इन दिनों हमारे चारों तरफ बहुत तनाव है। अधिकांश लोग कार्यालय में समस्याओं, रिश्तों में मुद्दों और
आज बात पहले रियल लाइफ की करते है , आज के न्यूज़ पेपर में आया था कि एक पिता अपने बेटे के गम को बर्दाश्त नहीं कर सका इसलिए वह अपने परिवार के साथ आत्महत्या कर लेता हैं , हम मानते हैं कि किसी मौत का गम इतना होता कि इंसान अपना सुध - बुद्ध खो बैठता हैं लेकिन क्या उसे ये सब करना चाहिए था , जबकि उनकी दो ब
रील लाइफ में एक सीरियल आता है छोटी सरदारनी जिसमें एक लड़की की शादी ऐसे लड़के से होती है जिसके एक बेटा होता है परम , वो लड़की उसकी सौतेली माँ होते हुए भी उसे सगी माँ सा प्यार और दुलार देती है , उस बच्चे को अपना समझती है और अपने बच्चे और सौतेले बच्चे में कोई फर्क नहीं करती हैं अब बात
अकेले ही आया था वह इस धरा पर,जाएगा भी अकेले ही इस धरा से; सबसे पहले मां साथ आयी,फिर पिता ने हाथ पकड़ा,और बाद में जुड़ गया परिवार से।थोड़ा बड़ा हुआ आसपड़ोस का हुआ सामना,कभी इस घर तो कभी उस घर खेलने लगा ;और बड़ा होने पर स्कूल में प्रवेश के साथ
5 मििजाने कितने वर्षों से वह बरगद का वृक्ष उस चौपड पर खड़ा अतीत की न जाने कितनी घटनाओं का साक्षी था, न जाने कितने जीव-जंतुओं, पथिकों की शरणस्थली था। आज उदासी से घिरा था, वर्तमान परिवेश में उसे अपने ऊपर आने वाले संकट का एहसास था, लोगों की बदली हुई मानसिकता ने उसे हिला
पता नहीं ये जो कुछ भी हुआ, वो क्यों हुआ ?पता नहीं क्यों मैं ऐसा होने से नहीं रोक पाया ?मैं जानता था कि ये सब गलत है।लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं कर पाया।आखिर मैं इतना कमजोर क्यों पड़ गया ?मुझमें इतनी बेबसी कैसे आ गयी ?क्यों मेरे दिल ने मुझे लाचार बना दिया ?क्यों इतनी भावनाएं हैंइस दिल में ?क्यों मैंने अ
*गुम हो गए संयुक्त परिवार**एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की छनकती पायल और खनकते कंगन बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था ।*आज बेटा बाप से बड़ा हो गया
भुला दिए गये फिरोज गांधी डॉ शोभा भारद्वाज 12 सितम्बर 1912 स्वर्गीय इंदिरा जी के पति ,राजीव गांधी,संजय गांधी के पिता , वरुण गाँधी ,राहुल एवं प्रियंका गांधी के दादा थे फिरोज गांधी का जन्मदिन था 8 सितम्बर 1960 को 48 वर्ष की उम्
सुनो छोटी सी गुड़िया की नन्ही कहानी...सच में एक ऐसी मासूम कहानी जो आज पूरे देश में सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हो गई। अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में एक मासूम बच्ची की खबर फोटो के साथ प्रकाशित की थी। जिसमें उस मासूम बच्ची की जिद थी कि उसकी गुड़िया के पैरों पर प्ला
बेटा हो या बेटी आज युवाओं की ये सोच बन गई है की उनकी शादी ऐसे इंसान हो जिसके बारे में वो पहले से जानते हों या उससे पहले से परिचित हों। जब तक मां बाप लड़के और उसके परिवार के बारे में जान नही लेते अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में नही देते।आज के बच्चे अपने माँ-बाप को समय से पिछड़ा हुआ समझते हूं इस कारण वो
आज बहुत बड़ी संख्या में छोटे बच्चे psychologist के पास जा रहे हैं. आज कम उम्र ही जब हम जानते भी नहीं थे की स्ट्रेस क्या है छोटे बच्चे जरा-जरा सी बात पर स्ट्रेस की स्थिति में आए जाते हैं.आखिर teenage की समझ को कैसे समझा जाये. कैसे छोटी उम्र के बच्चों को नाराज़ होने से बचाया
दादा-दादी, चाचा-चाची, भुआ, ताऊजी और मामा-मामी, मौसी ऐसे कई रिश्ते हैं जिनसे एक बड़ा परिवार बनता है. ये रिश्ते ही हमें अच्छे संस्कार सिखाते हैं. हमें परिवार के साथ जीना सिखाते हैं. पहले एक ज़माने में एक ही घर में कम से कम 12 से 15 लोग रहते थे मगर आज 2 से 4 ही लोग रह पाते
अच्छा लग रहा है न आज ऐसे सड़क के किनारे बैठे हुए, इस इंतजार में कि क्या हुआ जो बहु ने निकाल दिया घर से,बेटा तो हमारा है न ,वो हमें लेने जरूर आएगा ।अरे याद करो भाग्यवान आज से 40 साल पहले की बात को मेरे लाख मना करने के बावजूद तुमने मेरी विधवा माँ पर न जाने क्या क्या इल्ज़ाम लगा कर घर से निकाला था। कितनी
हर लड़की के मन में कई सपने अपनी ससुराल को लेकर रहते हैं वह ससुराल में सबका दिल जीतना चाहती है, तो चलिए बस 5 आसान Tips द्वारा सभी ससुराल पक्ष के सदस्यों का दिल जीता जाये –1. हर रिश्ते को सम्मान और आदर दे –हर रिश्ते का आदर-सम्मान का पूरा ध्यान रखे, जिस तरह आप अपने मायके
'तुमको तो कोई चिंता ही नहीं है बस अपने चार पंचों को लेके बैठ जाते हो गपशप करने, थोड़ा घर की तरफ भी देख लिया करो, घर में जवान बेटी बैठी हुई है, लोग बातें करने लगे हैं तरह-तरह की। मगर..तुम... तुमको क्या....' नंदिनी की मां ने मुंशी जी के घर आते ही उन पर लगभग रोज की तरह बरसना शुरू कर दिया। करती भी क्या ब
सुशीला जो की एक मध्यम परिवार की महिला हैं॰॰॰॰॰ उसका पति मोहन गावों के बाहर एक मील में सुबह 10 बजे से रात को 11 बजे तक की नौकरी करता हैं. सुशीला और मोहन के अलावा घर में बापूजी भी साथ रहते हैं. तीनो में आपस में बड़ा लगाव और प्रेम है. ये छोटा सा परिवार बड़ी ख़ुशी से अपनी ज़िंदगी जीता है. बापूजी भी आपने आप
दाम्पत्य जीवन में प्राय: पारिवारिक विवादों के कैक्टस: स्वत: ही उग जाते हैं। कभी मां बेटे के कान भरती है, तो कभी बेटी मां के कान भरती है। आस पास पड़ोस में रहने वाली औरतें भी सास से बहु को सिर पर न चढ़ाने की सलाह देती रहती हैं। कभी नंद-भाभी तो कभी देवरानी-जेठानी आदि रिश्तों को कहीं न कहीं थोड़ी बहुत खटा
जिस प्रकार पौधा लगाने से पहले बीज आरोपित किया जाता है उसी प्रकार के युवा लड़के-लड़कियों के मन में दाम्पत्य जीवन के संबंधों के भावों को पैदा करने के लिए विवाह पूर्व ही अनेक संस्कार आरोपित किए जाते हैं। यद्यपि वे सारे के सारे विवाह के ही अंग माने जाते हैं। जैसे-हल्दी चढ़ाना, तैल चढ़ाना, कन्या पूजन, गाना ब
प्रत्येक शख्स किसी खास मकसद से इस दुनिया में आया है, यदि आप सिंगल हैं तो इस का तात्पर्य यह है कि संभवतया अकेले रह कर ही आप अपना मकसद पा सकती हैं। तभी आप को सोच और परिस्थितियां इस के अनुरूप हैं यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में आप स्वयं शादी के बंधन में बंध जाएं। मगर जब तक सिंगल हैं अपने इस स्टेटस
बस यार बहुत हो गया, दो साल से ज्यादा हो गये, अब नही सहा जाता, अब लगता है तलाक देना ही पड़ेगा, किन्तु बच्चों के बारे में सोचकर असमंजस में पड़ जाता हूँ। इस तरह बोलकर विनय चुप हो गया और उसकी आंखे भर आयी।यह कहानी है मेरे प्रिय मित्र विनय की। विनय और रीमा का विवाह १० साल पहले धूम-धाम से हुआ था I दोनों कॉले