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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023

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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।
घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा साफ करने के बाद बिस्तर मैंने खुद डाली थी। अपना बैग मैंने, दीवार पर बने हुए ड्राज में अंदर डाल दिया।
इन सब कामों में मुझे ,शाम कब हुआ पता भी नहीं चला था। शाम के वक्त मैं, चाय वाले चाचा के पास, चाय पीने के लिए पहुंच गया था।
चाचा ने मुझे देखते ही चुटकी ली थी-अब तो तुम्हारे रहने खाने की व्यवस्था भी हो गये होगे?

मैंने चाचा से हाथ जोड़ लिया, बोला- यह सब आपकी मेहरबानी है?
चाचा चाय बनाते हुए बोले- मैंने करा ही क्या है? जो भी किया है ,नेताजी का कारनामा है!

आप नहीं बताते तो ,मैं फरियादी बनकर न जाता। न हीं  मैं फरियादी बनकर जाता ,ना मुझे सब व्यवस्था मिलती?
चाय डबल चाय पियोगे या सिंगल चाय? चाचा ने मुस्कुराते हुए पूछा।
चाय तो मैं डबल ही पीता हूं ।सिंगल  से तो मेरा दाढ़ भी गिला नहीं होता।
आज की चाय! स्पेशल चाय !डबल चाय! मेरी तरफ से फ्री! कहता हुआ चाचा ने बहुत बढ़िया चाय बना कर मेरे पास रख दिया।
ग्राहक जो एक बैठा हुआ था,  चाचा की बातें सुनकर बोला- चाचा आप तो हमें कभी डबल चाय, स्पेशल चाय, फ्री पिलाते नहीं?
इस बच्चे को मैं डबल फ्री चाय इसलिए पीला रहा हूं। कि ईस की नौकरी लगी है। नेताजी के कोठी में।  और तू भी पीना चाहता है ;तो तू भी पी ले! तू भी क्या याद करेगा?
वह मुस्कुराता सा बोला। हम डबल चाय पीने वाले पहलवान से तो लगते नहीं, छोटे से पिद्दे से इंसान है। सिंगल चाय ही बहुत हो जाती है।

कोई बात नहीं, आज सिंगल चाय पी ले, बढ़िया चाय, पिलाता हूं ।इस बच्चे की नौकरी लगने की खुशी में।
मैं बोला -आप क्यों पिलाओगे चाचा ?जितने लोग बैठे हैं? सबको डबल चाय मेरी ओर से, पिलाओ। नौकरी तो मेरी लगी है ।मैं सबको चाय समोसे की पार्टी दे रहा हूं। 
मेरी जिंदगी की यह पहली नौकरी थी। मेरे मिशन की पहली सीढ़ी थी। मुझे रामेश्वर धनवार के पास तक पहुंचना था- मैं पहुंच गया था!
मुझे रामेश्वर धनवार के कागजातों में से शायद बहुत कुछ मिल सकता था। प्लेटिनम इंडस्ट्री शाइन इंडिया लिमिटेड के बारे में। और उनके मालिकान के बारे में ।और उस इंडस्ट्री को बसाने में किन-किन लोगों का हाथ था ।उनके बारे में।
आज पहला ही दिन था। रामेश्वर धनवार के कोठी में एंट्री का। आगे मुझे  क्या काम देने वाले हैं?उससे क्या काम कराने वाले हैं ?या मुझे कुछ पता नहीं था। यह तो मेरे लिए अभी प्रश्नचिन्ह बनकर, मेरे आगे खड़ा था। इसीलिए अभी मैं कोई भी प्लान सेट करने में जल्द बाजी नहीं कर रहा था। मुझे आने वाले कल का इंतजार था ,बेसब्री से।
 चाय पिलाने के बाद ,और पीने के बाद ,मैं वहां से निकला था। कोठी के उस साइड पर गया था। जहां पर छोटा सा गेट था । जहां कोई गार्ड भी नहीं था। यह छोटा सा गेट वास्तव में यहां काम करने वाले सभी कोठी में काम करने वाले लोग इसी छोटे से गेट से बाहर अंदर  करते थे। जिस  गेट पर कोई भी पहरेदारी नहीं थी।
यह गेट जहां रामेश्वर की कोठी की अंत होती थी ।उसी के बगल में था।
शाम को मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ ही था कि किसी ने दरवाजा खटखटाया । मैं बिना उठे ही बोला दरवाजा खुला है। धकेल कर आ जाओ।
दरवाजा ढकेल कर आने वाली चाची थी। जिसके हाथ में खाने की तश्तरी थी। और उसके ऊपर से दूसरे तश्तरी से उसने ढक रखा था।
अंदर टेबल पर खाना रखते हुए बोली -बेटा खाना खा लो ।खाने का टाइम हो गया है।
मैं उठा अंदर जाकर हाथ मुंह धोया, फिर खाने के लिए बैठ गया ।मैंने कहा- चाची तुमने क्यों कष्ट किया?
चाची बोली काम खत्म करके आ रही थी। तो फिर तुम्हारा ख्याल आया ,मैं सोची लेती चलूं- और तुम्हारा कमरा भी देख लूं।
मैंने पूछा चाची तुम भी यही रहती हो क्वार्टर पर।
चाची बोली- हां बेटा! मैं तुम्हारे बगल वाले में ही रहती हूं । और हां कोई भी सामान तुम्हें बाहर से खरीदने की जरूरत नहीं है ।जो भी जरूरत महसूस हो, तुम मुझे बोल देना ,या फिर अभिषेक को बोल देना। सब कुछ तुम्हें स्टोर रूम से मुहैया करा देगा, या फिर बाहर से मंगवा देगा।
मैं रोटी का टुकड़ा ,सब्जी में लपेट कर मुंह पर डालता डालता बोला- ठीक है चाची! यह कोठी मे सिर्फ नेताजी रहते हैं ?या फिर नेता जी के परिवार भी रहता है?
चाची बोली- नेता जी का भी परिवार है ,दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे भी यही रहते हैं, यही पास के स्कूल में पढ़ते हैं।
मैं सोच रहा था ,नेताजी के बच्चे विदेशों में पढ़ते होंगे!-मैं बोला।
चाची बोली -नहीं उनके बच्चे यहीं रहते हैं! और यही पास के स्कूल में पढ़ते हैं।
जो भी जानकारी थी। चाची  द्वारा हासिल करना बहुत आसान था। क्योंकि वह बेबाक मासूम फटाक से जवाब दे देती थी।
आज का दिन यूं ही गुजर गया था। मुझे धीरे-धीरे संपूर्ण कोठी के बारे में जानकारी हासिल करनी थी। मुझे मालूम था, वह जानकारी होने वाली थी। क्योंकि ,कुदरत मेरे साथ था।
सुबह उठकर मैंने अपना बर्जीश किया  था। चाची फिर चाय नाश्ता लेकर, हाजिर हो गई थी।
चाय नाश्ता लेकर जैसे ही मैं तैयार हुआ ।तो, मेरे दरवाजे पर अभिषेक खड़ा था। मुस्कुराते हुए चेहरे को लेकर।
आते हुए उसने मुझे पहली बार मेरा नाम लेकर पुकारा था । अग्नि  तुम तैयार हो
मै तत्परता से बोला- बिल्कुल तैयार हूं!
वह बोला- अब कमरे में ताला लगाओ; और चलो मेरे साथ।
मैंने दरवाजे पर ताला लगाया , चाभी जेब में डाला। फिर अभिषेक के साथ हो लिया।
अभिषेक आगे-आगे ,मैं पीछे-पीछे चलते रहे। अभिषेक कोठी के बीच गलियारे से होता हुआ मुझे बाहर  ले आया।
यह वही गलियारा था । जिस  गलियारे से  हम कल गुजरे थे। गलियां  से गुजरते हुए हम आगे पहुंच गए थे। जहां पर एक ऑफिसर बना हुआ था।
यह ऑफिस बना हुआ था ।करीब 7 लोगों का स्टाफ दिख रहा था, मुझे। शायद और भी स्टाफ हो। मगर उस समय उस ऑफिस पर मुझे सिर्फ इतने लोग ही दिखाई दिए थे।

अभिषेक ने मुझे एक स्टाफ के आगे खड़ा कर दिया था। जिसके पास डेस्कटॉप लगा हुआ था। उसके पास खड़ा होते ही, वह बोले- बैठ जा बेटा!
मैं उनके आगे  रखे हुए, चेयर पर बैठ गया था। बैठने के बाद, उन्होंने मुझे एक फार्म  आगे बढ़ाते हुए  पूछा - फार्म भर लोगे?
मैं चुपचाप  फार्म को देखता रहा ,कोई खास नहीं था। मैं बोला -पेन दीजिए ;जितना जानता हूं !उतना भर लूंगा बाकी आप  भर लेना।
बुजुर्गवर बोले -देखने में तो पढ़े-लिखे लगते हो तुम!
मैं बोला- मैं जिस गांव से आया हूं ,वहां कोई स्कूल नहीं था।
बुजुर्गवर चौकते हुए बोले -स्कूल नहीं था!? बड़ी गजब की बात बताई तुमने मुझे। अभी भी हिंदुस्तान में ऐसे गांव हैं ।जहां पर स्कूल नहीं है।
आप स्कूल की बात कर रहे है। रास्ता तक नहीं है ।पगडंडियों से होकर जाना पड़ता है। कोई दुकान है नहीं। कुछ खरीदारी करने के लिए 5,6 घंटे का पगडंडी वाला रास्ता तय करके बाजार आना पड़ता है।
बुजुर्गवर बोले- टू मच रिमोट एरिया! कहते हुए  उन्होंने एक बॉल पैन मेरी और बड़ाया।
फार्म में मेरा नाम, पिता जी का नाम, उम्र, माता जी का नाम, किस गांव से आया हूं -गांव का नाम, हाइट ,वेट ,आंखों का कलर, शरीर में कोई चिन्ह, जाति, धर्म, शैक्षणिक योग्यता, अन्य योग्यता, आदि के लिए कॉलम बने हुए थे, और उन पर मुझे भरना था।
कुछ-कुछ तो मैंने भर लिया था। जो खाली रह गए थे। मुझे बुजुर्गवर  पूछने लगे।
आपको पता ही है। मेरा एजुकेशनल क्वालीफिकेशन जीरो बटा जीरो था। स्कूली शिक्षा संबंधी कोई मेरे पास क्रेडेंशियल नहीं था। मैंने जो भी पढ़ा लिखा था। अपने आप ही किताबें लाकर पड़ा था। मेरे पुराने गांव नौगांव में एक ही स्कूल गांव वालों ने खुद बनाया था। मगर, उसका कोई वैल्यूएशन नहीं था। सरकार से रजिस्टर्ड नहीं था।
यह कार्रवाई खत्म होने के बाद, मुझे अभिषेक अपनी गाड़ी में बिठाकर मार्केट ले आया था ।न्यू मार्केट। किसी टेलर के पास जिसने मेरे कपड़े की नाप ली थी। मेरा ड्रेस बनना था। मुझे अभी तक यह मालूमात नहीं थी। कि मुझे कौन से काम करने होंगे। अभिषेक ने भी अभी तक मुझे कुछ क्लियर नहीं किया था।
मुझे अभी तक यह क्लियर नहीं था ।कि कौन से कपड़े मेरे लिए सीले जा रहे थे। क्यों सिले जा रहे थे।
अभिषेक और रामेश्वर धनवार मेरे व्यक्तित्व से प्रभावित थे। इसीलिए शायद वह कुछ अच्छा ही काम मुझे लगाने वाले थे।
गांव में दीदी के पास रहते, मैंने अपना शरीर मजबूत बना लिया  था ।और भृगु चाचा ने मुझे मार्शल आर्ट में ,तलवारबाजी में, डंडे चलाने में पारंगत कर दिया था। मेरे पास कुछ काम नहीं होता था ।तो इसी पर लगा रहता था। इन सब कामों में मुझे पारंगत हासिल हो गई थी।

पढ़ाई भी अपने लगन से किताबें  लाकर मैंने अपने आप में अक्षर ज्ञान और बहुत कुछ सीख लिया था। क्योंकि ,अपने पुराने गांव नौगांव में रहते वक्त स्कूली शिक्षा मैंने ली थी। मुझे मालूम था। मेरी वह स्कूली शिक्षा पर्याप्त नहीं थी। मगर ,उस शिक्षा के बगैर मैं अपने आप किताबों में उलझ भी नहीं सकता था।
वहीं स्कूली शिक्षा ही मेरा फाउंडेशन था। मुझे पता था। फाउंडेशन अच्छा हो तो मकान मजबूत बनता है। टिकाऊ बनता है।
मगर, यहां मेरी शिक्षा देखी नहीं जा रही थी। मेरे पास शिक्षा संबंधित कोई प्रमाण पत्र भी तो नहीं था। बस मेरी पर्सनैलिटी  ही मेरे यहां क्वालिफिकेशन बनी थी।
मैं हर वह इंसान को लाख-लाख धन्यवाद देता हूं। जिन्होंने मेरी परवरिश की ।जिन्होंने मुझे अपने गांव में पनाह दिया। जिन्होंने मुझे अपने भाई ,अपने बेटे की तरह पाला।
कुछ देर ही लगा, हमें टेलर के पास। टेलर को अभिषेक ने बताया कि तीन सेट  बनवाने है।
अभिषेक मेरे को बोला- यह राहा तुम्हारा ऑफिशियल ड्रेस ।और भी कैजुअल ड्रेस बनाना चाहते हो ,तो तुम बनवा लो।
गांव में तो जीजा जी ने मेरे लिए कुछ ड्रेस बनावा दी थी। मगर वह सारे ड्रेस इतने मकूल नहीं थे।
मैंने अपने लिए कैजुअल दो ड्रेस ओं का भी नाप दे दिया था। अभिषेक बता रहा था। इनका खर्चा भी ऑफिशियल हो जाएगी। कोई टेंशन लेने वाली बात नहीं है।
मैंने पहले कभी नौकरी नहीं की थी ।नही इन सब के बारे में पता था। न ही अभिषेक ने मुझे मेरे तनखा के बारे में बताया था ।मैं बिल्कुल अनजान था ।इसीलिए जो होता था ,हो रहा था होने देना चाहता था।
हम कपड़े का नाप देकर फिर वहां से चल पड़े थे। अभिषेक गाड़ी हाक रहा था। और मैं उसके बगल में बैठा हुआ था ।अभिषेक ने मुझे पूछा- कार चलानी आती है, तुम्हें?
मैंने सपाटसा उत्तर दिया -नहीं!
अभिषेक बोला -कोई बात नहीं ,तुम सीख लोगे। तुम्हें कार चलाना भी सिखा दूंगा मैं।
मैं मुस्कुराया सच में!?
नेताजी तुम्हें अपने पास रखने वाले हैं। बॉडीगार्ड की तरह ,तुम्हारी पर्सनालिटी, तुम्हारी हाइट, तुम्हारा वेट ,तुम्हारी शरीर की बनावट ऐसी है ,कि कोई भी इंसान लड़ने से पहले 10 बार सोचलेगा। इसीलिए तुम्हें कार चलाना बंदूक चलाना सिखाया जाएगा। उसके बाद तुम हर वक्त नेताजी के साथ रहोगे। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा तुम्हें एक महीने का टाइम लगेगा।
मैं मन ही मन यह सोच रहा था। सच में इन सब चीजों की मुझे खास जरूरत थी।। क्योंकि मुझे बदला लेना था। मुझे अपने आपको सिर्फ लड़ाई के लिए नहीं ,साधन के लिए भी पारंगत बनाना था। बंदूक चलाना ,फिर कार चलाना, यह मेरे लिए बहुत जरूरी था। जिसकी मुझे कभी भी जरूरत पड़ सकती थी ।क्योंकि मेरे मिशन में कामयाबी हासिल करने के लिए।
सचमुच कुदरत- कायनात भी यही चाहती थी। रामेश्वर धनवार और उस प्लैटिनम इंडस्ट्री के मालिकान और संस्थापकों का --सर्वनाश, कत्ले गारत के लिए।

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रचनाएँ
कत्ले गारत
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बदले और खून से सनी खूनी सफर सफर का इतिहास है ।जिसे हम कत्ले गारत का नाम देकर यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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टेंडर किसी व्यापारी के नाम पर छूट चुका था। व्यापारी क्या वह अपने आप को बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट समझता था। वह चाहता था। किसी तरह भी इस गांव को खाली कर दिया जाए ।क्योंकि ,उस गांव से ही होकर वह रास्ता प

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गांव के लोगों की खासियत होती है- वह जो थोड़े में संतुष्ट हो जाते हैं। वह नहीं सोचते कि वह कार पर चले। वे यह नहीं सोचते कि बहुत बड़ा बंगला बने, वे नहीं सोचते कि बहुत बड़ी कोठी हो ।बस दो वक्त की रोटी बी

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1 जनवरी 2023
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शायद कुछ साल यूं ही गुजर ग्ए थे। इस घर ने इस गांव में मुझे अपनापन और प्यार मोहब्बत मिला था। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है।इन्होंने मुझे इतना मो

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1 जनवरी 2023
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मैंने पढ़ाई अपने कबीले की स्कूल में थोड़ी बहुत की थी ।जिसे पढ़ाई कह नहीं सकते थे।इस गांव में आने के बाद ,मैंने गांव में छोटे-छोटे बच्चों को जितना आता था। पढ़ाने की कोशिश की थी।हिंदी इंग्लिश की अक

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2 जनवरी 2023
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मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही लक्ष्य बचा हुआ था। और वो लक्ष्य था किसी तरह भी उन खूनियों का खात्मा करना। क्योंकि मुझे पता था। कि यह सारा सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत में हुई थी। इसलिए कानून का सहारा लेना

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2 जनवरी 2023
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अब बापी भी बड़ी हो चुकी थी। 10:11 साल की हो चुकी थी। दीदी के गोद में दूसरा एक बच्चा भी आ चुका था। उसकी भी उम्र अभी 4 साल की हो चुकी थी। मैं अग्निपुत्र- इस परिवार का एक अभिन्न अंग बन चुका था ।परिवार का

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यह वक्त नहीं था। कि मैं पंडित जी के साथ जाउं। गांव पहुंच कर खोजबीन करूं! जहां गांव के बारे में गांव की आबादी के बारे में नोटेड होता है ।क्योंकि ,अभी हम पुष्पलता के इलाज के लिए आए हुए थे। और जरूरी था,

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3 जनवरी 2023
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आज शहर में आए हुए तीसरा दिन था। पुष्प लता लगभग ठीक हो गई थी। मेरे इकरारेईश्क के बाद उसका बुखार धीरे-धीरे कमता चला गया था। या यूं कहें कि दोनों की एकरार के बाद बुखार लगभग उसी, समय कम हो गया था।मु

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4 जनवरी 2023
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पुष्पा को समझ आ चुका था। जिंदगी के बारे में। पुष्पा को इस बात की समझ आ गई थी। जो जिंदगी में जीने के लिए पैसे की भी जरूरत होगी। जो मैं शहर जाकर ही कमा सकता था। गांव में रहकर तो हम सिर्फ खा पी सकते थे।

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4 जनवरी 2023
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मैं जिस रास्ते से इस गांव में आया था। उसी रास्ते से ही मुझे लौटना था। इतने सालों के बाद भी मैं वो रास्ता कभी भूल नहीं पाया था। वह नदी पार करना ,नदी पार करके फिर इस गांव में आना ,जब मैं कभी भूला नहीं प

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6 जनवरी 2023
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वे चार लोग थे ।और मैं उनके बीच में एक अकेला लेटा हुआ था। और मेरी नींद को देखते हुए उन लोगों ने जागाने के लिए एक ने मुझे छू करा आवाज लगाया था।उनकी आवाजों से मेरी आंखें खुल गई थी। मैंने नजर इधर-उधर घुमा

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7 जनवरी 2023
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मुझे पता था ।मेरा रास्ता आसान नहीं था। मुझे यह भी पता था। जिन चार लोगों पर मैंने हमला किया था। वह लोग यकीनन कोई न कोई मेरे पीछे आने वाले थे। उन के मुताबिक वह सिर्फ चार नहीं थे ।पूरा कुनबा था। उन

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8 जनवरी 2023
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बीच में आए इन सब लोगों से मैं खुद को बचाना चाहता था।। मेरा मकसद अपने गांव तक पहुंचना था। यह देखना था ,उस कत्ले गारत में कोई बचा तो नहीं ।या यह जानना था -कि कत्ले गारत के बाद वहां इंडस्ट्री बसा है

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8 जनवरी 2023
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मुझे बहुत आगे निकलना था। वक्त बहुत जाया हो चुका था।मैंने आसमान की ओर देखा। सूरज क्षितिज पे कहीं छुपने की तैयारी कर रहा था। मुझे अपने गांव आगे बढ़ना था। और रात के रुकने की व्यवस्था भी करना था। मेरा घोड

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10 जनवरी 2023
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मकान के बाहर सारागांव जमा हो गया था। सारा गांव ही एक कुनबा था। गांव के लोग में एकता थी एक स्वर बद्धता थी ।जो वहां जमा होने पर दिखती थी।गांव के बड़े बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे। बच्चे भूल से गए थे। उस

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कत्ले गारत 22

11 जनवरी 2023
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उन के अंदर की ज्वाला को मैंने भड़काने की कोशिश की। उनके अंदर की ज्वाला शायद शांत हो चुकी थी ।या कुछ न कर पाने की वजह से वह चुपचाप हो गए थे।शायद वह नहीं चाहते थे ,कि जो बचे खुचे हैं, उनको कोई नुकसान पह

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कत्ले गारत 23

13 जनवरी 2023
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मुझे अब भटकने की जरूरत नहीं थी। गांव वालों को पता था । वह पुराना गांव हमारा कहां पर है.. किस रास्ते से वहां पर जा सकते हैं!मैं अकेला ही उस ओर जाने के लिए तैयार था। मैं सबसे पहले उस धरती का दर्शन चाहता

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कत्ले गारत 24

14 जनवरी 2023
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जब मेरी आंखें खुली, चट्टानों में बैठे-बैठे मुझे नशा सा छा गया था। जिसकी वजह से मैं वहीं पर लुढ़क गया था। करीब चार-पांच घंटे यूं ही मैं बेहोश सा पड़ा रहा। जब मेरे घोड़े ने मुझे

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कात्ले गारत 25

17 जनवरी 2023
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मैं पानी पीकर और हाथ मुंह धो कर अपने गांव की ओर मुड़ा। चारों तरफ बाउंड्री लगी हुई, बीच में कोई इंडस्ट्री बसी हुई थी। बाउंड्री पत्थरों से दीवार बनाई गई थी इस पार से उस पार देख पाना मुमकिन नहीं था

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कत्ले गारत 26

18 जनवरी 2023
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मैं अपने गांव में था। जो अभी फिलहाल इंडस्ट्री में तब्दील हो गई थी। और मेरे अपने लोग यहां कोई नहीं था। मेरा अपना मकान भी नहीं था।मैंने गांव की मिट्टी को अपनी मुट्ठी में लिया दिल से लगा लिया। सच म

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कत्ले गारत 27

20 जनवरी 2023
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कामदारों से मुझे सिर्फ इतना ही पता चल सका था, कि वह अरबों पति लोग थे ।उनके पास पहुंचना मुश्किल काम था। मैं साइबर में बैठकर,इन लोगों का रिहायश, ऑफिस पता लगाना चाहता था। यूं तो वे लोग यहां भी

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मार्गरेटा से टोपला बस्ती, ज्यादा दूर नहीं था। करीब 20 किलोमीटर का रास्ता था । ऑन द रोड।अगर मैं अपने घोड़े पर ही टोपला बस्ती पहुंचता तो, लोग यही समझते ,कि कोई बैंड बाजा बारात वाला ही होगा। जो किस

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कत्ले गारत 29

24 जनवरी 2023
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अंधेरी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। मगर टोपला बस्ती का यह एरिया ,रोशनी से जगमग आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हो। और कोठियों में जगमगा रहे हो।जहां मैं ठहरा था , रिस

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कत्ले गारत 30

25 जनवरी 2023
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मौसम इतना ठंडा नहीं था। फिर भी मैं अपने घोड़े को खुले छत में नहीं रख सकता था। रात को रुकने के लिए उसे भी छत चाहिए थी । घास चाहिए था ।और खाने के लिए दाना भी चाहिए था ।पानी भी चाहिए था। उसकी फिकर मुझे अ

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कत्ले गारत 31

29 जनवरी 2023
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अभिषेक ने जो कार्ड दिया था। उसमें सिर्फ उसका नाम और फोन नंबर लिखा हुआ था।और कहा था ।दो दिन बाद कॉल कर लेना। आज तीसरा दिन था। मैंने अभिषेक को कॉल किया था।अभिषेक निहायत ही शरीफ और ईमानदार शख्सियत था। और

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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023
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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा सा

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31 जनवरी 2023
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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने लगती है।यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभ

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