22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह आयोजित किया जाना है। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा। जैसे-जैसे यह दिन नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे दिलचस्प प्रकरण शुरू होने लगा है। वे राजनेता और बुद्धिजीवी तथा फिल्म व खेल सम्राट जो कल तक इसे बीजेपी की हिंदू तुष्टिकरण की नीति मान रहे थे, वे भी अब प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं।
500 वर्ष बाद मर्यादा पुरुषोत्तम और हिंदू लोक मानस के भगवान राम उस जगह पर पुनः बिराजेंगे जहां उनका जन्म हुआ था। 1528 ईस्वी में अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान मंदिर को तोड़ तोड़ कर बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण कराया था।यह मंदिर उसने बाबर के कहने पर तोड़ा था, और इस आशय का एक पत्थर भी वहां लगवा दिया था, इस वजह से इसे बाबरी मस्जिद कहा जाता था। इसके बाद से लगातार इस स्थान पर मंदिर बनवाने के लिए राम भक्तों का आग्रह रहा।
जावेद अख्तर ने भी बदला बयान
जावेद अख़्तर ने अजंता एलोरा समारोह में कहा है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह दुनिया का सबसे बड़ा समारोह है, इसलिए इस पर हंगामा करने का कोई अर्थ नहीं है।भगवान राम और सीता को उन्होंने न सिर्फ हिंदू देवी-देवता कहा बल्कि उन्हें संपूर्ण भारतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत बताया।जावेद अख़्तर के बयान से खुद को सेकुलर बताने वालों के मुंह धुआं हो गए हैं।इसलिए हर कोई राम मंदिर के समारोह में जाने को बेचैन हैं।
राजनीतिक दलों के नेता तथा तमाम फिल्मी कलाकारों को न्योता देने से विवाद बढ़ा है। ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर और महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट को न्योतने से ट्रस्ट की कार्यशैली पर उंगली उठने लगी है। समारोह में वे तमाम लोग नहीं बुलाये गये जो राम मंदिर आंदोलन में जेल गये और बलिदान हुए। हालांकि जब पूरा देश राममय हो उठा हो तो वे सारे लोग मुंह से राम-राम जपने लगे हैं, जो कल तक राम मंदिर आंदोलन को कार सेवकों का उन्माद बता रहे थे।