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कत्ले गारत 11

2 जनवरी 2023

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मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही लक्ष्य बचा हुआ था। और वो लक्ष्य था किसी तरह भी उन खूनियों का खात्मा करना। क्योंकि मुझे पता था। कि यह सारा सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत में हुई थी। इसलिए कानून का सहारा लेना बेमानी बातें थी।
और कानून मेरी दलील को विश्वास करने से रहा ।क्योंकि उनके सारे नुमाइंदे बिके हुए थे। वरना इतना बड़ा कत्ले गारत अंजाम दिया गया। और इसकी हवा किसी को लगी भी नहीं। यह संभव कैसे हो सकता था?
मेरा पूरा का पूरा गांव श्मशान में तब्दील हो गया। जल जलें में जलाकर खाक कर दिया गया ।फिर भी किसी को हवा तक नहीं लगी।
न किसी मीडिया को पता लगा ,किसी चैनल को पता लगा । अचानक इस तरह से गायब होने के पीछे ;मीडिया ने भी कोई जिक्र नहीं छेड़ा! कहां गये यह लोग ?क्या हो गया इन सब का ?अचानक इतने सारे मकान राख में कैसे तब्दील हो गए?
बस विश्व के नक्शे से यह सारे मकाने जैसे-- बच्चे कैनवस में चित्र बनाते हैं !और रबड़ से मिटा देते हैं !उसी तरह यह सारे कैनवस में बने हुए चित्र की तरह मिटा दिए गए! न कोई मीडिया का रिएक्शन हुआ,न कोई मीडिया पर्सन यहां पर आया।
कभी किसी न्यूज़ मीडिया ने, कभी किसी डिजिटल मीडिया ने, उस गांव ,इस गांव के लोगों को इस गांव में बसे उन इंसानों को, कीड़े मकोड़े की तरह सोच लिया ।
न कभी ढूंढने की कोशिश की गई, सरकारी खाते में सारा डब्बा बंद कर दिया गया।
 जिसकी वजह क्या थी ?सरकारी नुमाइंदों की की घुसपैठ ।सरकारी  नुमाइंदों का कत्ले गारत में सामिल होना ।और डाटा को ही गायब कर देना।
एक पूरा का पूरा गांव जिसमें करीब 200 मकानें थी ।जलकर खाक में तब्दील हो जाते हैं। उन में रह रहे इंसान सारे जलकर खाक हो जाते हैं। और सरकार की कानों में जूं तक नहीं रेंगती ,इसकी वजह क्या थी ?
सरकारी नुमाइंदे भी इसमें शामिल थे। उन्होंने भी ईस कत्ले गारत में लगी आग में अपनी रोटी सेकी ।
बदनसीब गांव वाले जलकर खाक हो गए। जैसे  कभी कुछ था ही नहीं , विश्व के मानचित्र से उनका,उनके गांव का नामोनिशान मिट गया । इनके दर्दनाक मौत पर ,दर्दनाक क़त्ल पर ,  रोने के लिए कोई एक भी इंसान बचा नहीं --सिर्फ अग्नि पुत्र के सिवा ।
रोने के लिए ,दो बूंद आंसू बहाने के लिए ,भी कोई बचा नहीं। बदनसीबी उनके जिंदगी में यूं तारी हुई ,कि उनको चिता भी नसीब ना हुआ। बदनसीब उन गांव वालों की जिन्होंने अपने सब कुछ उस आगजनी में खो दिया ।अपनी जिंदगी तक  कोई बच ना पाए। उस आगजनी में पूरे गांव वालों को जिंदा जला दिया गया।

अब !?
अग्नि पुत्र को इस कत्ले गारत  का बदला लेना था। 
उसका दारोमदार वही था। कत्ले गारत  का गिन-गिन के बदला लेने के लिए ही अग्निपुत्र को कायनात ने शायद जिंदा रखा था। 

और कायनात उसे तैयार कर रहा था ।सारी कायनात मिलकर उसे उस कत्ले गारत के बदला लेने के लिए तैयार कर रहे थे।  कायनात चाहता था ,गारत के दोषियों को तड़पा तड़पा कर मारना। इसीलिए उसने अग्निपत्र को जिंदा रखा था। अग्नि पुत्र को इसलिए तैयार कर रहा था।
अग्नि पुत्र के दिल में इसीलिए उसन आग सुलगा दी थी।
"याद रहे कायनात किसी को बख्शती नहीं। कायनात किसी को किए हुए गुनाह के लिए, माफ नहीं करती। उसे जरूर सजा देती है ।यहीं, इसी धरती पर ,उसे सजा भुगतना ही पड़ता है। यही कायनात का कानून है। यही कायनात का इंसाफ है। यही कायनात की खासियत है। जिसने भी कायनात के कानून को छेड़ा है। जिसने भी कायनात के कानून से गलत किया है। जिसने भी कायनात के खिलाफ इंसानियत को नेस्तनाबूद किया है। उसे कायना जरूर सजा देगी। कायनात खुद नहीं आती उसके लिए, वजह पैदा करती है। और वह वजह वजह है --अग्निपुत"

अग्नि पुत्र की दिल की बातें किसी को पता नहीं था ।ना ही कभी किसी को अग्निपुत्र ने बताया भी नहीं  ।
कथित दीदी को भी नहीं ।कथित जीजा को भी नहीं ।

वहां गांव के किसी लोगों को अग्नि पुत्र के असलियत के बारे में , उसके साथ गुजरी हादसे के बारे में, किसी को पता नहीं था।
 न हीं भृगु  चाचा को ,उसने बताया था। बस भृगु चाचा उसे तैयार कर रहे थे ।
किस लिए तैयार कर रहे थे ?उनको कुछ पता नहीं था !मगर कायनात उनसे सब कुछ करा रही थी।
कायनात के मंसूबे के आगे सारा खेल बेकार था।
कायनात ने उसे मजबूती से तैयार कर लिया था। कायनात ने अग्नि पुत्र के ह्रदय में आग लगा दिया था। कायनात ने जो भी किया था, कायनात की बातें थी ।हम आप कुछ नहीं कर सकते।
अग्नि पुत्र ने अपने दिल में आग ली थी। अग्नि पुत्र ने बदले की आग को अंदर ही अंदर दबा रखा था।
 अग्नि पुत्र ने अपने आप को तैयार करने में कई साल लगा दिए ।
जब  उसने कत्ले गारत  से अपने आप को बचा कर भाग निकला था। जिसके मां बाबा आग में जल रहे थे ।और उनकी आवाज आ रही थी... भाग अग्नी.. भाग…. भाग खुद को बचा ले। भाग अग्नी.. भाग.. खुद को बचाले।
हमारे पीछे मत आ.…! किसी के पीछे मत आ.. भाग भाग अग्नि भाग!
अपने बाबा की आवाजें , अभी तक उसके कानों में गूंज रही थी ।
अपनी मां की आवाजें उसके कानों में अभी तक गूंज रहे थे।
उन मरते हुए लोगों की चीख पुकारें.. करहाते हुए लोगों की चीख पुकारें। लोगों की चीख-पुकार ।लोगों के हा…हा कार ओ क्रनदन ।अभी भी उसके दिल में आग बनकर सुलग रही थी।
और गांव वालों की मौत की चीख-पुकार के बीच अग्निपुत्र ने अपने को तपाया।
 उस बदले की आग में खुद को तील-तील करके जलाया।
 बदले की आग को अपने सीने में छुपाए रखा। और सही वक्त का इंतजार करता रहा।
और बदले के लिए 
खुद को तैयार कर लिया। उसने अपने आपको सबल कर लिया ।
मगर अभी भी कुछ चीज बाकी थी ।अभी भी उसके पास  साधन न थे। मगर फिर भी उसने अपने जिस्म को अपने अंदर के आगको यूं भड़का लिया था। कि बदले की आग अब उनके खून से ही बुझने वाली थी। उन जालिम इंसानों के खून से बुझने वाली थी। उन जालिम इंसानों की मौत से ही शांत होने वाली थी।

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रचनाएँ
कत्ले गारत
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बदले और खून से सनी खूनी सफर सफर का इतिहास है ।जिसे हम कत्ले गारत का नाम देकर यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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अब मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा था। हवा में ठंडक बढ़ चुकी थी। हवा इतनी ठंड थी। कि ठिठुरन सी हो रही थी ।मगर यह ठिठुरन भी उस कत्ले गारत से कई गुना अच्छी थी। मैं खौफ़ के साऐ से बहुत दू

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वे चार लोग थे ।और मैं उनके बीच में एक अकेला लेटा हुआ था। और मेरी नींद को देखते हुए उन लोगों ने जागाने के लिए एक ने मुझे छू करा आवाज लगाया था।उनकी आवाजों से मेरी आंखें खुल गई थी। मैंने नजर इधर-उधर घुमा

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7 जनवरी 2023
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मुझे पता था ।मेरा रास्ता आसान नहीं था। मुझे यह भी पता था। जिन चार लोगों पर मैंने हमला किया था। वह लोग यकीनन कोई न कोई मेरे पीछे आने वाले थे। उन के मुताबिक वह सिर्फ चार नहीं थे ।पूरा कुनबा था। उन

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8 जनवरी 2023
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बीच में आए इन सब लोगों से मैं खुद को बचाना चाहता था।। मेरा मकसद अपने गांव तक पहुंचना था। यह देखना था ,उस कत्ले गारत में कोई बचा तो नहीं ।या यह जानना था -कि कत्ले गारत के बाद वहां इंडस्ट्री बसा है

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8 जनवरी 2023
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मुझे बहुत आगे निकलना था। वक्त बहुत जाया हो चुका था।मैंने आसमान की ओर देखा। सूरज क्षितिज पे कहीं छुपने की तैयारी कर रहा था। मुझे अपने गांव आगे बढ़ना था। और रात के रुकने की व्यवस्था भी करना था। मेरा घोड

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मकान के बाहर सारागांव जमा हो गया था। सारा गांव ही एक कुनबा था। गांव के लोग में एकता थी एक स्वर बद्धता थी ।जो वहां जमा होने पर दिखती थी।गांव के बड़े बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे। बच्चे भूल से गए थे। उस

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कत्ले गारत 22

11 जनवरी 2023
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उन के अंदर की ज्वाला को मैंने भड़काने की कोशिश की। उनके अंदर की ज्वाला शायद शांत हो चुकी थी ।या कुछ न कर पाने की वजह से वह चुपचाप हो गए थे।शायद वह नहीं चाहते थे ,कि जो बचे खुचे हैं, उनको कोई नुकसान पह

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कत्ले गारत 23

13 जनवरी 2023
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मुझे अब भटकने की जरूरत नहीं थी। गांव वालों को पता था । वह पुराना गांव हमारा कहां पर है.. किस रास्ते से वहां पर जा सकते हैं!मैं अकेला ही उस ओर जाने के लिए तैयार था। मैं सबसे पहले उस धरती का दर्शन चाहता

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जब मेरी आंखें खुली, चट्टानों में बैठे-बैठे मुझे नशा सा छा गया था। जिसकी वजह से मैं वहीं पर लुढ़क गया था। करीब चार-पांच घंटे यूं ही मैं बेहोश सा पड़ा रहा। जब मेरे घोड़े ने मुझे

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17 जनवरी 2023
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मैं पानी पीकर और हाथ मुंह धो कर अपने गांव की ओर मुड़ा। चारों तरफ बाउंड्री लगी हुई, बीच में कोई इंडस्ट्री बसी हुई थी। बाउंड्री पत्थरों से दीवार बनाई गई थी इस पार से उस पार देख पाना मुमकिन नहीं था

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मैं अपने गांव में था। जो अभी फिलहाल इंडस्ट्री में तब्दील हो गई थी। और मेरे अपने लोग यहां कोई नहीं था। मेरा अपना मकान भी नहीं था।मैंने गांव की मिट्टी को अपनी मुट्ठी में लिया दिल से लगा लिया। सच म

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20 जनवरी 2023
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कामदारों से मुझे सिर्फ इतना ही पता चल सका था, कि वह अरबों पति लोग थे ।उनके पास पहुंचना मुश्किल काम था। मैं साइबर में बैठकर,इन लोगों का रिहायश, ऑफिस पता लगाना चाहता था। यूं तो वे लोग यहां भी

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मार्गरेटा से टोपला बस्ती, ज्यादा दूर नहीं था। करीब 20 किलोमीटर का रास्ता था । ऑन द रोड।अगर मैं अपने घोड़े पर ही टोपला बस्ती पहुंचता तो, लोग यही समझते ,कि कोई बैंड बाजा बारात वाला ही होगा। जो किस

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24 जनवरी 2023
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अंधेरी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। मगर टोपला बस्ती का यह एरिया ,रोशनी से जगमग आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हो। और कोठियों में जगमगा रहे हो।जहां मैं ठहरा था , रिस

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कत्ले गारत 30

25 जनवरी 2023
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मौसम इतना ठंडा नहीं था। फिर भी मैं अपने घोड़े को खुले छत में नहीं रख सकता था। रात को रुकने के लिए उसे भी छत चाहिए थी । घास चाहिए था ।और खाने के लिए दाना भी चाहिए था ।पानी भी चाहिए था। उसकी फिकर मुझे अ

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कत्ले गारत 31

29 जनवरी 2023
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अभिषेक ने जो कार्ड दिया था। उसमें सिर्फ उसका नाम और फोन नंबर लिखा हुआ था।और कहा था ।दो दिन बाद कॉल कर लेना। आज तीसरा दिन था। मैंने अभिषेक को कॉल किया था।अभिषेक निहायत ही शरीफ और ईमानदार शख्सियत था। और

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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023
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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा सा

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कत्ले गारत 33

31 जनवरी 2023
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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने लगती है।यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभ

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