बिहार का रोहतास जिला. यहां नासरीगंज नाम की जगह है. ईद के एक दिन पहले, यानी 15 जून की शाम की बात. यहां कुछ लोगों ने मिलकर एक पार्टी की. शायद आखिरी रोजा खत्म होने के जश्न में. डीजे बुलाया. डांस किया. खूब सारे लड़के थे इसमें. कई नाबालिग भी थे. बिना प्रशासन से इजाजत लिए जुलूस भी निकाला. खुलेआम. और गाना क्या बजाया? हम पाकिस्तानी मुजाहिद हैं, धरती के रखवाले. जान की बाजी खेल के, तुमको काट कर रख देंगे. गलती से जो ललकारेगा, तो गाड़ के रख देंगे ये इस तरह का इकलौता गाना नहीं था. इस तरह के और भी नफरत भरे गाने बजे. यूट्यूब पर ऐसा खूब कचरा भरा है. वहीं से लिंक करके गाने बजाए गए. आतंकवादी संगठनों के लिए जिंदाबाद के नारे लगाए गए. एक और चीज परेशान करने वाली है. कि इस तरह के आपत्तिजनक गानों की वजह से पूरे शहर में इस जुलूस की खबर फैल गई थी. मगर लोकल पुलिस दो दिनों तक चुप बैठी रही. कोई कार्रवाई नहीं की.
दो दिनों तक विडियो घूमता रहा, फिर पुलिस को खबर लगी
लोगों ने इस जुलूस का, इस गाने का विडियो बना लिया. वहां से ये सोशल मीडिया पर पहुंचा. दो दिनों तक सोशल मीडिया पर चलता रहा. शहर में इस जुलूस की बातें होती रहीं. लोगों ने आपत्ति जताई. पुलिस से शिकायत की. हंगामा हुआ, तब जाकर पुलिस ने हाथ-पैर हिलाए. विडियो का संज्ञान लेते हुए केस दर्ज कर लिया. नासरीगंज पुलिस थाने में. शुरुआत में 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई. अब पुलिस ने 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इनमें से तीन बालिग हैं. बाकी पांच नाबालिग लड़के हैं. अरेस्ट हुए लोगों में डीजे चलाने वाला आशीष कुमार, डीजे का ठेला चला रहा मुकेश कुमार, आयोजक राजा खान शामिल हैं. पकड़े गए लोगों पर राजद्रोह और माहौल खराब करने का मामला दर्ज हुआ है. पुलिस की तरफ से इस केस की जांच DSP राजकुमार सिंह को सौंपी गई है.
मुजाहिदीन का मतलब क्या होता है?
अरबी और फारसी, दोनों में ये मुजाहिद शब्द मिलता है. इसका मतलब क्या होता है? ऑक्सफर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, मुजाहिद मतलब ऐसा इंसान जो इस्लाम के लिए लड़ता है. यानी जब इस्लाम खतरे में हो. या इस्लाम का विस्तार करने के लिए. कट्टरपंथी इस्लामिक लड़ाकों के लिए ‘मुजाहिद’ और ‘मुजाहिदीन’ शब्द इस्तेमाल होता है. कोल्ड वॉर के समय अफगानिस्तान से रूस को भगाने के लिए अमेरिका ने जो प्लान बनाया था, उसमें मुजाहिदीनों की फौज खड़ी करने के आइडिया की बड़ी भूमिका थी. अमेरिका ने कट्टर इस्लामिक लड़ाकों को सपोर्ट दिया. उनके दिमाग में भरा कि वो इस्लाम बचाने के लिए सोवियत से लड़ें.
ईद के जश्न में ऐसे घटिया गाने?
ये लड़ने वाले खुद को मुजाहिदीन कहते थे. फिर इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाना शुरू हुआ. वहां से फिर ये मुजाहिदीन शब्द जुबां पर चढ़ता गया. आतंकवादी खुद को मुजाहिदीन कहने लगे. वो कहते थे कि वो जिहाद के लिए लोगों का खून बहा रहे हैं. उनके लिए जिहाद भले ‘धर्म युद्ध’ हो, मगर होता तो वो घिनौना आतंकवाद ही है. ईद का जश्न मनाने के लिए किए गए प्रोग्राम में इन लड़कों को मुजाहिदीन वाला गाना बजाने का आइडिया कहां से आया? जैसे गाने आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप में बजते हैं. ब्रेनवॉश करने के लिए. और किसको काटकर रख देने की धमकी दी गई?
बाकी कुछ बातें भी हैं, जिनकी तफ्तीश जरूरी है
पुलिस इस मामले की जांच तो कर ही रही है. इसके अलावा उसे ये भी देखना चाहिए कि क्या यहां लोकल लेवल पर किसी तरह का रेडिकलाइजेशन हो रहा है? क्या नाबालिगों और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोई साजिश चल रही है? और क्या ऐसा कोई प्रोपगेंडा सिस्टम है, जो ऐसे लड़कों के दिमाग में हिंदुस्तान के लिए जहर भर रहा है? उन्हें आतंकवाद की तरफ मोड़ने की कोशिश कर रहा है? ये बेहद जरूरी सवाल हैं. परेशान करने वाले सवाल. अगर ये विडियो सामने नहीं आता, तो हमें पता ही नहीं चलता. कि ये लड़के कितनी वाहियात चीजों पर मस्ती कर रहे हैं. अमेरिका जैसे देशों में अगर बच्चा कोई रेडिकल (कट्टरपंथी) चीज बोलता है, या कोई कट्टरपंथी बर्ताव करता है, तो पुलिस-प्रशासन उसके घरवालों की भी जांच करती है. क्योंकि उनका मानना होता है कि बच्चे ने खुद से तो सीखा नहीं होगा. जरूर उसने अपने आस-पास ऐसी कोई चीज देखी-सुनी होगी. ऐसी सतर्कता का मतलब परिवार को तंग करना नहीं होना चाहिए. लेकिन हां, सावधानी तो बरतनी ही चाहिए.
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