ये तस्वीर मोहम्मद अब्दुला की है. मात्र 7 साल की उम्र में एक हादसे के दौरान इनके दोनों पैर कट गये थे. ट्रेन से हुए इस हादसे ने भले ही इनके दोनों पैर छीन लिये, पर नहीं छीन सका तो इनसे इनका हुनर, इनका हौसला. आज ये बांग्ला देश में फुटबाल खेल ते हैं और सही सलामत लोगोंं से कई गुना बेहतर खेलते हैं.
अब्दुला के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. उसके बाद ये घर से भाग गये, कई सालों तक गली-गली मांग कर खाने के बाद अंतत: अपनी दादी के साथ रहने लगे.
बात 2001 की है. अब्दुला का पैर चलती ट्रेन से फिसल गया. सरपट दौड़ती ट्रेन की पहियों के नीचे इनके दोनों पैर आ गये. उसके बाद इन्हें ढाका मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इनके पैरों को काट दिया गया. इस दुख के समय में उनके परिवार का कोई भी उनके साथ नहीं था. इस हादसे के बाद हॉस्पिटल ऑथोरिटी ने उन्हें अनाथालय भेज दिया. 18 महीने तक वो एक स्कूल में पढ़े, लेकिन अंत में वहां से भाग निकले.
वो कहते हैं कि, “उस दौर में मुझमें कोई आशा बाकी नहीं बची थी. मैं गलियों में रहने लगा था. लोग मेरी हालत देखकर मुझे पैसे दे देते थे. पर मैं इस सब से खुश नहीं था. मैं बहुत परेशान था. मैं अपने बलबूते पर कुछ करना चाहता था. मैं अखबार बांटने लगा. वहीं गली के लड़कों के साथ फुटबाल खेलने लगा.”
इसके बाद वो Aparajeyo नाम के एक एनजीओ के साथ जुड़े. इससे जुड़ने के बाद उनका हौसला बढ़ा. वो कहते हैं कि, “मुझे इस बात को लेकर डर था कि कहीं सारी उम्र मुझे व्हीलचेयर पर ही न बितानी पड़े. इसी के चलते मैंने उसके बिना चलने का निर्णय लिया और कोशिश की. अब मैं चल सकता हूं. मैं फुटबॉल भी खेलता हूं, जैसे बाकी प्लेयर्स खेलते हैं.”
Aparajeyo Bangla के साथ जुड़कर ही आज अब्दुला फुटबॉल खेल रहे हैं. इन्होंने इस गेम पर अच्छी पकड़ बना ली है. उनको फुटबॉल खेलते देखकर सब हैरान हो जाते हैं. हालांकि कई लोग-बाग टिप्पणी भी करते हैं, पर वो बिना उन सब पर ध्यान दिए अपने गेम पर ध्यान देते हैं.