विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में सुल्तानगंज आने वाले कांवरियों को हर सुविधा मुहैया कराने की कवायद रेलवे ने तेज कर दी है। स्टेशन पर लंबी दूरी जाने वाली चार जोड़ी एक्सप्रेस/सुपरफास्ट ट्रेनों का अतिरिक्त ठहराव दिया जाएगा। एक महीने के प्रायोगिक तौर ट्रेनें रुकेंगी। अप और डाउन में पांच मिनट का स्टॉपेज रहेगा।
हालांकि इस पर मंडल ने सूचना जारी नहीं की है। लेकिन जल्द ही इस दिशा में स्टेशन को समय सारिणी भेज दी जाएगी। एक महीने तक चलने वाले श्रावणी मेला में देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में होने वाली भीड़ को देखते हुए सुल्तानंगज स्टेशन पर भागलपुर-यशवंतपुर अंग एक्सप्रेस, मालदा-नई दिल्ली एक्सप्रेस, मालदा-आनंद विहार टर्मिनल साप्ताहिक एक्सप्रेस और कामाख्या-गया एक्सप्रेस का ठहराव अप और डाउन में दिए जाएंगे।
रेलवे हर सुविधा कराएगी मुहैया
कांवरियों को इस बार भी रेलवे बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। रेलवे की अधिकृत कंपनी आइआरसीटीसी की ओर से खान-पान का स्टॉल लगाया जाएगा। इसमें कांविरयों को कम मूल्य भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इस बात का निर्देश डीआरएम तन्नू चंद्रा पहले ही दे चुकी हैं।
सर्कुलेटिंग एरिया में खुले आकाश वाले प्रसाधन को कमरे में तब्दील किया जाएगा। मेले के दौरान टिकट काउंटर पर भीड़ नियंत्रित के लिए रेलवे सुरक्षा बल के जवान तैनात रहेंगे। साथ ही जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त काउंटर भी खोले जाएंगे।
बता दें कि श्रावणी मेले के दिन करीब आ गए हैं। शिवभक्तों के मन में बाबा के दर्शन की उमंगें हिलोरे लेने लगी हैं। वैसे आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन यानी 28 जुलाई से ही यह मेला प्रारंभ हो जाएगा लेकिन सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को है और उस दिन जलाभिषेक के लिए देशभर से शिवभक्तों की भीड़ उमड़ेगी।
पूरे सावण मास चलने वाले इस मेले में हर रोज कावंड़ियों की भीड़ लाख की संख्या पार कर जाती है। इस अर्थ में यह किसी महाकुंभ से कम नहीं है। झारखंड के देवघर में लगने वाले इस मेले का सीधा सरोकार बिहार के सुलतानगंज से है। यहीं गंगा नदी से जल लेने के बाद ‘बोल बम’ के जयकारे के साथ कांवड़िये नंगे पांव देवघर की यात्रा आरंभ करते हैं।
श्रावणी मेले में सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर प्रस्थान करने वाले कांवड़ियों की संख्या सवा महीने में पचास लाख के करीब पहुंच जाती है। इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। इस तरह सिर्फ श्रावणी मेले में पांच सौ करोड़ की खरीदारी इन वस्तुओं की होती है। इसके अलावा रास्ते में चाय, ठंडे पेय, खाद्य आदि पर भी प्रति कांवड़िया चार से पांच दिन में दो से ढ़ाई सौ रुपए खर्च आता है। देवघर में जलाभिषेक के बाद पेड़ा, चूड़ी, सिंदूर और अन्य सामग्री की कम से कम इतने की ही खरीदारी की जाती है यानी श्रावणी मेले का कारोबार कुल मिलाकर करीब एक हजार करोड़ का है।
Source: dainik jagran