एक ऐसी कहानी जिसमे एक आईना भविष्य बताता है।आखिर ये आईना अवनी को कहाँ ले जाएगा?
जवाहर नवोदय विद्यालय एक समुन्द्र की तरह है इसकी हर एक बुुंद की एक अपनी तुफानी कहानी है तो पेश है नवोदय की एक बुुंद यानी मेरी कहानी | जिसमे आपको मिलेगा हर नवोदयन के सफर का अनुभव और आप जान जायेंगे कि नवोदय क्यो हीरोज़ का स्कुल है| मैने नवोदय मे सब
आओ कुछ यादें हम साझा करें एक साथ, अपने एहसासों और खूबसूरत पल को , बांटे आप के साथ । आओ साथ में मिलकर अपनी यादों , को तरो ताज़ा कर जाएं । इस किताब के माध्यम से , आपको दैनिक प्रतियोगिता का भी , मिलेगा मजेदार शीर्षक । आओ बह चले इस कविता , के
एक मध्यमवर्गीय स्त्री का वर्जनाओं को तोड़कर नई सफ़ल इबारत लिखने की एक कथा । जिसमें समस्त अनुभव उनके स्वयं के हैं । उम्मीद करता हूँ कि मैं कथ्य के साथ बिना किस अतिरिक्त कल्पना के यथार्थ को बरतते हुए न्याय कर पाऊंगा ।
इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
मनुष्य जीवन में कई तरह के संघर्ष करने पर ही जिंदगी को आगे बढ़ाया जा सकता है। जीवन जीने का मतलब जीना नहीं है अपितु उच्च विचार, अच्छे आदर्श परिवार को सही स्तर से भरण-पोषण अध्यात्मिक ज्ञान और मर्यादाओ को बनाए रखकर चलना होता हे। तथा माता- पिता की सेवा ।व
कनॉट प्लेस से मेरा पहला साक्षात्कार संभवतः 1970 के आसपास हुआ था। मतलब मुझे तब से इसकी यादें हैं। इसके आसपास दशकों तक रहना, पढ़ना, नौकरी करना, घूमना, फ़िल्में देखना वग़ैरह जिंदगी का हिस्सा रहा। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। जब तक जिंदगी है, तब तक कनॉट प
मेरी माँ के बाईस कमरे' कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन
हिंदी में प्रसिद्ध और लोकप्रिय कथाकारों की कहानियों के विभिन्न संचयन होते रहे हैं। 'मैं और मेरी कहानियाँ' इस तरह के संचयनों में विशिष्ट प्रयोग है क्योंकि यहाँ हिंदी के शीर्ष कथाकार असग़र वजाहत के परामर्श से युवा पीढ़ी के प्रमुख कथाकार ने अपनी कहानियों
एक माँ-बेटी के रिश्ते की सुंदरता को कैद करते हुए, दिव्या दत्ता ने इस चलती-फिरती संस्मरण में अपनी माँ के जीवन के उत्साह का जश्न मनाया जिसने उन्हें वह महिला बना दिया जो वह आज हैं। दिव्या हमें अपने जीवन की सबसे अंतरंग यादों से रूबरू कराती हैं, जिन्होंने
मेरे प्रिय पाठकों, जिसमें दुधमुहे बच्चों से लेकर उम्रदराज मेरे भाई बहन और बेटी बेटे जैसे युवा और स्कूल, कालेज जाने वाले टीन एजर सभी शामिल हैं । चौकिये मत, दुधमुहे इसलिए लिखा है कि बचपन की मधुर थपकियों से ही तो नींव बनती है । इसलिए जिसे बचपन प्यार
जिनका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु भी निश्चित है | जीवन-मृत्यु प्रकृति का शाश्वत सत्य है | जिस तरह बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, उसीतरह जो दिवंगत हो जाते हैं, कभी नहीं लौटते | मात्र उनकी यादें हमारे मानस पर बरबस आती रहती है | उनकी क्रियाकलापें, उनकी बात
इस पोस्ट में हमने जगह जगह से लिए गए सूत्रों की सहायता ली है, हम इसकी पूरी तरह से सत्यता की घोषदा नहीं करते है क्यूंकि हर किताब या व्यक्ति के द्वारा गोगा जी महाराज की अपनी एक अलग कहानी है तो कृपया कर अगर इसमें कोई गलती हुई है तो हमें जरूर आगाह करें। ब
एक बार फिर मैं आपके पास आई हूँ। आपका और मेरा अपना मन बहलाने । फुर्सत के कुछ पलों का आनंद उठाने। कहने वाले को तभी तो कहने में स्वाद आता है, जब सुनने वाला तल्लीन होकर सुनता है जाहिर सी बात है, घिसिपिटि बातों को तो कोई सुनता नहीं। मैं लेकर आ
यह केवल शब्द नहीं.......🌷🌷 एहसास है हमारे जिसे लोग.......🌷🌷 अल्फाज कहते हैं...🖤
अपने जीवन के खट्टे मीठे संस्मरणो को कहानियों का रूप देते हुये एक जीवनी /उपन्यास लिखने का प्रयास
प्रिय पाठकों कहानी "कई अर्से बाद" एक रोचक और प्रेम कहानी है। बहुत सारे पात्र हैं जिसमे निखिज जो अपने प्यार को पाकर भी कुछ समझ नहीं पाया कि क्यूं किस्मत ने अपने रूख बदल लिया? कौन है सच्चा जीवन साथी? नेहा या निशा या फिर घूंघट वाली। दोस्त की बात करे
श्रीराम को 14 वर्ष का ही वनवास क्यूँ हुआ था ? शिवलिंग वास्तव में क्या है ? सनातन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई? धर्म क्या है ? हमारे धर्म के वैज्ञानिक रहस्य क्या हैं? इसे अनेकों प्रश्नों के उत्तर तथा श्रीराम जी की संक्षिप्त जीवनी आपके समक्ष उपस्थित है
साहित्ये ज्ञानराशि: निहिता: भवन्ति। अनुवादमाध्यमेन विविधभाषासु प्रसरिता:। अनुवादमाध्यमेन साहित्येषु निहितज्ञानराशिभि: लाभान्विता: भवन्ति। संस्कृते विपुलसाहित्यरचना उपलब्धा:। अस्यां भाषायां उपलब्धग्रन्थाणां विश्वस्य विविधभाषासु अनुवादा: उपलब्धा:। विवि