अमीर खानदान के चिराग, सुमित के लिए उसकी जोड़ की लड़की तलाशने के नाम पर, लड़कियां देखने की रस्म निभाते निभाते ,पूरे कुनबे ने लड़की देखने के नाम पर एक से एक सुंदर और कार्य कुशल लड़कियों में भी कमियां ही कमियां निकाली, सुमित और सुमित के परिवार वालों ने ।
कुछ खास ,सबसे सुंदर ,घर संभालने वाली , सुमित के साथ जचें, और अमीर परिवार से भी हो, जिससे बडे लोगों के बीच उठने बैठने का सलीका भी हो, घर के काम काज के साथ सबके साथ तालमेल भी बैठा ले, पता नहीं कौन-कौन से सपनों में जी रहे थे ,सुमित के परिवार वाले ।
पढ़ा-लिखा कर, इंजीनियर बना दिया था ।
सुंदर लंबा हष्ट पुष्ट था सुमित ।घर के लाडले बेटे पर किसी भी जिम्मेदारी का बोझ ना डाला परिवार ने, और साथ में उस दिनकर परिवार के बेटे की सबसे बड़ी खूबी ,चार बहनों में इकलौता बेटा था ।
लड़की देखने की रसम निभाते निभाते कितनी लड़कियों को रिजेक्ट कर लड़की और लड़की वालों के परिवार की कोमल भावनाओं को कुचल आए ।
इसका अंदाजा भी ना रहा सुमित के परिवार वालों को किसी का मन दुखाने के फल स्वरुप कितना कुछ अपने साथ दबे पाव ले आए थे ।
आखिरकार सुमित को लड़की पसंद आ ही गई । धनाढ्य परिवार की इकलौती लाडली थी ।
अब परिवार को जल्दी से जल्दी विवाह की जल्दी थी, कहीं रिश्ता ना निकल जाए हाथ से ।बहुत आधुनिक हो चला था सुमित का परिवार, पर परंपराओं के लबादे ने अभी भी जकड़ रखा था ,सुमित को और सुमित के परिवार वालों को। सभी रस्मो रिवाज के साथ अपने मम्मी पापा की इकलौती लाडली बेटी सुधा सुमित की पत्नी बन कर आ गई ।
सुमित की पत्नी बन कर आते ही बहू से उम्मीदों की गठरियां खुल गई ,परिवार वालों की ।किसी की चाची, ताई ,भाभी , देवरानी जेठानी नए-नए रिश्तो की तामझाम में उलझ सी गई प्यारी सुधा अपने पापा की लाडली बेटी ।पापा की लाडली सुधा के हर अरमान सुधा के सोचने से पहले ही पूरा कर देते पापा ।
पापा ने अपनी लाडो से दूर होने की कल्पना को शादी को यादगार बनाने के तामझाम के तले कुछ दिनों के लिए दबा दिया ।पापा को बेटी से ज्यादा बेटी की पसन्द मालूम थी ।
बचपन से पापा के लाड में पनपी थी,
सुधा की मम्मा बेटी को कुछ जीवन की सच्चाई से रूबरू कराने की कोशिश करती और जिम्मेदारियों के बारे में सिखलाना चाहतीं, तो पापा बेटी दोनों मिलकर मम्मा को अपनी नसीहत पास में रखने की सलाह दे देते ।
हर उम्मीद पर खरा करना आसान नहीं रहा पापा की लाडली बेटी सुधा के लिए ।सुधा की ससुराल वाले कहने को तो अपने आप को मॉडर्न कहते ,पर बहू से उम्मीदें अभी परंपरा का ही निर्वाह कर रही थी ।चाय बनाने गई सुधा को मम्मी पापा के बीच की बातें बहुत याद आने लगी, जब भी सुधा से मां कहती ,बेटा छोटा मोटा काम आना बहुत जरूरी है ,तभी पापा मां को भी समझा देते, मेरी बेटी को काम करने की क्या जरूरत, पढ़ा लिखा कर मैंने बहुत ऊंची पोस्ट पर अपनी बेटी को देखने का सपना इसके बचपन से ही देखा था, उस सपने को मेरी बेटी ने अपनी लगन से पूरा कर दिखाया ,अपने आप इतनी अच्छी सैलरी ले रही है ,मेरा भी सब कुछ सुधा का ही है ,हर काम के लिए नौकरों की लाइन लगा दूंगा ।
सुधा की मां मायूस होकर कहती ,नौकरों से भी काम तभी करवाया जा सकता है जब खुद आता हो ।
शादी की बात तय होते ही ,मां बड़े प्यार से सुधा को कुछ सिखाने के लिए बुलाती ,बेटा मेरे पास तो आकर खड़ी हो जा पर सुधा को हमेशा मां की बातें पिछड़ी नजर आतीं। ससुराल में अब सुधा को याद आ रहा है ,मां ने मेरी अटैची में लाल शनील के पर्स में कुछ दिया था, और कहा था जब कभी फुर्सत मिले तो उसको देखना ।
यह याद कर सुधा की उस पर पर्स देखने की उत्सुकता या यूं कहें बेचैनी बढ़ गई ।
जब अपने सामान में से उस पर पर्स निकालकर सुधा ने खोला ,तो उसमें एक गुलाबी कागज में मां की लिखावट को पाया।
मेरा कोहिनूर !
पढ़कर सुधा को याद आया मां उस को बचपन में ,मेरा कोहिनूर कहकर ही बुलाती थी ,
मेरा कोहिनूर
आज बड़ा हो गया ,तुझ में तो मेरी आत्मा बसती है ,मेरी धड़कन है मेरा कोहिनूर ।
कभी भी अपनी मम्मी को अपने से दूर मत समझना, मां बेटी का तो दिल का रिश्ता होता है ।अब तुम एक स्त्री हो, स्त्री के हाथों में भगवान ने एक कला दे रक्खी है ,कि वह जिस काम को दिल से चाहे ,तो उसको पूरा जरूर करके ही मानती है ।उसके भीतर सीखने के लिए लगन कुदरती होती है ।शादी के बाद सब की अपेक्षाओं पर खरा उतरना आसान ना होगा तुम्हारे लिए ,पर थोड़ा धैर्य से काम लोगी, तो कभी कोई काम मुश्किल भी ना लगेगा ,कोई काम अगर समझ ना आए तो किसी भी बड़े से जी लगाकर थोड़ी सहायता ले लेकर सीखकर करना। तुम मेरी बेटी हो मुझे विश्वास है घर गृहस्थी की परीक्षा में भी खरी उतरोगी ।तुम और तुम्हारे पापा हर छोटी छोटी बात पर मुझे आवाज देते हो ,अब यही परीक्षा तुमको चेहरे पर सदैव प्रसन्नता रखते हुए पास करनी है ।जब तुम एक उच्च पद पर बड़ी लगन और मेहनत से पहुंच सकती हो ,तो घर के लोगों के दिलों में जगह बना ही लोगी ।
कभी किसी समय अकेली अपने को समझो ,तो मेरे साथ मानसिक रिश्ता निभाते हुए ढेरों बातें मन ही मन कर लेना, अपने आप चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी ।किसी भी काम को वोझ समझोगी तो वह बोझ लगेगा ,और हो जाएगा सोचकर, शुरू करोगी तो वह काम होकर ही रहेगा ।ससुराल के लोगों को अपने मधुर स्वभाव से अपना बना कर अपनाना ,अपने अपने ही होते हैं ।
मेरा प्यारा कोहिनूर हमेशा चमकता दमकता रहे ।
तुम्हारी स्वीट मॉम
बचपन में जब स्कूल से सुधा आती ,तो मां को स्वीट मॉम ,स्वीट मॉम कहकर पुकारती थी ।अपनी मां के खत को पढ़कर सुधा को, आंखों में नमी महसूस हुई ।बार-बार ना जाने कितनी बार सुधा ने अपनी मां के प्यार भरे खत को पढा और अपने भीतर कुछ मजबूती और ताजगी महसूस की ।आज सुधा की मां ने सुधा की अपेक्षाओं को अपने प्यार भरी लिखावट से संबल प्रदान किया
मां के खत को पढकर सुधा का मन मां के पास पहुंच कर बहुत सारी बातें करने का होने लगा ।