जीवन में नियम पालन करना - अनुशासित होना - वास्तव में आवश्यक है - उसी प्रकार जिस प्रकार सारी प्रकृति नियमानुसार कार्य करती है... रात दिन अपने समय पर होते हैं - ये एक नियम है... सूरज चाँद तारे सब अपने अपने समय पर प्रकाशित होते हैं - ये भी एक नियम है... ऋतुएँ अपने समय पर ही परिवर्तित होती हैं - ये भी एक नियम ही तो है... जन्म-ज़रा-मृत्यु सबका अपना एक समय निश्चित होता है - ये सब एक नियम के अन्तर्गत ही चलता है - एक अनुशासन में बंधा... जिस दिन ये नियम टूटा - अनुशासनहीनता हुई - उसी दिन अनर्थ हो जाता है... कहीं बाढ़ - तो कहीं सूखा - तो कहीं भूकम्प - तो कहीं किसी प्रकार की महामारी - तो कहीं कुछ और उपद्रव...
मनुष्य उसी अनुशासित - नियमों में बंधी - प्रकृति का एक अंग ही तो है, तो उसके लिए भी अनुशासित होना उतना ही आवश्यक है... लेकिन इस अनुशासन को तब तक नहीं समझा जा सकता जब तक हम नियमों में बंधी प्रकृति में खो नहीं जाते... उसके साथ एकाकार नहीं हो जाते... तो आइये प्रयास करें नियमों में बंधी इस प्रकृति के साथ एकरूप हो जाने का...
हम सभी पकृति के साथ एकाकार होते हुए नियमानुसार अपने कर्तव्य कर्म करते रहें... सभी का आज का दिन मंगलमय हो...