़ा

1 अक्टूबर 2015
0
2
7

पेड़ों कीझुरमुटों सेझाँकताधूप काएक टुकड़ासहसाफिसलकरमेरी काया परलिपट गयाआलिंगन बद्धयुगल की भाँतिजिसकेस्पर्शस्पन्दनकीकशिश सेपिघलकरअल्हादितहो उठामेरातन-मन !!

31

chalo samvidhan ki ......

1 अक्टूबर 2015
0
2
0

चलो संबिधान की ओर ..........          सेवा निवृत्त आई आर एस अधिकारी गिरीश पाण्डे द्वारा पंचायत चुनाव के मद्देनजर जनपद इलाहाबाद में "जागो गणराज्य जागो" नामक योजना का शुभारम्भ किया,जिसके तहत उनके द्वारा उत्तर प्रदेश के सुदुर वर्ति ग्रामों में संविधान कथा का आयोजन कर सामान्य जनता को सविधान में वर्णित व

32

"जय जवान जय किसान '

2 अक्टूबर 2015
0
5
0

आज है दो अक्टूबर का दिनआज का दिन है बड़ा महानआज के दिन दो फूल खिले हैंजिनसे महका हिन्दुस्तान"जय जवान जय किसान '

33

chalo samvidhan ki oor

2 अक्टूबर 2015
0
1
0

34

न्याय चाहिए

4 अक्टूबर 2015
0
1
0

न्याय के लिए दर दर भटक रही है महिला ............         इलाहाबाद में आई.टी.आई. चला रही कृति श्रीवास्तव अपनों से ही छली गयी है | कुछ दिन पूर्व उसके दंबगपति जो कि अन्य विरादरी से हैं ने उसे गोली मार दी थी पर भाग्य की प्रबलता ने उसे बचा लिया | आज वह अपने पति से छुटकारा पाने हेतु दर-दर की ठोकर रही है ख

35

मैत्रेयी संस्था की नौटंकी सम्पन्न | नेताओं का सच व्यक्त करती है नौटंकी |

4 अक्टूबर 2015
0
3
0

36

namskar

5 अक्टूबर 2015
0
3
0

37

मानव समाज

5 अक्टूबर 2015
0
2
0

MONDAY, 5 OCTOBER 2015इतिहास केखंडहरों कोखंगालने कीजद्दोजहद मेंवर्तमान कीजर्जरइमारतो मेंझाँकनापड़ता हैउसकीहिलती चूलोको नापनापड़ता हैतब;जाकर कहींभविष्य कीसुनहलीचटकदारजीवनदायीसभ्यता केदर्शन होते हैंजिनकी महक सेसुगन्धित होपल्लवितहो उठता हैमानव समाज !!* "दीपक श्रीवास्तव" *       "2015/05/10" 

38

कविता

6 अक्टूबर 2015
0
5
1

जब मैं आइने मेंदेखता हूँअपना प्रतिबिम्बतो ;देखता हूँअतीत के गर्भ में पल रही कुछबनती-बिगड़तीसभ्यताएँ !सामाजिक तानेबाने मेंउलझकरबिखर कर खण्ड-खण्डहोते रिश्ते ! स्याह कालीआदमकदपरछाईयों परचस्पामुखौटेजोसम्पूर्णमानव जाति कोअपनेक्रूर पंजों मेंदबोचने कोआतुर है ! और ;सुनहलीयादो कीडोर परसवारमेरे भबिष्य कीपंतगज

39

संस्कार की घुट्टी

7 अक्टूबर 2015
0
5
3

माँ में छिपी होती है संस्कार की पूरी पाठशाला         "माँ " एक सम्पूर्ण विश्वविद्यालय हैं जो बिना किसी प्रशिक्षण के न केवल शिशु को जैवकीय आकार ही देती है बल्कि उसके लालन पालन में भी अहम भूमिका का निर्वाह करती है | माँ शिशु की प्रथम शिक्षक होती है और घर शिशु की प्रथम पाठशाला जहाँ घर के अन्य सदस्य सहप

40

आकाश

7 अक्टूबर 2015
0
4
1

रोजरात कोपसर जाता हैआकाशछत कीमुण्डेर परलिए हुएतारो केगुलदस्तेअपने आँचल मेंटंके हुएकंदील की भाँतिजिनकीटिम टिमाहट सेप्रकाशित होती हैंदिशाएँपथिक कोसूनी पगडण्डियों परराहदिखाने हेतु !!

41

karyakram

8 अक्टूबर 2015
0
2
0

42

amantran

8 अक्टूबर 2015
0
2
0

सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था स्नेह व जयचित्रांश समिति के संयुक्त तत्वावधान में लोक नायक जयप्रकाश नरायण की 113 वी जयन्ती व महानायक अमिताभ बच्चन के 73 वें जन्मदिवस दिनांक11-10-2015 की पूर्व संध्या पर दिनांक 2015/10/10 को आपरहान 2 बजे वर्धा विश्वविधालय के सभागार में संवाद का आयोजन किया गया है | उक्

43

आमंत्रण

9 अक्टूबर 2015
0
3
0

सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था स्नेह व जयचित्रांश समिति के संयुक्त तत्वावधान में लोक नायक जयप्रकाश नरायण की 113 वी जयन्ती व महानायक अमिताभ बच्चन के 73 वें जन्मदिवस दिनांक11-10-2015 की पूर्व संध्या पर दिनांक 2015/10/10 को आपरहान 2 बजे वर्धा विश्वविधालय के सभागार में संवाद का आयोजन किया गया है | उक्

44

dukhad

9 अक्टूबर 2015
0
5
1

सुप्रसिद्ध संगीतकार रविन्द्र जैन की मौत अपूरणीय छति है | उनके द्वारा चोर मचाए शोर, फकीरा, अंखियों के झरोखों से, चित्तचोर, नदिया के पार, सावन को आने दो, राम तेरी गंगा मैली व न जाने कितनी सुपरहिट फिल्मों में संगीत दिया। आपने कई टीवी सीरियल में भी संगीत दिया। आप संगीतकार के साथ साथ एक बेहतरीन गायक भी थ

45

एक प्रश्न

9 अक्टूबर 2015
0
1
0

1-क्या समग्र क्रान्ति के अग्रदूत जयप्रकाश नरायण की प्रांसगिकता वर्तमान समय में है अथवा नही?2-यदि K जयप्रकाश नरायण जीवित व सक्रीय होते तो समाजवाद का स्वरूप क्या होता?3-क्या अमिताभ बच्चन की शुरुवात की सफल गुस्सैल नायक की छवि वाली फिल्मों में नायक की भूमिका समाजवादी विचारधारा से जिसमें नायक पूंजीपतियों

46

JP jayant

11 अक्टूबर 2015
0
2
0

इलाहाबाद में आयोजित हुवा लोकनायक जयप्रकाश नारायण व महानायक अमिताभ बच्चन पर संवाद।.        इलाहाबाद में 10 अक्टूबर 2015 सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था स्नेह व जयचित्रांश कल्याण समिति के तत्वावधान में लोकनायक जयप्रकाश नरायण व महानायक अमिताभ बच्चन की जयन्ती / जन्मदिन की पूर्व सन्ध्या पर संवाद कार्यक्

47

kaveeta

12 अक्टूबर 2015
0
5
4

वह अधूरी लड़की.......................डरी सीसहमी सीघूरतीआँखों कोपढ़करअनमनी सीवहलड़कीहिरनी की भाँतिकुलांचेभरना चाहती हैमोरनी की भाँतिनृत्यकरना चाहती हैकोयल की भाँतिकूँकनाचाहती हैलड़को की भाँतिदेर अंधेरी रातों मेंसुनसान सड़कों परघूमनाचाहती हैकम कपड़ों मेंचिड़िया की भाँतिबारिश में भीगकरचहचहानाचाहती हैकल

48

कविता

12 अक्टूबर 2015
0
3
0

अब हमबदचलन हो गए ....टूट करप्यार करने कीख्वाईश मेंहम;दफन हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!पाकमोहब्बत मेंहम;कलम हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!फ़नाइश्क मेंहम;मदन हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!वफ़ाकी चाहत मेंहम;खतम हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए !!

49

kitab

13 अक्टूबर 2015
0
6
1

औंधीपड़ीकिताबों केफड़फड़ातेपन्नों मेंटंकेअल्फ़ाजइबादत सेलगते हैं!बेतरतीबरख्खीकिताबों केफड़फड़ातेपन्नों मेंविखरेसंवादजीवन सत्यउगलते हैं !!

50

kaveeta

15 अक्टूबर 2015
0
3
0

आओचुने;कुछ शर्मिली यादेंकुछ झिझकते ख्वाबकुछ मुस्कुराती आँखेंकुछ लज़ाते अन्दाजआओचुने!आओचुने;कुछ महकती सांसेकुछ सुलगते अरमानकुछ नशीली रातेकुछ उफनाते जज़्बातआओचुने!आओचुने;कुछ उमंगित पलकुछ सिसकते लम्हातकुछ शरारती मदहोशियाँकुछ शोख अल्फ़ाजआओचुने !!

51

village

18 अक्टूबर 2015
0
2
0

चलो गाँव की ओरआज मेरी डियूटी सदस्य जिला पंचायत एवं सदस्य क्षेत्र पंचायत  का निर्वाचन सम्पन्न कराने हेतु जनपद इलाहाबाद से 35 किमी दूर  फूलपुर तहसील के बहरिया विकासखण्ड अन्तर्गत दलीपुर ग्राम में लगी | इलाहाबाद से 30 किमी व सिकन्दरा बाज़ार से केवल दो किमी दूर दलीपुर ग्राम का वातावरण अत्यन्त मोहक व सुरम

52

ek sach

27 अक्टूबर 2015
0
1
0

इतिहास के खण्हरो को सहेजने समेटने से ही वर्तमान की बुलन्द इमारतों को सवरने का मौका मिलता है।

53

UNO

1 नवम्बर 2015
0
2
0

फिलाहल सहिष्णुता की जरूरत है ..........        विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को आज जरूरत है सहिष्णुता एवं उदारवादी नागरिक व्यवस्था कि क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता का विस्तार होना है और भारत द्वितीय सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार ह

54

human trafficking

5 नवम्बर 2015
0
5
0

फसल पक गयी है खरीदार ढूढ़ो .........         राजस्थान में एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक ऐसे मानव तस्करी गिरोह को पकड़ा गया है जो पड़ोसी राज्यों से 8-10 बर्ष आयु की गरीब बालिकाओं का अपहरण कर राजस्थान ले जाते थे तथा वहाँ वह बालिकाओं को जानवरों को लगाया जाने वाला हार्मोन्स का इन्जेक्शन

55

kupratha

7 नवम्बर 2015
0
4
1

भारत के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में महिलाओं की खरीद फरोख्त जारी है.....       विकास की नई इबारतों को लिखने वाले देश भारत में अब भी तमाम कुपथाएँ संचालित हैं जिसमें से एक है अपनी ही पुत्री को उपयोगी वस्तु के समान किराए पर देने या बेचने की प्रथा I यह प्रथा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आज़ भी पुरज़ोर ह

56

bhukh se maut.

8 नवम्बर 2015
0
8
2

आधुनिक सभ्य समाज में अब भी हो रही है भूख से मौतें ...         इलाहाबाद मुख्यालय से 40 किमी दूर जसरा विकासखण्ड अन्तर्गत स्थित गीज गाँव में भूख से हुई दोना- पत्तल बनाने वाले पिता समरजीत व पुत्री राधा की आकस्मिक मौत आधुनिक सभ्य समाज व शासन सत्ता के मुख पर तमाचा है। कहने को गरीब / निर्बलों के लिए तमाम स

57

Deepawali

10 नवम्बर 2015
0
2
1

58

Deepawali

10 नवम्बर 2015
0
2
2

**** "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना ..............................अन्धेरा कहीं रह ना जाये जहाँ में ***** "

59

कविता

17 फरवरी 2016
0
3
0

वक़्त कीबेरहमसिलवटो मेंउलझकरबदरंग हो रहामेरा मन,अथाह सागर कीजल रश्मियों कोअपनी अंजुरी में भरसोख लेना चाहता है!उच्च पर्वत शिखर कोअपने कदमों तले रौंदविजय पताकाचाहता है फहराना!पिघल रहे आसमान सेरिस रिस करटपकतीओस की बूंदो कोसंचयित करनदियाँ बहाना चाहता है!सूर्य प्रकाश कोएक अन्धेरी कोठरी मेंकैद करसितारों क

60

Kaveeta

27 फरवरी 2016
0
2
0

निगहबानी........सिमट-सिमट करसूक्ष्म होतेदायरों कीनिगहबानी!घिसट-घिसट करजी रहेइंसानों कीनिगहबानी!अटक-अटक करचल रहेपथिक कीनिगहबानी!दौड़-दौड़ करथक करचूर होहाँफ रहेसमाज कीनिगहबानी!और; कुछ नहीसिर्फ और सिर्फवह अंकुश हैजिससे;एक बिगड़ैलहाँथी को भीनियान्त्रित करकाबू मेंलाया जा सकता है !!

61

कविता

27 फरवरी 2016
0
2
0

 हिज्र में तेरेओ दिलबरऊल्फ़तों नेरूसवा है कियाकभी शोला बने हमतो कभी शबनम बन जियाहिज्र में तेरे!हिज्र में तेरेओ दिलवरहमनेगुस्ताखिया है कियाकभी ओठो को छुआतो कभी गेसुओं में जियाहिज्र में तेरे!हिज्र में तेरेओ दिलवरतेरीरूह को महसूस है कियाकभी तब्बसुम को पियातो कभी ख्यालों में जियाहिज्र में तेरे! !

62

कविता

29 फरवरी 2016
0
1
0

अक्शरसमाज मेंदिख जाते हैंवह क्रूर चेहरेजो;मानवता कोनोचते हैंखसोटते हैंऔर;उसकीएक-एकखून की बूदनिचोड़ करचूस लेते हैंउसका मज्जा तक!में;देखता हूँसमाज मेंवह;हसीन चेहरेजिनकी शोखियों मेंछुपा होता हैछलकपटऔरप्रपंचजिसमें फसकरपतंगे की भाँतिनिरीहतोड़ देते हैंदम!में;देखता हूँवह अक्शजो;इंसान केकतरा कतरारक्त कारसास

63

कविता

1 मार्च 2016
0
5
0

उलझन ........?उलझनउलझन .......!कैसी यह उलझन है?कैसा यह जीवन है?जीवन उलझ गया है |देखो मन ठहर गया है |उलझन ........?उलझनउलझन .......!कैसी यह उलझन है?किसी से नही अपनापन हैरिश्ते उलझ गये हैं |देखो हम ठहर गए हैंउलझन ........?उलझनउलझन .......!कैसी यह उलझन है?जीवन सिर्फ बंधन है |आत्मा अटक गयी है |देखो हम भ

64

कविता

3 मार्च 2016
0
3
1

क्रैक्टस के घने अन्धेरे जंगलो में उजासे की दरकारमरुभूमि की एक ; मृगतृष्णा नही तो ; और क्या है ?भ्रष्टाचार सेकंठ तकडूब गयेइस समाज मेंईमानदारीएक ;  छलावा नही तो ; और क्या है ? सामाजिक सांस्कृतिकप्रदूषण कोस्वेच्छा सेआत्मसत्कर चुकेसमाज मेंभारतीय सभ्यताएवं ; संस्कृति की बात बेमानी नहीतो ; और क्या है ?कंक

65

खामोशियाँ

3 मार्च 2016
0
2
0

खामोशियाँ ...... हो ........ खामोशियाँमन की खामोशियाँहो खामोशियाँअल्फ़ाजो की खामोशियाँहो खामोशियाँशब्दो की खामोशियाँहो खामोशियाँभावो की खामोशियाँहो खामोशियाँसम्वेदनाओं की खामोशियाँहो खामोशियाँहमें लुभाये खामोशियाँहो खामोशियाँमन को भाये खामोशियाँहो खामोशियाँकुछ न कहकर भीबहुत कुछ कह जाये खामोशियाँहो ख

66

कविता

4 मार्च 2016
0
3
0

पाषाण खण्ड की भाँतिअडिगदृण - निश्चयीएवं;कठोरचट्टाने भीजल कीसरलताशालीनताएवं;निरन्तरता के सम्मुखनतमस्तक होछोड़ देती है रास्ताप्रवाहित होने हेतुक्योंकि;चट्टानेदर्प मेंसीना तानेखड़ी हैंवे ख़ौफजबकि;कोमल जलअपने स्वभावगतचंचल निर्मलता सेकण-कण मेंविभक्त होने पर भीसामूहिक प्रयास सेसहस्त्रजल रश्मियों मेंपरिवर्

67

कुछ गज़ले ..........

4 मार्च 2016
0
4
0

कुछ गज़ले ..........तर्जुबे की नज़ाकत ने रोशन कर दी जिंदगी .... मेरे दोस्त। वरना अन्धेरी नगरी में आशियाना था हमारा |कभी मंजिले तुम्हारी राह से होकर गुज़रती थी आज़ हमारी कब्र पर ठिकाना है तुम्हारा |तर्जुबे की नज़ाकत ने रोशन कर दी जिंदगी .... मेरे दोस्त। वरना अन्धेरी नगरी में आशियाना था हमारा | कौन कह

68

international women day स्पेशल.

8 मार्च 2016
0
4
0

अन्तर्राष्ट्रीय विश्व महिला दिवस पर विशेष - एक तथ्य यह भी ......          मैने महिला सशक्तिकरण पर हुए कई सेमीनार में प्रतिभाग किया है तथा पाया है कि जिस भी वक्ता ने पुरुष बर्चस्वादी समाज की आलोचना करते हुए पुरूषो को धिक्कारा है उसने ज्यादा तालियाँ बटोरी है, पर ऐसे वक्ताओं ने महिलाओं की मूलभूत समस्या

69

कविता

11 मार्च 2016
0
3
0

मटमैलेचादरों कीसिलवटों सेलिपटीविस्मृत हो चुकीस्मृतियों सेचिपककरअतीत कीअनन्त गहराईयों मेंझाँक;बोझिल हो रहीपलकों केकपाट कोखोलनेबंद करनेकि;जद्दोजहद मेंबमुश्किलरोज़बीत जाती हैरातेंऔर;सुबहशेष रहते हैतकियों केगिलाफ़ों परआँसू कीमोटी मोटीबून्दों कीछापजो;वयां करते हैरात्रि केसफर कीदर्द भरीकहानी !!

70

ग़ज़ल

13 मार्च 2016
0
3
0

 अली रे आलीबन जाइस जहाँ का मालीतू आदिल बनआफ़ताब हो जाआजिम बनमहताब हो जाआवाज़ह सेमत हो आशुफ़्ताअब-ए-आईने मेंआसिमआजिज़ होआकिबत कोरुखसती करआब-ए-चश्म सेशख्सीयत कोबेपरवाह करेगेंअली रे आलीतू; है,इस जहाँ का माली !!

71

इंसानियत

16 मार्च 2016
0
3
0

समाजिकजगंल मेंवजूद की तलाशयनि कि;मुर्दो के बीचआज़िमइंसान की तलाशअफ़सुर्दा मौसम मेंखुदाई से अन्जखुदा ऐहतमाम करइंसानियत कोबरक्कत देबरक्कत देऔर;बरक्कत दें !!

72

Kaveeta

17 मार्च 2016
0
3
0

मैं;रोजदेखता हूँसरसोईफ्राक मेंघूंघराले बालो वालीउस;नन्हीलड़की कोजो;सरगोशी के साथभीड़ भरे बाज़ार मेंगुब्बारों कागुलदस्ता लिएकभी रोड कीइस पटरी परतो कभीरोड कीउस पटरी परबेचती हैरंग-बिरंगेगुब्बारेअपनी हीउम्र केउननन्हें-मुन्नों कोजो;लकदक करतीगाड़ियों से उतरराजा बाबू बनरुआब सेखरीदते हैगुब्बारेऔर;वहकभीअचम्भ

73

कविता

19 मार्च 2016
0
5
2

एकनन्हाकबाड़ीरोज़मेरेघर केपिछावड़ेके;कूड़ेदान मेंतलाशता हैकबाड़और;फिरसमपर्ण भाव सेउन्हेएकत्र करले जाता हैअपने साथइस उद्देश्य केनिहितकि;प्राप्तसामग्री कोझाड़ पोछचमका करटूट फूट कीमरम्मत करया;गला पिघलाकरनया आकार देपुर्न: स्थापितकरेगाबाज़ार में!कमोवेशवहनन्हा बालक भी तोहै;कबाड़ सरीखापर;उसेझाड़-पोछ करचमका

74

कविता

19 मार्च 2016
0
6
2

एक व्यस्तमचौराहे केघूर परकुत्तो के झुण्ड के बीचपड़ी ; नवजात बच्ची ! उनकी गुर्राहट सुनकभी अपनीसामर्थ्य अनुसारचित्कार रही हैतो ; कभी हाँथ-पाँवचलाकर अपनेजीवित होने का प्रमाण दे रही है ! और  ; स्वानों का झुण्डखूनी आंखों सेयमदूत की भाँति गोश्त के लोथड़े को देखउसको नोचने खसोटने को तत्पर है ! तभीकुछ अपरिचि

75

Kaveeta

20 मार्च 2016
0
5
1

देश केसहिष्णुकहते हैं कि;जयहिन्द नही कहेंगेवंदे मातरम नही कहेंगेभारत माता कीजय नहीं बोलेगेंक्योंकि;भारतीय संविधान मेंइस हेतुकोई;व्यवस्था नही हैवह उदारवादी हैंधर्म निरपेक्ष हैंऔर;यदि हम इंशाअल्लाहकिसीआंतकवादी कोफांसी दे देतो;हमअसहिष्णु हैंसाम्प्रदायिक हैंवहदेश काविरोध करें तोयह उनकामौलिक अधिकार हैजबक

76

समाजवाद

21 मार्च 2016
0
6
0

एकवेश्यालय कीचौखट परमजमा लगाते है रोज़समाजवादी;बिना किसी वर्ग भेद केबिना किसी जाति भेद केबिना किस धर्म भेद केबिना किसी पन्थ भेद के!एकमदिरालय कीचौखट परमजमा लगाते है रोज़समाजवादी;बिना किसी वर्ग भेद केबिना किसी जाति भेद केबिना किस धर्म भेद केबिना किसी पन्थ भेद के!एकमंदिर कीचौखट परमजमा लगाते है रोज़समाज

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए