एक
नन्हा
कबाड़ी
रोज़
मेरे
घर के
पिछावड़े
के;
कूड़ेदान में
तलाशता है
कबाड़
और;
फिर
समपर्ण भाव से
उन्हे
एकत्र कर
ले जाता है
अपने साथ
इस उद्देश्य के
निहित
कि;
प्राप्त
सामग्री को
झाड़ पोछ
चमका कर
टूट फूट की
मरम्मत कर
या;
गला पिघलाकर
नया आकार दे
पुर्न: स्थापित
करेगा
बाज़ार में!
कमोवेश
वह
नन्हा बालक भी तो
है;
कबाड़ सरीखा
पर;
उसे
झाड़-पोछ कर
चमका कर
नया स्वरूप
देकर
समाज में
समायोजित
करने की कूबत
किसी में
नही है !!