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परिवार

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भाग-2 (चन्दन बाबू और चोटी वाली लड़की)

वहाँ से चले तो आए

बाबू चंदन 

*************

अनुक्रम

इस दुनिया में कहीं खो से गये हैं हम
अपनी सुध है ,न जमाने की
दस्तूरों का क्य

lलग्न म्हणजे काय असतं....???
तो<

नाम अपना काम दुसरों का!

यही लोगो की पहेचान है!

(3)
सुनैना आयने के सामने बैठी अपने रूप को निहार रही हैं।तरह-तरह की बिन्दी लगाके देख च

रंगो की होली है, घुलते सब रंग।

राखी रक्षा–बंधन वाली,

यूं सताओ ना मेरी ख्वाहिशें मेरे ही ख्वाबों में आकर,


यक़ीनन

अब

बच्चें अपने कमरें में बैठकर बातें कर रहे है।नज़र दरबाजे पर टिकी है।
भानवी:-दीदी दीदी !

पात्र
कृपा:-(1)वृंदा(2)भानवी(3)द्रुपत(4)किसना
द्रोण:-(1)निशान्त(2)प्राग्रिय

आसमान से उतर,,, जब नीचे आया ,,, तो देखा ,, पैर रखने को ज़मीन ही नहीं।।।।

नमस्कार मित्रों,

आप सभी ने

नमस्कार मित्रों

भारत वर्ष में नारी को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं जो कि उसको अबला से सबला ब

दिल ही जानता हैं बस
ये
कितनी दुवाओं के बाद
मिली हैं जिंदग



(पति पत्नी से )

चलो कुछ पल साथ बि

न जाने इंतजार कब तक
बैठा हूं राहों में कब से
आंख तरस गयी
एक नज़र

जीवन , जीवन को हम कई तरीके से अपने हिसाब से जी सकते हैं पर जीवन जीने के भी बहुत से हिसाब होते ह

जीवन में बहुत से रगं होते है और उन्ही से जीवन रंगीन बनता है हर रंग का अपना अलग महत्व होता है जै

     रंगमंच


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