हमें कुछ भी कर्म करते हुए सबसे पहले स्वयं विचार करना चाहिए कि जो भी हम कर रहे हैं वह कर्म ऐसा न हो जिसे हम भुला पाने में असमर्थ हों | ईश्वर हर अनुचित कृत्य के लिए व्यक्ति को क्षमा कर सकता है, किन्तु व्यक्ति को इतनी सामर्थ्य नहीं देता कि वह स्वयं को क्षमा कर सके | अतः हमें कभी भी ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जिसके लिए हम स्वयं को क्षमा न कर सकें | इसीलिए यदि किसी के प्रति भूल से भी कोई अपराध हो भी जाए तो उसके लिए आगे बढ़कर स्वयं ही हृदय की गहराइयों से क्षमायाचना कर लेनी चाहिए | सभी का आज का दिन मंगलमय हो...