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काव्य / कविता संग्रह की किताबें

🌺कविता- जिंदगी🌺

=🌺जिंदगी🌺= जीने का सहारा दिखाती है ।जिंदगी जीने का ढंग से सिखाती है ।....... चलने का रास्ता दिखाती है ।....... दिलों में प्रेम रस बरसाती है ।....... आगामी कल को दिखाती है। जिंदगी

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लालीराम के शब्दपुष्प हार

शब्द और अपने अपने भावार्थ शब्दपुष्प पिरोकर बनाए हैं पुष्पों के हार, चाहे कांच के टुकड़े समझें या हीरों के हार... इस किताब में ईश्वर भक्ति, देश भक्ति, ईमानदारी जज्बात और उसूल, मोहब्बत, दायित्व, प्रेम, स्नेह, राजनीति, परोपकार, ज्ञान, धर्म इंसानिय

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और वो तुम हो

और वो हो तुम ************* ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर "और वो हो तुम" 'शब्द इन' पर प्रकाशित होने वाली मेरी चौदहवीं पुस्तक है।यह मेरी

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बहते आंसू 😭

कुछ अल्फ़ाज़ जो बयां ना किए जा सके ...

3 पाठक
0 अध्याय
9 नवम्बर 2024
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वक्त

वक्त सफर का साथी

2 पाठक
1 अध्याय
12 अगस्त 2022
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स्वर्गगंगा की सीपियाँ ...

मन की व्यथा को शब्दों में पिरोना भी एक अद्भुत कला होती है फिर चाहे काव्य की सूरत में हो या कहानी और चाहे लेख के रूप में , ये कला माँ सरस्वती की पूर्ण कृपा से ही व्यक्ति को प्राप्त होती है ... स्वर्गगंगा की सीपियाँ - शब्दin पर मेरी प्रथम काव्य पुस्तिक

16 पाठक
30 अध्याय
14 सितम्बर 2024
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कलम का जादू

मेरी यह किताब कोशिश है कूछ ज्ज्बात दिल के बया करने का, कूछ नज्म, शेरो शायरी, गजल और कविताएँ, आशा है आपको पसंद आएगा, अगर हाँ, तो जरूर बताएगा ।

11 पाठक
30 अध्याय
12 मार्च 2022
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" शब्दों की मोती "

कुछ अपनी और कुछ कल्पना कर के लिखती हूँ , मैं कहानी ,कविता , शेर , गीत और गजल भी लिख लिया करती हूँ । अभी तो शुरूआत हैं ये , आगे शायद मेरी लेखनी में और निखार आ जायेगी ।

12 पाठक
1 लोगों ने खरीदा
7 अध्याय
26 अगस्त 2022
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खिलते एहसास।

प्रिय पाठकगण सुधिजन व मित्रगण, जयश्रीकृष्ण,, आप सब को मेरा सादर नमस्कार। प्रियवर " खिलते एहसास " का एहसास सहसा ही मस्तिष्क मे उभरा।कई बार हम कई विशेष परिस्थितयों के अधीन बंधे महसूस करते है।वो भी तब जब कोई आस या कामना सामने खडी होती है ।और ऐसे

2 पाठक
2 अध्याय
12 अगस्त 2024
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कुछ अनकहे अल्फ़ाज़

झुकी आंखे जब हया हो जाए नयनों में ही जब जुबा हो जाए लफ्ज़ वो बात कहते ही नहीं आंखों से जो बया हो जाए

0 पाठक
0 अध्याय
6 अगस्त 2022
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" ईश्वर की अनमोल सौगात - हमारे माता-पिता "

ईश्वर की  बनाई ममता की मूरत है  ‘माँ’ , ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है ‘पिता’ ! जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है ‘माँ’ , जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त  लौ है ‘पिता’ ! ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है ‘माँ’ , उस स्तंभ  का आधार-‘नींव’ है ‘पिता’ ! मेरे ज

2 पाठक
0 लोगों ने खरीदा
24 अध्याय
5 जून 2022
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काव्यधारा

शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्

12 पाठक
20 अध्याय
31 मई 2022
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कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

मेरी कलम से... मेरे मन के शब्दों की भाषा सुनने दो मेरे मन को। शब्दों को करने दो बात आपस में, उन्हें खुलकर जीने दो। सुनो ध्यान से ,क्या कहते हैं शब्द? दिल की गहराईयों में जाकर, चुपके से सबको अपना बनाते ये शब्द। अहसासो का आँचल थामें धीरे से आगे बढ़ते

11 पाठक
22 अध्याय
12 जुलाई 2022
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काव्यात्मक वर्णमाला

नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चों के बहु विधि ज्ञान वर्धन के लिए किया गया यह प्रयास निश्चित ही समस्त हिन्दी भाषी के लिए एक गौरव का विषय होना ही चाहिए। बहु प्रचलित सरल चौपाई छन्द बच्चों को शीघ्रातिशीघ्र याद हों जायेगा। हिन्दी वर्णमाला के

4 पाठक
1 अध्याय
31 अगस्त 2022
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शेरो शायरी की महफिल

मैं संगीता कुलकर्णी, एक उभरती हुंवी कवियित्री, मेरी किताब कुछ दिल से लिखी प्यारी बातों के बारे में है, जो सीधा दिल तक पहुंचेगी! इसमें मैनें कुछ गजल, शेरो शायरी लिखी है, उम्मीद करती हुं, आपको ये किताब पसंद आएगी, इससे प्रेरणा लेकर में ओर बेहतर लिखने क

5 पाठक
0 लोगों ने खरीदा
35 अध्याय
27 फरवरी 2022
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दीवानापन (Deewanapan)

मैं इस पुस्तक के माध्यम से कहना चाहता हूं कि प्यार कोई अपराध नहीं है लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। लोग कहते हैं कि आजकल सच्चा प्यार कौन है, लेकिन मैं सभी से पूछना चाहता हूं। क्या आप भी ऐसे हैं जो अपने वादे पर खरे उतर सकते हैं। इस किताब के

10 पाठक
60 अध्याय
23 जुलाई 2023
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मैं पुरुष हूं (पीड़ा में व्यंग्य)

कविता.... व्यंग्य आदमी तो कुता होता है यह कभी सुधर नहीं सकता धोखा तो फितरत में है, मासूम लड़कियों की भावनाओ से खेलता है उनका फायदा उठाता है, दहेज के लिए पत्नी से मारपीट करता है औरत को अपने पैर की जूती समझता है दुष्ट, नीच, हरामी पापी.... बस बस बस... ह

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