बड़ी मुश्किल से मियां-बीवी घर का थोड़ा असासा बचाने में कामयाब हुए। जवान लड़की थी, उसका कोई पता न चला। छोटी सी बच्ची थी उसको माँ ने अपने सीने के साथ चिमटाये रखा। एक भूरी भैंस थी उसको बलवाई हाँक कर ले गए। गाय बच गई मगर उसका बछड़ा न मिला।
मियां-बीवी, उनकी छोटी लड़की और गाय एक जगह छुपे हुए थे। सख़्त अंधेरी रात थी। बच्ची ने डर के रोना शुरू किया। ख़ामोश फ़ज़ा में जैसे कोई ढोल पीटने लगा। माँ ने ख़ौफ़ज़दा हो कर बच्ची के मुँह पर हाथ रख दिया। कि दुश्मन सुन न ले। आवाज़ दब गई। बाप ने एहतियातन ऊपर गाढ़े की मोटी चादर डाल दी।
थोड़ी देर के बाद दूर से किसी बछड़े की आवाज़ आई। गाय के कान खड़े हुए। उठी और इधर उधर दीवानावार दौड़ती डकारने लगी। उसको चुप कराने की बहुत कोशिश की गई मगर बे-सूद।
शोर सुन कर दुश्मन आ पहुंचा। दूर से मशा'लों की रौशनी दिखाई। बीवी ने अपने मियां से बड़े ग़ुस्से के साथ कहा, “तुम क्यूँ उस हैवान को अपने साथ ले आए थे।”