एक नवीतनम वैश्विक सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई है कि भारत सहिष्णु देशों की सूची में चौथे नंबर पर काबिज है। अमेरिका और फ्रांस जैसे देश इस सूची में भारत से कहीं पीछे हैं। इस सर्वे में लोगों ने कई कारण गिनाए जिन वजहों से समाज में असहिष्णुता पैदा होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में सत्ता संभाली थी तो उसके कुछ समय बाद ही देश में सहिष्णुता (टॉलरेंस) बनाम असहिष्णुता (इनटॉलरेंस) को लेकर एक बहस सी छिड़ गई थी। लेकिन वैश्विक मंच से भारत के लिए अब एक अच्छी खबर आई है। एक सर्वे में यह बात निकलकर आई है कि भारत दुनिया के सहिष्णु देशों में चौथे नंबर पर मौजूद है। इस सर्वे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे देश भारत से कहीं पीछे हैं।
इस सूची में पहले स्थान कनाडा है, जबकि दूसरे नंबर पर चीन और तीसरे नंबर पर मलेशिया है जबकि हंगरी सबसे नीचे है। इप्सोस मोरी नाम की एक वैश्विक संस्था द्वारा किए गए सर्वे में 27 देशों ने हिस्सा लिया था। 27 देशों में किए गए इस सर्वे में लगभग 20, 000 लोगों से बातचीत की गई और लोगों से पूछा कि उनका समाज, देश कितना बंटा हुआ है। सर्वे के मुताबिक, 63 फीसद भारतीयों ने माना कि उनके देश में अलग पृष्ठभूमि, संस्कृति और विचारों के प्रति लोग बहुत सहिष्णु हैं।
सर्वे में शामिल लोगों ने ने तनाव की मुख्य वजह राजनीति क मदभेद माना जबकि अमीर और गरीबी का अंतर दूसरा तथा देश के मूल निवासियों और प्रवासियों के बीच मदभेद को तीसरा मुख्य कारण माना। सर्वे के मुताबिक भारत के 49 फीसदी लोग मानते हैं कि अलग-अलग राजनितिक विचारों के कारण तनाव पैदा होता है जबकि 48 फीसद लोगों को इसकी वजह धर्म लगता है। वहीं हंगरी के लोग अपने देश को सबसे असिष्णु मानते हैं। दुनिया के तीन चौथाई लोगों मानना है कि उनके देश में समाज पहले की अपेक्षा ज्यादा बटा हुआ है। विशेष रूप से यूरोपीय देशों के लोग मानते हैं कि उनके देश में पिछले 10 वर्षों के दौरान असहिष्णुता बढ़ी है।
आपको बता दें कि 2015 में देश में कथित रूप से बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर कई लोगों ने अपने पुरस्कार वापस लौटा दिए थे। जिसमें अलग- अलग क्षेत्रों के कई नामी-गिरामी लोग सहित फिल्म कलाकार भी शामिल थे।
भारत को असहिष्णु बताने वालों को करारा जवाब, सहिष्णु देशों की सूची में भारत को चौथा स्थान