सावन और देवों के देव महादेव का गहरा नाता है। 2018 में सावन का महीना बेहद खास भी है। संक्रांति की गणना से सावन का महीना 16 जुलाई से ही आरंभ हो गया है लेकिन पूर्णिमा की गणना के अनुसार 28 जुलाई से सावन आरंभ हो रहा है और पहला सावन सोमवार 30 जुलाई को है। इस सावन में बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है। पंचाग के अनुसार, सावन में पांच सोमवार है साथ ही सावन पूरे 30 दिनों का है। पंचाग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 30 दिन होने का कारण अधिकमास है।। आइए जानते हैं सावन के सोमवार के खास योग और संयोग के बारे में….
कई गुणा मिलता है फल
पुराणों के अनुसार, अन्य दिनों के अपेक्षा सावन के महीन में शिव की पूजा और अभिषेक करने से जल्दी और कई गुणा अधिक लाभ मिलता है। इसी कारण भक्तों में सावन के सोमवार को लेकर एक अलग उत्साह नजर आता है। शिव के रूद्र रूप को उग्र माना जाता है लेकिन प्रसन्न होने पर ये तीनों लोकों के सुखों को भक्तों के लिए सुलभ कर देते हैं। सावन के महीने में रूद्र ही सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं।
लग रहा है रोटक व्रत
इस साल सावन के महीने में रोटक व्रत लग रहा है। शास्त्रों के अनुसार जिस साल सावन में 5 सोमवार होते हैं उस साल यह व्रत लगता है। इस व्रत के विषय में मान्यता है कि जो भक्त रोटक व्रत पूरा करता है यानी पांचों सोमवार के व्रत रखता है, भगवान शिव और माता पार्वती उनकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।
शिव-पार्वती के लिए है बेहद खास
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर सावन के महीने में ही उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा था कि जो भी भक्त सावन में मेरी पूजा करेगा उनकी सभी मनोकामनाएं मैं पूरी करूंगा।
इस दिन हो रहा है सावन समाप्त
28 जुलाई से सावन का शुरू हो रहा है और 26 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त हो रहा है। सावन महीने के सभी मंगलवार के व्रत माता पार्वती के लिए किए जाते हैं, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं। सावन माह में मंगलवार को किए जाने वाले व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इसे सुहाग के बहुत ही शुभ व्रत माना गया है। इससे कन्या के विवाह के योग तेज होते हैं और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, ऐसी मान्यता है।
इसलिए कहा जाता है आशुतोष
इस साल सावन के पहले सोमवार 30 जुलाई को सौभाग्य योग बन रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र है और द्विपुष्कर योग का भी संयोग बना है। इस अवसर पर भगवान शिव जिन्हें जल्दी प्रसन्न हो जाने के कारण आशुतोष भी कहते हैं उनकी पूजा दूध, दही, मधु, चावल, पुष्प और गंगाजल से करें।