कमांडो जानते थे. रास्ते में गांव पड़ेंगे. रात के समय उन्हें देखकर गांव के कुत्ते भौकेंगे. कुत्तों का भौंकना सुनकर सरहद पार दुश्मनों को भनक हो सकती है. लोगों को पता लगा, तो ऑपरेशन फेल हो सकता है. वो ये जोखिम नहीं ले सकते थे. इसीलिए प्लान बनाया. कुत्तों को बाघ, तेंदुए जैसे बड़े जानवरों से डर लगता है. वो दूर से ही इन जानवरों की गंध सूंघ लेते हैं. इसीलिए कमांडो ने तेंदुए का मल-मूत्र इस्तेमाल किया. प्लानिंग काम आई. उसकी गंध के कारण कुत्तों ने आगे बढ़ने, भौंकने या हमला करने की हिम्मत नहीं की.
सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में क्या कुछ बताया?
ये उस रात की बात है, जब भारत की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था. 28-29 सितंबर, 2016 की दरमियानी रात. इस बात को अब पूरे दो साल होने वाले हैं. इंडियन आर्मी की 15वीं कॉर्प्स (जम्मू-कश्मीर) के पूर्व कमांडर लेफ्टिनंट जनरल आर आर नींभोरकर थोरले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान ट्रस्ट के एक प्रोग्राम में बोल रहे थे. वहीं सर्जिकल स्ट्राइक को याद करके ये बात बताई. बोले-
एक वक्त मैं नौशेरा सेक्टर में ब्रिगेड कमांडर था. मुझे याद था कि वहां कुत्तों के ऊपर अक्सर तेंदुए हमला कर देते थे. इसीलिए रात के वक्त कुत्ते डर के मारे उस इलाके से दूर रहते थे. तो जब हम सर्जिकल स्ट्राइक के ऑपरेशन की प्लानिंग कर रहे थे, तो कुत्तों को दूर रखने के लिए जवानों ने उस पूरे रास्ते में तेंदुए का मल-मूत्र बिखेर दिया.
ऑपरेशन को लेकर कितनी गोपनीयता बरती गई, इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा-
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हमें एक हफ्ते का वक्त दिया था. इसी में हमें ऑपरेशन कर देना था. मैंने अपने जवानों को ऑपरेशन के बारे में बताया, लेकिन हमला कहां करना है, ये नहीं बताया. हमले के बस एक दिन पहले उन्हें लोकेशन बताई गई. हमें लगा था कि रात के साढ़े तीन बजे अटैक करना सबसे सही रहेगा. हमने ऐसा ही किया.
अटैक के बारे में और ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा-
तय समय से कुछ पहले ही हम ठिकाने पर पहुंच चुके थे. दुश्मनों को खबर भी नहीं लगी. हमने आतंकियों के तीन लॉन्चिंग पैड्स (जहां उन्हें भारत में घुसपैठ के लिए तैयार किया जाता है) बर्बाद कर दिए. तकरीबन 29 आतंकी मारे गए.
सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी जानकारियां यूं ही किस्तों में आई हैं. एक रोज भारत ने कहा कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में घुसकर वहां आतंकियों के कैंप्स और ठिकानों पर हमला किया. फिर धीरे-धीरे डिटेल्स आती रहीं. अभी जून महीने में टीवी चैनल्स पर तकरीबन एक ही वक्त में एक विडियो दिखाया गया. बताया गया कि ये सर्जिकल स्ट्राइक का विडियो है, जो कि सेना के सूत्रों ने उन्हें दिया है. सर्जिकल स्ट्राइक के समय किसी भी तरह का सबूत सार्वजनिक करने की मांग खारिज कर दी गई थी. बताया गया कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. विडियो दिखाया या तस्वीरें दिखाई, तो देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ‘दुश्मनों’ को हमारी सैन्य क्षमता और ताकत से जुड़ी कुछ बेहद संवेदनशील बातें पता लग सकती हैं. लेकिन फिर ये सवाल था कि नैशनल सिक्यॉरिटी से जुड़ा इतना अहम विडियो मीडिया में लीक कैसे हुआ?