महिला होना इस मुल्क में बड़ा कठिन काम है. उस पर अगर आप पब्लिक फिगर हैं तो समझिए आपको चिकनी सड़क पर बिखरे केलों के छिलकों पर पांव रखकर गुज़रना है. आपसे थोड़ी सी नाराज़गी सीधे आपके चरित्र को कौरव सभा में उपस्थित करा देगी. फिर हज़ारों की तादाद में दुशासन आपका चीरहरण करते रहेंगे. ये अब पैटर्न सा बन गया है. अभी दो दिन पहले विद्या बालन ने किसी आर्मी जवान की बदसलूकी की शिकायत की. उतने भर से उनकी ‘सोशल मीडिया लिंचिंग’ हो गई. क्या कुछ नहीं कहा गया उनको! भद्दी से भद्दी बात खुलेआम बोली गई.
ऐसा ही कुछ हाल ही में भाजपा में शामिल महिला नेता रेशमा पटेल के साथ हो रहा है. उसमें भी ट्विस्ट है.
रेशमा पटेल पाटीदार आंदोलन से जुड़ी हुई नेता हैं. उन्होंने कुछ दिन पहले हार्दिक पटेल का साथ छोड़ा और भाजपा जॉइन कर ली. अब उनकी कुछ तस्वीरें वायरल हो गई हैं जिन्हें अश्लील बताया जा रहा है. मामला इतना तूल पकड़ गया कि रेशमा पटेल को एफआईआर तक करानी पड़ी. रेशमा का कहना है कि ये तस्वीरें फर्जी हैं. उन्हें बदनाम करने के लिए फैलाई जा रही हैं. कोर्ट ने क्राइम ब्रांच की साइबर सेल से कहा है कि मामला देखें. फ़िलहाल केस की जांच चल रही है. इस बीच सोशल मीडिया पर गटर का ढक्कन खुल गया है.
ऐसी पोस्ट्स हो रही हैं. एक नमूना देखिए.
एक और देखिए.
इसमें ख़ास बात नोट कीजिए कि इन्हें पोस्ट करने वाले अलग-अलग लोग हैं लेकिन टेक्स्ट सेम है. धकापेल कॉपी पेस्ट चल रहा है.
हमने पड़ताल की इस तस्वीर की तो पता चला ये किसी और लड़की की तस्वीर है. इनका नाम भी रेशमा पटेल ही है. ये तस्वीर उनकी ट्विटर डीपी है. शिकागो में रहती हैं. 2016 के दिसंबर के बाद तो ट्विटर पर भी कुछ नहीं लिखा. किसी छुटभैए ट्रोलर ने ‘रेशमा पटेल’ को गूगल किया और जो तस्वीर हाथ लगी वो परोस दी.
उसे और इस तस्वीर को आगे सरकाते जाने वाले तमाम सज्जनों से ये पूछने का मन करता है कि भैया ये तस्वीर अगर रेशमा पटेल की भी होती तो भी इसमें अश्लील क्या है? कौन सा चश्मा लगाकर देखते हो भाई लोग? एक साधारण सी तस्वीर में अश्लीलता खोज निकालने वाली नीचता किस यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है?
एक निर्दोष तस्वीर. उस पर भी वो किसी और की. उसे दिखाकर किसी और को ट्रोल कर रहे हो. कुछ अकल बची है या नेताओं की भक्ति में उसे गंगा में बहा दिया. या साबरमती में.
इससे पहले भी अयोध्या में सीता बनी मॉडल की ऐसी तस्वीर वायरल हुई थी. पता चला था कि वो कोई ब्रिटिश मॉडल है. इस केस में भी कुछ कुछ ऐसा ही है. बल्कि बिल्कुल कार्बन कॉपी है उस केस की. यहां पढ़ लो पूरी डिटेल्स.
हम बार-बार कहते हैं कि कुछ भी आगे फॉरवर्ड करने से पहले जांच लो. सिर्फ इस बात से भाव न खाओ कि जिसकी गलती बताई जा रही है वो आपके विरोधी खेमे में है. समझदारी भी कोई चीज़ होती है.