पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि को हुआ था. उस समय चंद्रमा वृष राशि यानी रोहिणी नक्षत्र, जबकि सूर्य सिंह राशि में स्थित था. इस बार दो और तीन सितंबर दोनों दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है. वहीं, व्रत पूजन के लिए 2 सितंबर सर्वमान्य है. दो सितंबर को सप्तमी तिथि है, लेकिन रात 8.47 बजे से अष्टमी तिथि और रात 7.21 बजे से रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है, जो अगले दिन यानी 3 सितंबर को देर शाम तक रहेगा.
‘मधुराष्टकम्’ श्रीकृष्ण की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त मंत्र
कानपुर के आचार्य कमल नयन तिवारी का कहना है कि वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण की बहुत सी स्तुतियां हैं, लेकिन इन सबके बीच ‘मधुराष्टकम्’ की बात एकदम निराली है. इसके पाठ से भगवान कृष्ण भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करतें हैं. उन्होंने बताया कि कान्हा से मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए कई अलग-अलग मंत्र हैं. पूजन करते समय इन मंत्रों के जाप से आपको मनचाहा फल प्राप्त होगा.
जानिए कौन से मंत्र हैं आपके लिए उपयुक्त
‘मधुराष्टकम्’
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् |
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र
ॐ देवकीसुतगोविंद वासुदेवजगत्पते. देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः||
मनोकामना सिद्धि के लिए
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम् .
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम् ॥
विघ्न, बाधा निवारण के लिए
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने|
प्रणतक्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः||
यही नहीं जो भी भक्त कोई मंत्र, स्तुति का पाठ न कर सकें, वह जन्माष्टमी के दिन, पूजन के लिए केवल इस महामंत्र का जाप, पाठ करें.
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
कैसे करें जन्माष्टमी को पूजन
अगर घर में लड्डू गोपाल, शालिग्राम हों तो ठीक, नहीं तो भगवान श्री कृष्ण के बालरूप का चित्र पूजा घर में रखें. जैसे घर में किसी बच्चे के जन्मदिन की तैयारी करते हैं वैसी तैयारी करें. दिन में व्रत रखें. केले के खंभे, आम और अशोक की पत्तियों से तोरणद्वार सजाएं. मुख्यद्वार पर मंगल कलश रखें. मध्यरात्रि यानी रात 12 बजे गर्भ के प्रतीक खीरा से भगवान का जन्म कराएं. भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति अथवा शालिग्राम की विधि पूर्वक पूजा करें. फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी और फिर पंचामृत से लड्डू गोपाल को स्नान कराएं, इसके बाद साफ जल या गंगाजल से स्नान कराएं, किसी साफ कपड़े से पोंछकर लड्डू गोपाल को आसन दें. फूल चढ़ाएं. और फिर भगवान को वस्त्र, अलंकार से सुसज्जित करें. फूल,धूप, दीप समर्पित करें.
भोग में क्या चढ़ाएं
पूजन में ध्यान रहें, अन्न रहित भोग एवं प्रसूति के समय मिष्ठान्न, नारियल, छुहारा, पंजीरी, नारियल के मिष्ठान, मेवे आदि भगवान को अर्पित करें. कृष्ण जन्माष्टमी के भोग में खीरे का होना अनिवार्य माना जाता है. इसके अलावा 5 फल, मेवा, पंजीरी, पकवान और सबसे महत्वपूर्ण माखन मिश्री का होना जरूरी होता है. भोग में तुलसी पत्र का होना बहुत जरूरी होता है. ध्यान रहे जन्माष्टमी के दिन तुलसी पत्र न तोड़े. एक दिन पहले तोड़ लें. वहीं भोग लगाने के बाद मीठा पान और फिर दक्षिणा चढ़ाएं. साथ ही इसके बाद कन्हैया जी की आरती करें और फिर स्तुति.
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्॥