🙏🙏🙏गोबर्धन पूजा 🙏🙏🙏
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दुनिया में पर्वत बहुत है मगर ,
बस गोवर्धन ही इकलौता है ,
श्री गिरधर की शोभा बढ़ाते ,
तभी से पूजन की उनकी न्यौता है ।
प्रलय सा वर्षा प्रारंभ हुआ जब ,
गिरधर ने उन्हें धारण किया ,
नगर समाज पशु पक्षियों को ,
नवजीवन उन्हें प्रदान किया ।
उंगली पे सुशोभित गोर्वधन ,
मधुर मुरलीया बाज रहीं ,
एक पैर पर खड़े गिरधर ,
वो साहस उनकी राज रहीं ।
गोर्वधन की छत्रछाया ने ,
नवजीवन का प्रारंभ किया ,
आशीष मिला श्री गिरधर की ,
गोवर्धन पूजन का सुरूवात किया ।
हुआ खंडित अहंकार इन्द्र की ,
श्री गिरधर सम्मुख नतमस्तक हुए ,
धन्य धन्य हे गिरधर गोपाला ,
कृतार्थ समुच्चय प्राणि हुए ।
गोवर्धन की गोद में सिमटे ,
एक एक सभी नर नारी ,
सम्मिलित भाई बहन के उत्सव ,
देख देख हर्षित भये मुरारी ।
गोवर्धन की मान बढ़ाया तुमने ,
गौ पालन की महिमा अपार ,
गोपाल नाम के प्रसिद्धि पाई ,
गुणगावत है जग संसार ।
गोवर्धन गौपूजन को गिरधर धावत,
गौ महिमा गिरधर सुनावत ,
संग संग ग्वाल सब हाथ बढ़ावत ,
सारी रचनाएं मुग्ध गुणगावत ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल २७.१०.२०२२.