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कत्ले गारत 33

31 जनवरी 2023

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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने  लगती है।
यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभर कर सामने आ ही जाता है। और कुदरत का बार कभी खाली नहीं जाता।
फिर इंसान आत्मा से कमजोर हो जाता है। जब इंसान खुद अपनी आत्मा से कमजोर हो जाए, तो सारी दुनिया से लड़ने की शक्ति उसकी क्षीण हो जाती है।
जो संगीन गुनाह  कुदरत कभी माफ नहीं कर सकता। जब कुदरत माफ न करें तो, कुदरत इसके खात्मे के लिए धरातल तैयार करने लगती है।
मैं तैयार हो रहा था, दुश्मन के साए तले। और दुश्मन को कानो कान पता नहीं था। उसके आस्तीन में सांप पल रहा है।
अभिषेक ने मुझे शूटिंग रेंज पर ले गया था।
अभिषेक ने मुझे कहा था। जब तक तुम शूटिंग के सारे गुर सीख न लो, तब तक तुम्हें यहां पर पर हर रोज़ आना होगा।
 लेकिन, यह कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। मामूली सी बात है ।तुम्हें कोई वर्ल्ड चैंपियन तो बनना नहीं है। बस तुम्हें शूटिंग आनी चाहिए। बंदूक चलाने की नॉलेज होनी चाहिए। समझ गए। तुम्हें तैयार करने का जिम्मा नेता जी ने मुझे दिया है।
मैं बोला- मैं तो कुछ भी  करने के लिए तैयार था। यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होगी। कि नेता जी ने मुझे ,आपने साथ रखने का फैसला किया है।
अभिषेक  बोला- तुम्हें अच्छी तनखा भी दी जाएगी। तुम्हारी जिंदगी यहां सेट कर दूंगा मैं। ठीक है? अब तुम्हें कभी भी ,कहीं भी, नौकरी के लिए, रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। यहां तुम्हारी परमानेंट ड्यूटी लग जाएगी।

यह सब आप लोगों की मेहरबानी है। मैं तो यहां छोटे मोटे काम की आया था। बगीचे में माली माली का काम मिल जाता। यह सोच कर आया था।  क्योंकि, मेरे पास कोई आईडेंटिटी कार्ड नहीं है ।एजुकेशनल क्वालीफिकेशन भी नहीं है।  फिर कोई क्यों मुझे अच्छी जगह पर तैनात करेगा? इसीलिए मैंने यह सोचा था ।की कोठी के आगे इतना बड़ा बगीचा है.। बगीचे में ही काम करने को अगर काम मिल जाता तो बहुत है ।
मगर अब मुझे इतनी अच्छी नौकरी मिल गई है ,इससे मैं बहुत खुश हूं।
अभिषेक ने माउजर पर मैगजीन डाला। और टारगेट पर एक फायर किया। धाय! की एक आवाज के साथ गोली छुटी और बनाए गए टारगेट के रिंग पर लगा। बीच में नहीं लग पाया। अभिषेक ने माउजर ओर  बढ़ा दिया।
जैसे अभिषेक ने निशाना साधा था उसी तरह से मैंने भी  फायर झोंक दिया,  टारगेट पर ।

यह मेरी जिंदगी की पहली फायरिंग थी। पहली बार ही मैंने गन को पकड़ा था, गन को छुआ था। इसीलिए शायद मेरे हाथों को एक हल्का सा झटका लगा। हाथ ऊपर की ओर झटके से चला गया।
अभिषेक बोला -यह तो  माउजर है ।ज्यादा झटका नहीं देती ।मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बना हुआ है ।पुराने जो रिवाल्वर होते हैं। वह ज्यादा झटके देते हैं।
उसने फिर माउजर अपने हाथ में ली। और  उसने फायर करने का टेक्निक समझाया। माउजर में मैगजीन  कैसे डालना, कैसे निकालना मुझे दिखाया। मैंने दो-तीन बार मैगजीन डालना और निकालना किया। बड़ा आसान सा काम था।
उसने मुझे यह भी बताया- किस तरीके से लॉक कर दिया और सेफ्टी लॉक कैसे खोलना है! यह भी कोई ज्यादा दिमाग लगाने वाली बात नहीं थी ! किसी को भी एक बार दिखाने के बाद ,यह काम आराम से कर सकता था। इस तरीके से मेरे दुश्मन ने ही मुझे एक परफेक्ट योद्धा बनने की ट्रेनिंग दिलाई थी।
सातवें दिन मेरा हर एक गोली टारगेट पर लग रहा था।
अभिषेक खुश था। उसका शागिर्द जो गन चलाने में माहिर हो गया था। यह एक उस्ताद के लिए खुशी की ही बात थी।
अभी मुझे गन साथ में लाने दिया जा नहीं रहा था ।बस ट्रेनिंग के बाद वहीं पर छोड़ कर आना पड़ता। सभी तरह के छोटे गन वहां पर थे। सभी पर मैंने हाथ आजमा लिया था। अब गन चलाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं होती।

अब बारी थी कार चलाने की।  मुझे  ड्राइविंग इंस्टीट्यूट नहीं ज्वाइन करवा लिया था। सुबह सुबह मुझे ड्राइविंग कॉलेज पहुंचना पड़ता। ड्राइविंग के गुर सीखने के बाद, फिर नाश्ता पानी करके ,मैं फिर अभिषेक के साथ शूटिंग रेंज में पहुंच जाता।
इतने व्यस्ततम रहने के बाद भी ,मैं सुबह आपने घोड़े को पानी-सानी और चारा डाल कर चला जाता। घोड़े से बोलता -तुम्हारे आराम करने के दिन है! आराम कर लो जब जरूरत पड़ेगी तब फिर चलेंगे। शाम- शाम को मैं घोड़े को अस्तबल से निकालकर घास के मैदान की ओर ले चलता।
आज  यहां काम पर लगे  हुए पच्चिसवा  दिन था। और पांच दिन के बाद मुझे रामेश्वर धनवार के साथ ही रहना था। इस बात का जिक्र अभिषेक ने मुझसे किया था।
फिर मुझे धनवार की हर गतिविधि पता चलता। उसी हिसाब से मैं अपना प्लान सेट कर सकता था।
इस बीच मुझे सिर्फ एक बार हवेली के अंदरूनी  भाग में जाने का मौका मिला था।
ऐसा भव्य कोठी  कभी मैंने देखा न था। यह मेरे लिए एक अचरज  की बात थी।
 कोठी में कई कमरे थे ।जिनमें रामेश्वर धनवार का कौन सा कमरा था?  मैंने किसी से पूछा नहीं ।और पूछने का औचित्य भी नहीं था। ज्यादा पूछताछ करने पर , कोई भी घटना होने पर ,मेरे ऊपर शक होना मामूली सी बात थी। इसीलिए भी मैंने सारा काम, वक्त के ऊपर छोड़ रखा था।
मुझे पता था जैसे ही मैं धनवार के गार्ड के रूप में लग जाऊंगा ।उसके बाद उसके कमरे में भी आना-जाना शुरू हो जाएगा। और यह भी पता चल जाएगा कि कौन-कौन प्लेटिनम इंडस्ट्री के मालिक हुआ करते हैं।
कौन-कौन से लोग जिन्होंने प्लेटिनम इंडस्ट्री को ।नौगांव को इंडस्ट्री में बदलने के लिए। गुनाह का सहारा लिया। लोगों का हत्या किया, सब का पता चल सकता था।
मेरे पास कार का कोई लाइसेंस नहीं था। लेकिन कार चलाने में मैं माहिर हो गया था। और बंदूक चलाना भी मुझे अच्छी तरह आ गया था। निशाने पर मैं एक ही झटके में गोली दाग सकता था।
रोज सुबह उठकर मुझे उसी ऑफिस पर पहुंचना होता था ।जिसमें पहली बार अभिषेक मुझे  ले गया था ।वहीं से फिर आगे अभिषेक मुझे लेकर चलता था। यह मेरा रोज का काम था। वही से मुझे खाना खाने के लिए किचन में जाना होता था।
कुछ और पैसे मुझे अभिषेक ने एडवांस के तौर में ऑफिस से दिलवाया था। जिससे मुझे अपनी  जेब खाली महसूस ना हो।
इन सबके बावजूद, मैं दिन में एक चक्कर चाय वाले चाचा के पास लगा आता था। चाय पी आता था। जब मैं अपने घोड़े को लेकर शाम के चक्कर में निकलता था। मेरे घोड़े की भी कुछ चक्कर लग जाती , वह भी मुझसे खुश रहता।(१३२)
जिंदगी के प्रत्येक पल मेरे लिए खास था। अहमियत रखता था। क्योंकि हर एक कदम रामेश्वर धनवार और प्लेटिनम इंडस्ट्री के मालिकान की ओर बढ़ रहा था ।यही उन लोगों के लिए कम- डाउन था।










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रचनाएँ
कत्ले गारत
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बदले और खून से सनी खूनी सफर सफर का इतिहास है ।जिसे हम कत्ले गारत का नाम देकर यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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यह उपन्यास काल्पनिक है ।जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं ।या फिर किसी वास्तविक व्यक्ति या समुदाय को चोट पहुंचाने के लिए कतई लिखी गई नहीं है। &n

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जब वह गांव वाला अपने हाथों में गिलास जैसा कुछ सामान लेकर आया था ।वह छोटा सा लौटा था ।और उसने बैटते ही पूछा -क्या तुम लाओ पानी खाओगे?मैं समझ गया था लाव पानी एक तरह की शराब होती है। जो चावल से बनती है ।

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घर पर कई काम हो सकते थे। जानवर पाल रखे हो तो जानवर के लिए ।चराना चलाना आदि काम रखरखाव का काम हो सकता था। गाय भैंस हो तो इसको रखरखाव के लिए उससे दूध दुहने के लिए, उसको पानी सानी करने के लिए

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टेंडर किसी व्यापारी के नाम पर छूट चुका था। व्यापारी क्या वह अपने आप को बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट समझता था। वह चाहता था। किसी तरह भी इस गांव को खाली कर दिया जाए ।क्योंकि ,उस गांव से ही होकर वह रास्ता प

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गांव के लोगों की खासियत होती है- वह जो थोड़े में संतुष्ट हो जाते हैं। वह नहीं सोचते कि वह कार पर चले। वे यह नहीं सोचते कि बहुत बड़ा बंगला बने, वे नहीं सोचते कि बहुत बड़ी कोठी हो ।बस दो वक्त की रोटी बी

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1 जनवरी 2023
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शायद कुछ साल यूं ही गुजर ग्ए थे। इस घर ने इस गांव में मुझे अपनापन और प्यार मोहब्बत मिला था। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है।इन्होंने मुझे इतना मो

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मैंने पढ़ाई अपने कबीले की स्कूल में थोड़ी बहुत की थी ।जिसे पढ़ाई कह नहीं सकते थे।इस गांव में आने के बाद ,मैंने गांव में छोटे-छोटे बच्चों को जितना आता था। पढ़ाने की कोशिश की थी।हिंदी इंग्लिश की अक

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2 जनवरी 2023
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मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही लक्ष्य बचा हुआ था। और वो लक्ष्य था किसी तरह भी उन खूनियों का खात्मा करना। क्योंकि मुझे पता था। कि यह सारा सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत में हुई थी। इसलिए कानून का सहारा लेना

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अब बापी भी बड़ी हो चुकी थी। 10:11 साल की हो चुकी थी। दीदी के गोद में दूसरा एक बच्चा भी आ चुका था। उसकी भी उम्र अभी 4 साल की हो चुकी थी। मैं अग्निपुत्र- इस परिवार का एक अभिन्न अंग बन चुका था ।परिवार का

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यह वक्त नहीं था। कि मैं पंडित जी के साथ जाउं। गांव पहुंच कर खोजबीन करूं! जहां गांव के बारे में गांव की आबादी के बारे में नोटेड होता है ।क्योंकि ,अभी हम पुष्पलता के इलाज के लिए आए हुए थे। और जरूरी था,

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आज शहर में आए हुए तीसरा दिन था। पुष्प लता लगभग ठीक हो गई थी। मेरे इकरारेईश्क के बाद उसका बुखार धीरे-धीरे कमता चला गया था। या यूं कहें कि दोनों की एकरार के बाद बुखार लगभग उसी, समय कम हो गया था।मु

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4 जनवरी 2023
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पुष्पा को समझ आ चुका था। जिंदगी के बारे में। पुष्पा को इस बात की समझ आ गई थी। जो जिंदगी में जीने के लिए पैसे की भी जरूरत होगी। जो मैं शहर जाकर ही कमा सकता था। गांव में रहकर तो हम सिर्फ खा पी सकते थे।

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4 जनवरी 2023
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मैं जिस रास्ते से इस गांव में आया था। उसी रास्ते से ही मुझे लौटना था। इतने सालों के बाद भी मैं वो रास्ता कभी भूल नहीं पाया था। वह नदी पार करना ,नदी पार करके फिर इस गांव में आना ,जब मैं कभी भूला नहीं प

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कत्ले गारत 17

6 जनवरी 2023
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वे चार लोग थे ।और मैं उनके बीच में एक अकेला लेटा हुआ था। और मेरी नींद को देखते हुए उन लोगों ने जागाने के लिए एक ने मुझे छू करा आवाज लगाया था।उनकी आवाजों से मेरी आंखें खुल गई थी। मैंने नजर इधर-उधर घुमा

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7 जनवरी 2023
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मुझे पता था ।मेरा रास्ता आसान नहीं था। मुझे यह भी पता था। जिन चार लोगों पर मैंने हमला किया था। वह लोग यकीनन कोई न कोई मेरे पीछे आने वाले थे। उन के मुताबिक वह सिर्फ चार नहीं थे ।पूरा कुनबा था। उन

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8 जनवरी 2023
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बीच में आए इन सब लोगों से मैं खुद को बचाना चाहता था।। मेरा मकसद अपने गांव तक पहुंचना था। यह देखना था ,उस कत्ले गारत में कोई बचा तो नहीं ।या यह जानना था -कि कत्ले गारत के बाद वहां इंडस्ट्री बसा है

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कत्ले गारत 20

8 जनवरी 2023
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मुझे बहुत आगे निकलना था। वक्त बहुत जाया हो चुका था।मैंने आसमान की ओर देखा। सूरज क्षितिज पे कहीं छुपने की तैयारी कर रहा था। मुझे अपने गांव आगे बढ़ना था। और रात के रुकने की व्यवस्था भी करना था। मेरा घोड

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10 जनवरी 2023
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मकान के बाहर सारागांव जमा हो गया था। सारा गांव ही एक कुनबा था। गांव के लोग में एकता थी एक स्वर बद्धता थी ।जो वहां जमा होने पर दिखती थी।गांव के बड़े बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे। बच्चे भूल से गए थे। उस

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उन के अंदर की ज्वाला को मैंने भड़काने की कोशिश की। उनके अंदर की ज्वाला शायद शांत हो चुकी थी ।या कुछ न कर पाने की वजह से वह चुपचाप हो गए थे।शायद वह नहीं चाहते थे ,कि जो बचे खुचे हैं, उनको कोई नुकसान पह

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कत्ले गारत 23

13 जनवरी 2023
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मुझे अब भटकने की जरूरत नहीं थी। गांव वालों को पता था । वह पुराना गांव हमारा कहां पर है.. किस रास्ते से वहां पर जा सकते हैं!मैं अकेला ही उस ओर जाने के लिए तैयार था। मैं सबसे पहले उस धरती का दर्शन चाहता

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कत्ले गारत 24

14 जनवरी 2023
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जब मेरी आंखें खुली, चट्टानों में बैठे-बैठे मुझे नशा सा छा गया था। जिसकी वजह से मैं वहीं पर लुढ़क गया था। करीब चार-पांच घंटे यूं ही मैं बेहोश सा पड़ा रहा। जब मेरे घोड़े ने मुझे

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17 जनवरी 2023
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मैं पानी पीकर और हाथ मुंह धो कर अपने गांव की ओर मुड़ा। चारों तरफ बाउंड्री लगी हुई, बीच में कोई इंडस्ट्री बसी हुई थी। बाउंड्री पत्थरों से दीवार बनाई गई थी इस पार से उस पार देख पाना मुमकिन नहीं था

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18 जनवरी 2023
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मैं अपने गांव में था। जो अभी फिलहाल इंडस्ट्री में तब्दील हो गई थी। और मेरे अपने लोग यहां कोई नहीं था। मेरा अपना मकान भी नहीं था।मैंने गांव की मिट्टी को अपनी मुट्ठी में लिया दिल से लगा लिया। सच म

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20 जनवरी 2023
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कामदारों से मुझे सिर्फ इतना ही पता चल सका था, कि वह अरबों पति लोग थे ।उनके पास पहुंचना मुश्किल काम था। मैं साइबर में बैठकर,इन लोगों का रिहायश, ऑफिस पता लगाना चाहता था। यूं तो वे लोग यहां भी

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23 जनवरी 2023
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मार्गरेटा से टोपला बस्ती, ज्यादा दूर नहीं था। करीब 20 किलोमीटर का रास्ता था । ऑन द रोड।अगर मैं अपने घोड़े पर ही टोपला बस्ती पहुंचता तो, लोग यही समझते ,कि कोई बैंड बाजा बारात वाला ही होगा। जो किस

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24 जनवरी 2023
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अंधेरी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। मगर टोपला बस्ती का यह एरिया ,रोशनी से जगमग आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हो। और कोठियों में जगमगा रहे हो।जहां मैं ठहरा था , रिस

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कत्ले गारत 30

25 जनवरी 2023
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मौसम इतना ठंडा नहीं था। फिर भी मैं अपने घोड़े को खुले छत में नहीं रख सकता था। रात को रुकने के लिए उसे भी छत चाहिए थी । घास चाहिए था ।और खाने के लिए दाना भी चाहिए था ।पानी भी चाहिए था। उसकी फिकर मुझे अ

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29 जनवरी 2023
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अभिषेक ने जो कार्ड दिया था। उसमें सिर्फ उसका नाम और फोन नंबर लिखा हुआ था।और कहा था ।दो दिन बाद कॉल कर लेना। आज तीसरा दिन था। मैंने अभिषेक को कॉल किया था।अभिषेक निहायत ही शरीफ और ईमानदार शख्सियत था। और

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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023
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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा सा

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कत्ले गारत 33

31 जनवरी 2023
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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने लगती है।यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभ

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