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विचार.

hindi articles, stories and books related to vichar.


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अजीब विरोधाभास है शब्दों में। अजीब द्वंद्व है शब्द भरोसे में, विश्वास में, आस्था में, घृणा में, प्रेम में। दरअसल शब्दों का कार्य है एक खास तरह के विचार को प्रस्तुत करना। किसी मनःस्थिति, परिस्थिती, भाव , वस्तु , रंग, दिशा, दशा, जगह, स्थान, गुण, अवगुण इत्यादि को दर्शाना। शब

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*सनातन धर्म में ब्रह्मा , विष्णु , महेश के अतिरिक्त तैंतीस करोड़ देवी देवताओं की मान्यता है , इनके साथ ही समय-समय पर भगवान के विभिन्न अवतारों का वर्णन मिलता है | प्रश्न यह है कि जब परमात्मा के द्वारा बनाई हुई सृष्टि उन्हीं के अनुसार चल रही है तो भगवान को अवतार लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी | भगवान के

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*इस संसार में जीवधारियों को तीन प्रकार से कष्ट होते हैं जिन्हें त्रिविध ताप कहा जाता है | ये हैं - आध्यात्मिक, आधिभौतिक तथा आधिदैविक | सामान्यतः इन्हें दैहिक, भौतिक तथा दैविक ताप के नाम से भी जाना जाता है | इस शरीर को स्वतः अपने ही कारणों से जो कष्ट होता है उसे दैहिक ताप कहा जाता है | इसे आध्यात्मिक

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हिन्दीपञ्चांगगुरुवार,25 अक्टूबर 2018 – नई दिल्लीविरोधकृतविक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन सूर्योदय : 06:28 पर तुलामें / स्वाति नक्षत्र सूर्यास्त : 17:42 पर चन्द्र राशि : मेष चन्द्र नक्षत्र : अश्विनी 09:26 तक, तत्पश्चात भरणी तिथि

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*नवरात्र के पाँचवे दिन स्कन्दमाता का पूजन किया जाता है ! कार्तिक कुमार का एक नाम स्कंद भी है इसीलिए भगवती को "स्कन्दमाता" कहा गया है | माता शब्द ऐसा है जिसका वर्णन कर शायद किसी के वश की बात नहीं है | मानव जीवन में माता का सर्वोच्च स्थान है | जीव के गर्भ में आते ही एक माता उसके प्रति कर्तव्य प्रारम्भ

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*सनातन धर्म की दिव्यता का प्रतीक पितृपक्ष आज सर्वपितृ अमावस्या के साथ सम्पन्न हो गया | सोलह दिन तक हमारे पूर्वजों / पितरों के निमित्त चलने वाले इस विशेष पक्ष में सभी सनातन धर्मावलम्बी दिवंगत हुए पूर्वजों के प्रति श्रद्धा दर्शाते हुए श्राद्ध , तर्पण एवं पिंडदान आदि करके उनको तृप्त करने का प्रयास करते

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*पराम्बा जगदंबा जगत जननी भगवती मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी | जिसका अर्थ होता है तपश्चारिणी अर्थात तपस्या करने वाली | महामाया ब्रह्मचारिणी नें घोर तपस्या करके भगवान शिव को अपने पति के रुप में प्राप्त किया और भगवान शिव के वामभाग में विराजित होकर के पतिव्रताओं में अग्रगण्य बनीं | इसी प्र

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*हमारे सनातन ग्रंथों में इस संसार को मायामय के साथ साथ मुसाफिरखाना भी कहा गया है | मुसाफिरखाना अर्थात जहां यात्रा के अंतर्गत एक - दो रात्रि व्यतीत करते हैं | कहने का तात्पर्य यह संसार एक किराए का घर है और इस किराए के घर को एक दिन छोड़ कर सबको जाना ही पड़ता है | इतिहास गवाह है कि संसार में जो भी आया

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*मानव समाज में एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण करने का कृत्य होता रहा है | जबकि हमारे आर्ष ग्रंथों में स्थान - स्थान पर इससे बचने का निर्देश देते हुए लिखा भी है :- "परछिद्रेण विनश्यति" अर्थात दूसरों के दोष देखने वाले का विनाश हो जाता है अर्थात अस्तित्व समाप्त हो जाता है | इसी से मिलता एक शब्द है "निंदा" |

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*इस सृष्टि में माननीय व्यक्तित्व के तीन आयाम सर्वविदित हैं :-- शरीर , मन एवं आत्मा | शरीर को पोषण देने के लिए आहार की , प्राणवायु की आवश्यकता पड़ती है | अन्न , जल एवं वायु ना मिले तो शरीर को लंबे समय तक जीवित रख पाना संभव नहीं हो पाता है | मन को पोषण देने के लिए सद्विचारों की , सद्भावनाओं की जरूरत

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जीवन में नियम पालन करना - अनुशासित होना - वास्तव में आवश्यक है - उसी प्रकार जिस प्रकार सारी प्रकृति नियमानुसार कार्य करती है... रात दिन अपने समय पर होते हैं - ये एक नियम है... सूरज चाँद तारे सब अपने अपने समय पर प्रकाशित होते हैं - ये भी एक नियम है... ऋतुएँ अपने समय पर ही परिवर्तित होती हैं - ये भी ए

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27 नक्षत्रों का हिन्दी महीनों में विभाजन तथाहिन्दी माहों के वैदिक नामपिछले अध्यायमें चर्चा की थी 27 नक्षत्रों की और उनके नामों का उल्लेख किया था | जैसाकि पहले भी लिखा है कि जिस हिन्दी माह की शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को जिस नक्षत्रका उदय होता है उसी के आधार पर उस माह का नाम

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