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सभी पाठकों को मेरा प्रणाम  । एक बार फिर हाजिर हूं, इस शिक्षाप्रद

     "इन आंखों को तलाश तेरी "😏😏😏


अब आगे.....

शिक्षा से संसार चमकता है, युग-युग आगे बढ़ता है ।

अंध-कूप से निकला मानव, कदम चांद पर रखता है

शादी का दिन आ ही जाता हैं।मेहमानों का आना शुरू हो जाता हैं।साज-सज्जा,पकवानो को देखकर मन में अनग

hello dosto jaldi hi mai apke samne present krugi ek khubsurt horrer love story , kya aap uske

  "इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏



अब आगे...

       "इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏


अब आगे....

हर मुश्किल का हल हैं पापा.
कमज़ोरी में संबल हैं पापा.
पापा ने ही संवारा जीवन,
मेरा आ

 भास्कर रेलवे में क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त होकर देहरादून

भाग-2 (चन्दन बाबू और चोटी वाली लड़की)

वहाँ से चले तो आए

बाबू चंदन 

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अनुक्रम

इस दुनिया में कहीं खो से गये हैं हम
अपनी सुध है ,न जमाने की
दस्तूरों का क्य

lलग्न म्हणजे काय असतं....???
तो<

नाम अपना काम दुसरों का!

यही लोगो की पहेचान है!

(3)
सुनैना आयने के सामने बैठी अपने रूप को निहार रही हैं।तरह-तरह की बिन्दी लगाके देख च

रंगो की होली है, घुलते सब रंग।

राखी रक्षा–बंधन वाली,

यूं सताओ ना मेरी ख्वाहिशें मेरे ही ख्वाबों में आकर,


यक़ीनन

अब

बच्चें अपने कमरें में बैठकर बातें कर रहे है।नज़र दरबाजे पर टिकी है।
भानवी:-दीदी दीदी !

पात्र
कृपा:-(1)वृंदा(2)भानवी(3)द्रुपत(4)किसना
द्रोण:-(1)निशान्त(2)प्राग्रिय

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