मौत से हमेशा डरता था मैं,
मरने से नही, बस ख्याल ये रहता था कि मौत के बाद कैसा लगता होगा
CHAPTER 1
सुबह की दस बज चुकी थी। लेकिन माया अभी तक नहीं उठी थी। वह ऐसे सोई थी जैसे
कल्याणी जी - स्वाति तुम्हारे ऑफिस के रास्ते में मेकअप करने वाली का घर
पहाड़ों पर बसा मनाली की सुंदरता हर किसी को अपनी ओर खींच लेता ह
मनाली के एक छोटे से शहर में एक छोटा सा मगर सुंदर से सजाया गया घर ,जिस
शीर्षक :---दूसरी माँ
मोनिका गर्ग
सानू माँ का लाड़ला जहाँ भी र
English विंग्लिश
ये फ़िल्म कुछ ऐसी चुन
इन दिनों हमारे चारों तरफ बहुत तनाव है। अधिकांश लोग कार्यालय में समस्याओं, रिश्तों में मुद्दों और
आज बात पहले रियल लाइफ की करते है , आज के न्यूज़ पेपर में आया था कि एक पिता अपने बेटे के गम को बर्दाश्त नहीं कर सका इसलिए वह अपने परिवार के साथ आत्महत्या कर लेता हैं , हम मानते हैं कि किसी मौत का गम इतना होता कि इंसान अपना सुध - बुद्ध खो बैठता हैं लेकिन क्या उसे ये सब करना चाहिए था , जबकि उनकी दो ब
रील लाइफ में एक सीरियल आता है छोटी सरदारनी जिसमें एक लड़की की शादी ऐसे लड़के से होती है जिसके एक बेटा होता है परम , वो लड़की उसकी सौतेली माँ होते हुए भी उसे सगी माँ सा प्यार और दुलार देती है , उस बच्चे को अपना समझती है और अपने बच्चे और सौतेले बच्चे में कोई फर्क नहीं करती हैं अब बात
अकेले ही आया था वह इस धरा पर,जाएगा भी अकेले ही इस धरा से; सबसे पहले मां साथ आयी,फिर पिता ने हाथ पकड़ा,और बाद में जुड़ गया परिवार से।थोड़ा बड़ा हुआ आसपड़ोस का हुआ सामना,कभी इस घर तो कभी उस घर खेलने लगा ;और बड़ा होने पर स्कूल में प्रवेश के साथ
5 मििजाने कितने वर्षों से वह बरगद का वृक्ष उस चौपड पर खड़ा अतीत की न जाने कितनी घटनाओं का साक्षी था, न जाने कितने जीव-जंतुओं, पथिकों की शरणस्थली था। आज उदासी से घिरा था, वर्तमान परिवेश में उसे अपने ऊपर आने वाले संकट का एहसास था, लोगों की बदली हुई मानसिकता ने उसे हिला
पता नहीं ये जो कुछ भी हुआ, वो क्यों हुआ ?पता नहीं क्यों मैं ऐसा होने से नहीं रोक पाया ?मैं जानता था कि ये सब गलत है।लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं कर पाया।आखिर मैं इतना कमजोर क्यों पड़ गया ?मुझमें इतनी बेबसी कैसे आ गयी ?क्यों मेरे दिल ने मुझे लाचार बना दिया ?क्यों इतनी भावनाएं हैंइस दिल में ?क्यों मैंने अ
*गुम हो गए संयुक्त परिवार**एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की छनकती पायल और खनकते कंगन बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था ।*आज बेटा बाप से बड़ा हो गया
भुला दिए गये फिरोज गांधी डॉ शोभा भारद्वाज 12 सितम्बर 1912 स्वर्गीय इंदिरा जी के पति ,राजीव गांधी,संजय गांधी के पिता , वरुण गाँधी ,राहुल एवं प्रियंका गांधी के दादा थे फिरोज गांधी का जन्मदिन था 8 सितम्बर 1960 को 48 वर्ष की उम्
सुनो छोटी सी गुड़िया की नन्ही कहानी...सच में एक ऐसी मासूम कहानी जो आज पूरे देश में सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हो गई। अमर उजाला ने शुक्रवार के अंक में एक मासूम बच्ची की खबर फोटो के साथ प्रकाशित की थी। जिसमें उस मासूम बच्ची की जिद थी कि उसकी गुड़िया के पैरों पर प्ला
बेटा हो या बेटी आज युवाओं की ये सोच बन गई है की उनकी शादी ऐसे इंसान हो जिसके बारे में वो पहले से जानते हों या उससे पहले से परिचित हों। जब तक मां बाप लड़के और उसके परिवार के बारे में जान नही लेते अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में नही देते।आज के बच्चे अपने माँ-बाप को समय से पिछड़ा हुआ समझते हूं इस कारण वो
आज बहुत बड़ी संख्या में छोटे बच्चे psychologist के पास जा रहे हैं. आज कम उम्र ही जब हम जानते भी नहीं थे की स्ट्रेस क्या है छोटे बच्चे जरा-जरा सी बात पर स्ट्रेस की स्थिति में आए जाते हैं.आखिर teenage की समझ को कैसे समझा जाये. कैसे छोटी उम्र के बच्चों को नाराज़ होने से बचाया