उठो देव जागो देव उठो देव जागो देव, पाँवड़ियाँ चटकाओ देव सिंघाड़े का भोग लगाओ देव, गन्ने का भोग लगाओ देव मूली और गुड़ का भी आओ मन भर भोग लगाओ देव चार महीने के सोए देव जागो जागो जागो... देव उठेंगे
मांगू तुमसे पूजा में , यही छठ मैया।पार लगाना, सबके जीवन की नैया।।मांगू तुमसे पूजा में------------------।।यही सोचकर तेरा व्रत, मैया मैंने रखा है।जगत का कल्याण मैंने, तुझमें देखा है।।करना सबका उपकार,बनक
हमारे नगर में छठ पर्व की रौनक भगवान सूर्य के प्रति श्रद्धा में लिप्त छठ महापर्व पूर्वांचल वासियों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है ।श्रद्धा में भक्त भूख प्यास को भूल छठ मैया की पूजा में पूर्णतय
🙏🙏🙏गोबर्धन पूजा 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️🌹🌹🌹🌹🌹दुनिया में पर्वत बहुत है मगर ,बस गोवर्धन ही इकलौता है ,श्री गिरधर की शोभा बढ़ाते ,तभी से पूजन की उनकी न्यौता है ।प्रलय सा वर्षा प्रारंभ हुआ जब ,गिरधर ने उन
दीपावली पर ऐसा भी होता है।कहीं खुशी तो कहीं गम होता है।।धनवान इस दिन खुश होता है।बिना धन वाला उदास होता है।।दीपावली पर --------------------।।नहीं होती फुरसत इस पल पर।डूबे रहते हैं जश्न में लोग रातभर।।
अन्नकूट का महत्व दीवाली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है । गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है । गोवर्धन पूजा का महत्व और बढ़ जाता है गोवंश की पूजा कर चौपायो को
कहीं अंधेरा, कहीं कुहासा।रीता मन, चहुं ओर निराशा।।किस्मत के भी खेल निराले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...सीमित तेल, लरजती बाती।अन्तर का भूचाल दिखाती।।इस विचलन को कौन संभाले।'दिया' कहां तक भरे उजाले।।...
हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों द्वारा अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। ये उत्सव, त्यौ
एक दिन की बादशाहत, आज करवा चौथ है।शान्ति,सुख,पद,हक,इनायत,आज करवा चौथ है।।...रोजमर्रा का अहम,जिद,लालसा,रुख,शान तज।आज ओढ़ी है शराफत,आज करवा चौ
बैग पैक हो गए ,शाम की बस थी , घर जाने की ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नही था , होता भी क्यों नही ये त्यौहार ही तो होते है जिसमे घर जाने के लिए शायद की गुंजाइश नहीं होती है इसीलिए तो एक त्योहार के जाते ह
Aa gai saptami,ab hogi asthmi Fir bhi dekho jeevan me ,rah gai koi kami Ayegi navmi ,fir ayega dusshara Fir bhi meri ankho me abhi bhi hi kuchh bhara Shayad jb aye diwali Mere jeevan m ho khushha
प्रकृति मे विभिन्न रंग होते है।कभी सुखद कभी दुखद।जबप्रक्रिति अपने संतुलन को बचाने के लिए रोद्र् रूप धारण करत है तो उसे प्रकृतिक् आपदा कहते है।मानव् इससे बचने के लिए अनेक उपक्रम करता है पर अंत मे जीत प
आज नवरात्र सिर्फ साधु-सन्यासियों की शक्ति साधना पर्व ही नहीं अपितु आम लोगों के लिए अपनी मनोकामना, अभिलाषा पूर्ति और समस्याओं के समाधान के लिए देवी साधना कर कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्ति का सौभाग्यद
रसोई से आती विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों की मनभावन गंध और माँ की स्नेह भरी आवाज ने घर से बाहर जाते नीरज के कदमों को सहसा रोक लिया |'' आज तुम्हारे दादा जी पहला श्राद्ध है बेटा ! इसलिए उन्हें समर्प
रविवार 25 सितम्बर को पितृविसर्जनी अमावस्या यानी महालया है और उसके दूसरे दिन यानी सोमवार 26 सितम्बर आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाएँगे | महालया अर्थात पितृविसर्जनी अमावस्या को
बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं, तो उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। उनके अपने-अपने खेल-खिलौनें होते हैं, जिनमें वे दुनियादारी के तमाम झमेलों से कोसों दूर अपनी बनायी दुनिया में मस्त रहते हैं। इसीलि
हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है।
वाराह काल और वाराह जयन्ती भाद्रपद शुक्ल तृतीया यानी मंगलवार तीस अगस्त को हरतालिका तीज का व्रत और भगवान् विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार वाराह अवतार की जयन्ती का पावन पर्व है | दोनों पर्वों
भाद्रपद शुक्ल पञ्चमी ऋषि पञ्चमी और पर्यूषण पर्व सोमवार 29 अगस्त, भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को हरतालिका तीज का व्रत आरम्भ होगा और तीस अगस्त को उसका पारायण किया जाएगा | उसके बाद बुधवार 31 अगस्त से श्र
विश्व एक बहुत बड़ी महामारी से गुजर रहा हैं इसके चलते हमारे शहर में भी धारा 144 लगी हैं ,चार साथी एक जगह इकठ्ठा नहीं हो सकते । जरूरत पड़ने पर बाहर जाने की अनुमति है, वरना अनुमति नहीं है