गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बंदूक़्ची एक डिब्बे के पास आए।
खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा,
“क्यूँ जनाब कोई मुर्ग़ा है।”
एक मुसाफ़िर कुछ कहते कहते रुक गया। बाक़ियों ने जवाब दिया,
“जी नहीं।”
थोड़ी देर के बाद चार नेज़ा बर्दार आए। खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा,
“क्यूँ जनाब कोई मुर्ग़ा है।”
उस मुसाफ़िर ने जो पहले कुछ कहते कहते रुक गया था जवाब दिया,
“जी मालूम नहीं… आप अंदर आ के संडास में देख लीजिए।”
नेज़ा बर्दार अंदर दाख़िल हुए। संडास तोड़ा गया तो उसमें से एक मुर्ग़ा निकल आया।
एक नेज़ा बर्दार ने कहा,
“कर दो हलाल।”
दूसरे ने कहा,
“नहीं यहां नहीं। डिब्बा ख़राब हो जाएगा… बाहर ले चलो।”