लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किए।
लोग डरके मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे।
कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौक़ा पा कर अपने से अलाहिदा कर दिया ताकि क़ानूनी गिरिफ़्त से बचे रहें।
एक आदमी को बहुत दिक़्क़त पेश आई। उसके पास शकर की दो बोरियां थीं जो उसने पंसारी की दुकान से लूटी थीं।
एक तो वो जूं तूं रात के अंधेरे में पास वाले कुवें में फेंक आया, लेकिन जब दूसरी उठा कर उसमें डालने लगा तो ख़ुद भी साथ चला गया।
शोर सुन कर लोग इकट्ठे होगए। कुवें में रस्सियां डाली गईं। दो जवान नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लिया...
लेकिन चंद घंटों के बाद वो मर गया।
दूसरे दिन जब लोगों ने इस्तिमाल के लिए उस कुँवें में से पानी निकाला तो वो मीठा था।
उसी रात उस आदमी की क़ब्र पर दिये जल रहे थे।