साल 2018 में 1 डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 70 रुपया तक पहुंच चुका है। सोशल मीडिया पर आपने हर भारतीयों द्वारा सुना होगा कि साल 1947 में आजादी के बाद 1 रुपया, 1 डॉलर के बराबर था। लेकिन क्या ये सच में था?
हालांकि, कई तर्क और कई जवाब हैं, लेकिन कोई भी इस बारे में पूरी तरह से नहीं बताता कि यह क्यों और कैसे हुआ। इसके जवाब और इसके पीछे के सभी कारणों को जानने के लिए, हमें जो जानने की जरूरत है, वो ये है कि 1947 के दौरान कौन सी मुद्रा (करेंसी) में रुपया को मापा गया था।
लोगों के बीच तीन सिद्धांतों पर तर्क दिया जा रहा है। लेकिन कोई भी दस्तावेज स्पष्ट रूप से साबित करने के लिए मौजूद नहीं है कि कौन सा सही है। इसलिए हम तीनों लॉजिक के आधार पर इसका जवाब देने जा रहे हैं।
लॉजिक नंबर 1-
1 डॉलर = 4.16 रुपया
पहला तर्क यह है कि एक ब्रिटिश शासित देश होने के नाते, भारत जब 1947 में आजाद हो गया तो उसे डॉलर में नहीं ब्रिटिश पाउंड में आंका जाना चाहिए।
Wikipedia के मुताबिक, रुपये को (Bretton Woods Agreement) ब्रेटन वुड्स समझौते के आधार पर मापा गया था। एक्चचेंज रेट (विनिमय दर) के हिसाब से 15 अगस्त 1947 और 18 सितंबर 1949 के बीच 1 डॉलर = 3.31 रुपया था। इसी ब्रेटन वुड्स सिस्टम के माध्यम से 18 सितंबर 1949 और 6 जून 1966 तक 1 डॉलर = 4.76 रुपया था।
हकीकत में 1949 से लेकर 1966 तक भारतीय रुपये की वैल्यू डॉलर नहीं, बल्कि ब्रिटिश पाउंड के हिसाब से आंकी जाती थी। ये जो ऊपर डॉलर का रेट देख रहे हैं, ये ब्रेटन वुड्स सिस्टम के आधार पर है।
कुछ ये भी तर्क दिया जाता है कि 1947 के दौरान एक ब्रिटिश पाउंड = 13.37 रुपया था और इसीलिए कई लोग 1 डॉलर = 4.16 रुपये मानते हैं।
लॉजिक नंबर 2-
1 डॉलर = 1 रुपया असंभव
आज तक के मुताबिक, सेंटर फॉर सिविल सोसायटी की तरफ से रुपये के डिवैल्यूवेशन (मुद्रा की वैल्यू कम करना) पर एक पेपर तैयार किया गया था। इस पेपर के आधार पर ब्रिटिश करेंसी 1949 में डिवैल्यूड हुई थी। इसके बाद 1966 में भारतीय रुपये की वैल्यू USD डॉलर के मुकाबले आंकी जाने लगी। इस दौरान डिवैल्यूवेशन के बाद रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 7.50 रुपये तक पहुंच गया था।
साल 1947 में 1 डॉलर = 1 रुपये के दावे पर यकीन करना इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि जब देश आजाद हुआ, तो भारत ने दूसरे देशों से किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया था। व्यापार भी ना के बराबर था। ऐसे में ये मुमकिन नहीं है कि 1 रुपये = 1 डॉलर रहा हो। दूसरी बात ये भी है कि साल 1947 में भारत की विकास दर 0.8 फीसदी थी। इसलिए रुपये को डॉलर के बराबर रख पाना संभव ही नहीं था।
लॉजिक नंबर 3-
1 डॉलर = 1 रुपया
चूंकि भारत स्वतंत्र होने के बाद कोई खास सिस्टम नहीं था। इसलिए इतिहासकारों द्वारा ये तर्क दिया गया कि 1 अमरीकी डॉलर = 1 रुपया है।
यहां ध्यान रखना जरूरी है कि भारतीय रुपया 1947 से आज तक (2018) हर शासनकाल में डॉलर के मुकाबले कमजोर होता गया है। चाहे नेहरू, इंदिरा, नरसिम्हा राव हो या वाजपेयी, मनमोहन और मोदी सरकार हो, रुपया तब से घटता ही गया है। हाल ये है कि मौजूदा मोदी सरकार में रुपया गिरकर 1 डॉलर = 70 रुपये तक पहुंच चुका है।