घरेलू हिंसा एक ऐसी वजह है जिसे देखते हुए बहुत सी सहनशील महिलाओं को भी अपने पति से, ससुराल से अलग होना पड़ता है और पति या ससुराल द्वारा ख़र्चे के न मिलने के कारण या फिर खुद पढे लिखे होने या किसी और हुनर में पारंगत होने के कारण नारी अपने लिए व अपने बच्चों के लिए अपनी हिम्मत से बढ़कर कार्य करती है, कमा
दिखावा और औरतें आज के समय में एक दूसरे के पर्याय बने हुए हैं. थे तो पहले से ही, पर आज कुछ ज्यादा ही हो गए हैं और ऐसा नहीं है कि ऐसा मैं किसी व्यक्तिगत चिढ़ की वजह से कह रही हूँ बल्कि मैंने आज की औरतों को देखा है और महसूस किया है कि महज दिखावे के लिए ये अपनी सारी जिंदगी तबाह कर लेती हैं. अभी कल ही कर
सर्दियों का मौसम लगभग आरंभ हो गया है. सुबह और शाम को हल्की हल्की ठंड महसूस होने लगी है. रात को सोते समय पंखों का बंद होना भी शुरू हो गया है. सुबह के समय खेतों पर जाते हुए लोग गरम चादर ओढ़कर जाते हुए दिखने लगे हैं. मौसम परिवर्तन लोगों की वेषभूषा में बदलाव तो लाता ही है किन्तु जितना अधिक बदलाव पुरुषों
दुष्कर्म आज ही नहीं सदियों से नारी जीवन के लिए त्रासदी रहा है .कभी इक्का-दुक्का ही सुनाई पड़ने वाली ये घटनाएँ आज सूचना-संचार क्रांति के कारण एक सुनामी की तरह नज़र आ रही हैं और नारी जीवन पर बरपाये कहर का वास्तविक परिदृश्य दिखा रही हैं .भारतीय दंड सहिंता में दुष्कर्म ये ह
हम में से ना जाने ऐसे कितने ही लोग हैं जो अपने काम से खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें अपनी ड्रीम जॉब नहीं मिली। ऐसे में हम अक्सर सोचते हैं कि हम कितनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो ना सिर्फ अपने मुश्किल हालातों से
जरूरी नहीं कि एक बेटा ही पिता का सपना पूरा करता है बेटियों को मौका तो दीजिए बेटियां भी देशभर में पिता का नाम रौशन करती है। ऐसी ना जाने कितनी कहानियां हैं जिनमें बेटियों ने मां बाप का सिर गर्व से ऊंचा किया। आज एक ऐसी ही कहानी हम आपको बता रहे
1.सोनल 33 साल की है. 7 साल हो गए शादी को. 5 साल का एक बेटा है. सोनल के पति इंटरनेट सर्विस कंपनी में काम करते हैं. सोनल हाउसवाइफ है. बेटा स्कूल से लौट आए उसके बाद सोनल की दोपहरें खाली होती हैं. छोटी बहन आई थी तो उसने सोनल का फेसबुक अकाउंट बना दिया. सोनल ने शादी की एल्बम बन
हाथों के लंबे नाखूनों पर रंग-बिरंगी नेल पॉलिश की बात ही कुछ और होती है। हालांकि, कुछ महिलाओं के चाहते हुए भी नाखून लंबे नहीं होते और दूसरी महिलाओं के लंबे, मजबूत और खूबसूरत नाखून उन्हे उदास करते हैं। नेल्स बढ़ने का तरीका मगर हम में से कई महिलाओं को नाखून अ
उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. महिला का नाम नम्रता है. खास बात ये है कि इनके पति आईपीएस अधिकारी हैं. नाम है अमित निगम. और दिल्ली में इनकी पोस्टिंग है.दोनों की शादी 27 नवंबर 2015 को हुई थी. साढ़े तीन साल हो चुके हैं शादी को. हमारे रिपोर्टर उस्मान चौधर
चंचल नैना . फूल सी कोमल , कौन दिखे ये अल्हड किशोरी सी ? रूप - माधुरी का महकता उपवन - लगे निश्छल गाँव की छोरी सी ! मिटाती मलिनता अंतस की मन प्रान्तर में आ बस जाए रूप धरे अलग -अलग से - मुग्ध, अचम्भित कर जाए किसी पिया की है प्रतीक्षित -- लिए मन की चादर कोर
ईश्वर की अद्भुत कृति “औरत”...ख़ूबसूरती,दृढ़ इच्छाशक्ति, विद्वत्ता और सद्गुणों का एक बेहतरीन मेल “औरत”…प्रेम,स्नेह, सम्मान, उमंग, उछाह और उत्साहका एक बेहतरीन मेल “औरत”…क्योंकि ईश्वर ने अपनी इस अद्भुत कृति की रचनाही की है निर्माण के लिए,सृजन के लिए, सम्वर्धन और पोषण के लिए मानवमात्र के मार्ग दर्शन के लि
8 मार्च को आप भीअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की तैयारियों में लगे होंगे ।अब तक कुछ लोगों को मैसेज भी भेज दिया होगा और कुछ बहुत ख़ास लोगों को फ़ोन करकेबधाई भी दे दी होगी ।लेकिन क्या आप ये जानते हैं किअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है और ये मनाना कब शुरू हु
प्यार का दंश या फर्ज तुलसीताई के स्वर्गवासी होने की खबर लगते ही,अड़ोसी-पड़ोसी,नाते-रिश्तेदारों का जमघट लग गया,सभी के शोकसंतप्त चेहरे म्रत्युशैय्या पर सोलह श्रंगार किए लाल साड़ी मे लिपटी,चेहरे ढका हुआ था,पास जाकर अंतिम विदाई दे रहे थे.तभी अर्थी को कंधा देने तुलसीताई के पति,गोपीचन्दसेठ का बढ़ा हाथ,उनके बे
नव रसो की खान,आशा है, अभिलाषा है त्यागमयी ममतामयी जीवन की परिभाषा है श्रद्धासमर्पण दृश्यविहीन सी माया की परछाई ईश्वर की भरपाई करने तू जगत में आई बहुतेरे रूप तेरे बहुकार्यो में पारंगत तू शाश्वत अनुराग से भरी दुआये लुटाती तू बिना जताएअंतर्मन को पढ, चिन्ता भय मुक्त करती सौभाग्यवती भव मे हाथ उठे, सदैव आ
फर्क सतयुग मे औरत यमराज से अपने पति को जीत लिया।त्रेता युग मे औरत पुरुष एक समान थे।अहिल्या बहाल हुई। पर अंत मे सीता हरी गई। द्वापर मे औरतों पर उंगली उठने लगी राधा ने प्यार किया, मीरा ने प्रेम किया। रुकमनी ने विवाह किया।अंत मे द्रोपदी का चीर हरन हुआ ।कलयुग मे सभी नारी-नारी चिल्ला रहे हैं, नारी को मज
मैं बैरी सुग्रीव पियारा ,अवगुण कवन नाथ मोहि मारा डॉ शोभा भारद्वाज ‘श्री ब्रम्हा’ सृष्टि के निर्माता सुमेरुपर्वत पर विचरण कर रहे थे मान्यता है उनके प्रताप से धरती पर पहले बानर का जन्महुआ ब्रम्हा उसे रक्षराज के नाम से पुकारते थे वह ब्रम्हा के साथ रहता पर्वत परविचरण करता ,खेलता मनचाहे फल खाता अपने एक
तू जग की आधी सृजन है,मानवता तेरा आभारी।तू खुद में सम्पूर्ण ज्वाला ज्योति है,कदमों में तेरे जग सारी।।वक़्त आती तलवार खींचती,जंगों में तेरी हाहाकारी।ज़रूरत में तू भूमि सींचती,ले कर हाथों में हल आरी।।तू आत्मबल की स्रोत है,ले उसको चन्द्रमा तक जाए।मनोबल तो तेरा घोर प्रबल है,पर्वत को निचा दिखलाये।।ह्रदय में
और ऐसी ड्रेस पहनाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है, जानकर आप वो फोन न पटक दें जिसपर ये पढ़ रही हैं. हिंदुस्तान से लगभग 4,000 किलोमीटर दूर एक देश है लेबनन. वहां एक शहर है ब्रोउम्माना. वहां समाता साद नाम की एक औरत रहती है. हाल-फ़िलहाल में यातायात पुलिस म
अकस्मात मीनू के जीवन में कैसी दुविधा आन पड़ी????जीवन में अजीव सा सन्नाटा छा गया.मीनू ने जेठ-जिठानी के कहने पर ही उनकी झोली में खुशिया डालने के लिए कदम उठाया था.लेकिन .....पहले से इस तरह का अंदेशा भी होता तो शायद .......चंद दिनों पूर्व जिन खावों में डूबी हुई थी,वो आज दिवास्वप्न सा लग रहा था.....
नारी का जीवन या फिर एक व्यथा ,,? ,व्यथा ही तो है नारी का जीवन ,, जिस दिन से माँ के गर्भ में अस्तित्वमान होती है माँ - बाप ,परिवार सबका मन इस बात से व्यथित कि क्या किया जाए ,इसे दुनिया में लाया जाए या फिर इस अंकुरण को गर्भ में ही कुचल दिया जाए ,,, यहाँ पर दो ही बातें होत