ये सर्वमान्य तथ्य है कि महिला शक्ति का स्वरुप है और वह अपनों के लिए जान की बाज़ी लगा भी देती है और दुश्मन की जान ले भी लेती है.नारी को अबला कहा जाता है .कोई कोई तो इसे बला भी कहता है किन्तु यदि सकारात्मक रूप से विचार करें तो नारी इस स्रष्टि की वह रचना है जो शक्ति का साक्षात् अवतार है.धेर्य ,सहनशी
 अभी अभी एक नए जोड़े को देखा पति चैन से जा रहा था और पत्नी घूंघट में ,भले ही दिखाई दे या न दे किन्तु उसे अब ऐसे ही चलने का अभ्यास करना होगा आखिर करे भी क्यूँ न अब वह विवाहित जो है जो कि एक सामान्य धारणा के अनुसार यह है कि अब वह धरती पर बोझ नहीं है ऐसा हमारे एक परिचित हैं उनका कहना है कि ''जब तक लड़
हर ठंड के लिए गर्मी जरुरी है. बिना गर्मी के ठण्ड थोड़े ही भागती है, और अगर गर्मी लानी है तो आग लगानी पड़ेगी. ठण्ड का मौसम है तो हर कोई तो आग पर खुद को सेंक रहा होगा, तो कोई आग जलाने की तैयारी कर रहा होगा. भैया, आप यही सोंच रहे हो ना की, ठंड
वो आंखो के काले घेरों पे foundation मलकर, निकलती है। वो धो लेती है आंसू washroom में और निकलती है होठों पर मुस्कुराहट मलकर।फिर गले लगाती है कसकर और गर्माहट प्यार की बॉटतें हुए मिलती है।वो चहकती है चिरैया के ज
मित्रो मै एक छोटा प्रयास कर रहा हूँ , शायद कोई त्रुटि या भरी शब्द मिले तो .....माफ करना । इसी आशा और विश्वास के साथ मै अपनी बात शुरू करता हूँ। महिला , स्त्री , नारी और अंग्रेजी में " woman " मानव संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अंग है ।
ऐसे कलुषित समाज में लेकर जन्मवर्ण कुल सब मेरा श्याम हो गया ।बड़ी दूषित है सोचकर्म भी काले हैंगहन तम मेंअस्तित्व इनका घुल गया ।देखकर यह समाजहोती है घुटन आज ।कैसा है समाज इसे आती नहीं लाज ?नर्क से निकाल करदुनियाँ में जो लायी ।शून्य मन में ज्ञान कीजिसने ज्योति जलायी ।जिसका शोणित पीकरजीवन मिलता है ।जिसक
आदर्श नारी के गुण बखान करती कविता - ******************************************** @@@@@@@@ सुलखण नार @@@@@@@@ ************************************************************ घर -मन्दिर की जो हो देवी ,पूजे जिसको उसका भरतार | जीवन में ही स्वर्ग मिल जाए ,पाकर पत्नी सुलखण नार || जान हो जो अपने बच्चों की ,पत
नारी , तुम किसकी बराबरी करना चाह रही हो ? नर की , जिसे तुम जन्म देती हो !कुछ बड़ा और अलग करो , देवी ।
नारी "-ईश्वर की सर्वश्रेष्ठतम कृति ================== ‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास रजत नग, पग-तल में, पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में।' वास्तव में नारी इन पक्तियों को चारितार्थ करती है।नारी श्रद्धा,प्रेम,समर्पण और सौंदर्य का पर्याय है। नारी अमृत तुल्य है क्योंकि वह जीवन देती है,
ईश्वर ने पावन प्रतिमा ऊपर से उतारी है .
@@@@@@@@- नारी- @@@@@@@@इस दुनिया की शोभा है , इस दुनिया की रौनक है |खुश रखें सदा इसको ,रचा कुदरत ने है जिसको ||जिसकी दीवानी सृष्टि सारी,वो नारी है कहलाती |बुझे -बुझे मर्दों का मन ,नारी ही तो बहलाती ||घर में पायल खनकाती ,मन का मोर नचवाती |पतली कमर लचकाती ,प्यार में आकर इठलाती ||इस दुनिया की शोभा है
आज पुरुष और नारी समानता का युग होने के बावज़ूद, अभी भी नारी अत्याचार की इतनी घिनौनी कुप्रथाएं मौजूद है कि जिन्हें जानकर आप दाँतों तले उंगली दबा देंगे। नारी अत्याचार की क्रृरतम कुप्रथाएं | आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल
वैदिक काल में नारी की स्थिति अत्यन्त उच्च थी। उस काल में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की कहावत चरितार्थ होती थी। भारतीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जाते थे, जैसे सरस्वती(विद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्गा(शक्ति का आदर्श), रति(सौन्दर्य का आदर्श) एवं गंगा(पवित्राता का आदर
नारी तुम मुक्त हो।नारी तुम मुक्त हो। बिखरा हुआ अस्तित्व हो। सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो। सर्वथा अव्यक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।शब्द कोषों से छलित देवी होकर भी दलित। शेष से संयुक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।ईश्वर का संकल्प हो।प्रेम का तुम विकल्प हो। त्याग से संतृप्त हो। नारी तुम मुक्त हो
भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,संतोषी मन सहनशीलता, हिम्मत है हर नारी की ........................................................................भावुक मन से गृहस्थ धर्म की , नींव वही जमाये है ,पत्थर दिल को कोमल करना ,नहीं है मुश्किल नारी की.................................................
महिला सशक्तीकरण पर सर्वाधिक चर्चा नब्बे के दशक से उभरे भूमंडलीकरण के दौरान प्रारंभ हुई। 'विमेन फ्रीलिव' जैसे अप्रासंगिक आन्दोलन ने 'सशक्तीकरण' का जो रूप ग्रहण किया है वह उचित एवं प्रासंगिक दोनों ही है। महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में जब कानपुर का प्रसंग आता है तो कुछ नाम सहज ही याद आने लगते हैं। इन्ह
श्रीश्री रविशंकर के रवि से श्रीश्री बनने तक के सफर के बारे में एमएन चक्रवर्ती आगे बताते हैं, उन दिनों में वह बेहद आकर्षक थे। एक ऐसा युवक जिसके गाल आपको उसके करीब ले जाते और आपका दिल करता कि आप उसके गालों को पिंच करें। लंबे उड़ते बाल और दाढ़ी के बावजूद आप जब उसे छूते तो आपके अंदर नारी को छूने वाला फी
सादर शुभ प्रभात मित्रों,आज विश्व महिला दिवस पर मंच की सभी महिला मित्रों को सादर प्रणाम, महिला शक्ति को सादर नमन। मुझे लगता है कि आज हमें अपने अंतरमन से यह जरूर पुछना चाहिए कि क्या हमारे अबतक के जीवन का एक पल भी बिना किसी महिला के साथ के व्यतित हुआ है। अगर उत्तर नहीं है तो पीछे मुड़कर देखें, जन्म दिया
औरत तो अपना फर्ज़ खूब निभाती रही,और ये दुनिया मासूम पर ज़ुल्म ढाती रहीन मालूम कितनी कुर्बानियां दी हैं अब तलक,वो बेक़सूर होकर भी ताउम्र सज़ा पाती रहीबेटी, माँ, सास का किरदार सलीके से निभाया,इनाम तो न हुआ हासिल ज़िल्लत ही पाती रहीउसे इल्म ही न था कुछ सीखने समझने का,यही एक कमी थी दुनिया बेवक़ूफ बनाती रह