तेज रफ्तार
भागती जिंदगी
अक्शर
थककर
चूर हो
कभी
हाँफती है
तो कभी
काँपती है
कभी
निढल हो
लुढ़कती है
तो कभी
ऊर्जा
स्फूटित कर
सरकती है
जबकि;
निठल्ली ज़िंदगी
कछुए की भाँति
रेंगते हुए
बिंदास चल
बेलगाम हो
मटरगश्ती करते हुए
कभी
बहकते हुए
तो कभी
चहंकते हुए
मंजिल पर
कभी न कभी
पहुँच ही जाती है !!