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कत्ले गारत 19

8 जनवरी 2023

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बीच में आए इन सब लोगों से मैं खुद को बचाना चाहता था।। मेरा मकसद अपने गांव तक पहुंचना था।
 यह देखना था ,उस कत्ले गारत में कोई बचा तो नहीं ।या यह जानना था -कि कत्ले गारत के बाद वहां इंडस्ट्री बसा है ,कि नहीं ।अगर बसा है, तो किसने उस इंडस्ट्री को बसाया।
कौन था? उस कत्ले गारत  का ,उस जलजले का मास्टरमाइंड?
कौन था उस कत्ले गारत  के पीछे?
कत्ले गारत में मारे गए 700 लोगों का, मौत का जिम्मेदार, जो भी था ,उसने ही वहां पर प्लेटिनम इंडस्ट्री बसाया होगा।
मुझे यही पता लगाना था ।और उन दहसतगर्दों को मौत के घाट उतारना था।
मैं अग्निपुत्र,
उस गांव में मारे गए 700 लोगों का मौत का बदला लेना चाहता था।
उन्हें नेस्तनाबूद करना चाहता था। इसके लिए मुझे अगर कानून से भी टकराना पड़े, तो इसके लिए मैं तत्पर तैयार था।
मेरे जिंदगी का मकसद यहीं था ।इसीलिए कुदरत ने मेरे को जिंदा रखा था।
मैंने अपने घोड़े के कंधे को थपथपा कर बोला- चल जल्दी चल ,मैं नहीं चाहता ,कि कोई ऐसा वैसा फिर मेरे से टकरा है! और समय की बर्बादी से बचना चाहता था मैं!
मेरा घोड़ा दिन मेरी बातों को अच्छी तरह समझता था इसलिए भी उसने मेरे कहते सरपट दौड़ लगाना शुरू कर दिया। लेकिन  रास्ता इतना साफ नहीं था, झाड, जंगल, पत्थर, कीचड़ ,पहाड़,नदी,नाले पार‌ करके जाना था।
रास्ता इतना आसान नहीं था। फिर भी घोड़े ने दौड़ लगाना शुरू कर चुका था। सूखे से जमीन को पार करते हुए, जैसे हम झाड जंगलों वाले रास्ते पर पहुंचे.. मेरे घोड़े ने जैसे अपनी गति पर ब्रेक लगा लिया। और हिन हिना कर पिछले दो पैरों में ही खड़ा हो गया।
इसका सीधा सा अर्थ था ,कि आगे कोई खतरा है। मैंने खतरे को भांपते हुए अपने पीठ पर लगी हुई तलवार को खींचकर मैंने अपने हाथ में ले ली।
मैंने चौकन्ना हो कर ,आजू बाजू देखा ।मुझे कुछ नजर नहीं आया ।फिर घोड़े को ऐड लगाने की कोशिश की। 
मगर मेरा घोड़ा टस से मस नहीं हुआ । फिर हिनहिना कर  दो पैरौ में उसने खुद को खड़े कर दिए।
जब घोड़ा हिना हिना कर खड़ा हुआ, और टस से मस होने के लिए राजी नहीं हुआ, तो मैंने ध्यान से अपने आगे की ओर देखा।  मैंने ध्यान से देखा- झाड़ियों पर अंधेरे पर एक काला चीता बैठा हुआ, हमें घूर रहा था!
उसकी आंखें बल्ब की तरह टीम टीम आ रहे थे ।और उसके दात  चमक रहे थे ।जिस्म उसका बिल्कुल काला सा था। हमारी  ओर घूर कर देखा रहा था ।और झपट पडने के लिए बिल्कुल तैयार था।
मैं ललकार था वह उससे बोला आना है तो आ जा तेरी भी शामत आ रखी होगी। तू भी आज बेटा ,या तो मरेगा ,या घायल होकर जाएगा।
जंगल का कानून है। जो बलवान होगा वही जी पाएगा। कमजोर जानवर बलवान जानवर का शिकार हो जाएगा।
जंगल में जीने के लिए बलवान होना, या फिर हमलावर होना जरूरी था।
मेरे चीखने पर वह आदमखोर जानवर मेरी ओर देखकर गुर्राया , यकीनन वह आदमखोर जानवर था ।वरना इंसान और घोड़े को एक साथ देख कर पलायन कर जाता, भागने को तैयार होता।
मैंने चेक कर बोला- या तो मेरे रास्ते से हट जा, या फिर मरने के लिए तैयार हो जा।
वह आदमखोर जानवर था। उसका मुंह इंसानी खून  जरूर लग चुका था। वह इंसानी बातों को समझ नहीं सकता था।
मैं और मेरा घोड़ा थोड़ी देर ,अडे रहे। उसे देखते रहे ।वह हमें देखकर गुर्राता  रहा।
अगर हम आगे बढ़ते ,तो वह शायद हम पर हमला कर सकता था। मगर हमारी अडे रहने पर ,उसने पता नहीं क्या सोच कर आपने आपको वापस करने में ही बेहतर समझा।

आदमखोर चुपचाप से पीछे की ओर मुड़ चला था। शायद वो हार मान चुका था।
उसे हमने आगे झाड़ी की ओर घुसते देखा तो हमें लगा सच में ओ हमसे दूर भाग रहा है। शायद उसे लगा था ।कि हम उस पर भारी पड़ रहे हैं। इसीलिए उसने ऐसा डिसीजन लिया होगा।
उसके पीछे मुड़ते ही घोड़े को मैंने ऐड लगाया घोड़ा थोड़ी देर तक टस से मस नहीं हुआ। फिर उसका गर्दन थपथपाया जैसे उसे शांतवाना दिया हो, कि मैं हूं ना। डर मत। आगे चल।
फिर मेरा घोड़ा चाहल कदमी के चाल में थोड़े थोड़े आगे बढ़ता रहा ।फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे सांत्वना  देते हुए उसका कंधा थपथपाया  और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन किया।


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रचनाएँ
कत्ले गारत
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बदले और खून से सनी खूनी सफर सफर का इतिहास है ।जिसे हम कत्ले गारत का नाम देकर यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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कत्ले गारत 1

28 दिसम्बर 2022
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यह उपन्यास काल्पनिक है ।जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं ।या फिर किसी वास्तविक व्यक्ति या समुदाय को चोट पहुंचाने के लिए कतई लिखी गई नहीं है। &n

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28 दिसम्बर 2022
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अब मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा था। हवा में ठंडक बढ़ चुकी थी। हवा इतनी ठंड थी। कि ठिठुरन सी हो रही थी ।मगर यह ठिठुरन भी उस कत्ले गारत से कई गुना अच्छी थी। मैं खौफ़ के साऐ से बहुत दू

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आसमान की ओर मैंने नजरें उठाकर देखा। क्षितिज में मुझे कहीं लाली सी ऊभरती दिखी। ऐसा लग रहा था। कुछ देर में उजाला होने वाला ही था। इसीलिए भी वह छोटी सी नदी मुझे साफ सी नजर आ रही थी।मैं भागते -भागते आसमान

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जब वह गांव वाला अपने हाथों में गिलास जैसा कुछ सामान लेकर आया था ।वह छोटा सा लौटा था ।और उसने बैटते ही पूछा -क्या तुम लाओ पानी खाओगे?मैं समझ गया था लाव पानी एक तरह की शराब होती है। जो चावल से बनती है ।

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31 दिसम्बर 2022
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टेंडर किसी व्यापारी के नाम पर छूट चुका था। व्यापारी क्या वह अपने आप को बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट समझता था। वह चाहता था। किसी तरह भी इस गांव को खाली कर दिया जाए ।क्योंकि ,उस गांव से ही होकर वह रास्ता प

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31 दिसम्बर 2022
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गांव के लोगों की खासियत होती है- वह जो थोड़े में संतुष्ट हो जाते हैं। वह नहीं सोचते कि वह कार पर चले। वे यह नहीं सोचते कि बहुत बड़ा बंगला बने, वे नहीं सोचते कि बहुत बड़ी कोठी हो ।बस दो वक्त की रोटी बी

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1 जनवरी 2023
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शायद कुछ साल यूं ही गुजर ग्ए थे। इस घर ने इस गांव में मुझे अपनापन और प्यार मोहब्बत मिला था। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है।इन्होंने मुझे इतना मो

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1 जनवरी 2023
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मैंने पढ़ाई अपने कबीले की स्कूल में थोड़ी बहुत की थी ।जिसे पढ़ाई कह नहीं सकते थे।इस गांव में आने के बाद ,मैंने गांव में छोटे-छोटे बच्चों को जितना आता था। पढ़ाने की कोशिश की थी।हिंदी इंग्लिश की अक

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2 जनवरी 2023
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मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही लक्ष्य बचा हुआ था। और वो लक्ष्य था किसी तरह भी उन खूनियों का खात्मा करना। क्योंकि मुझे पता था। कि यह सारा सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत में हुई थी। इसलिए कानून का सहारा लेना

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2 जनवरी 2023
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अब बापी भी बड़ी हो चुकी थी। 10:11 साल की हो चुकी थी। दीदी के गोद में दूसरा एक बच्चा भी आ चुका था। उसकी भी उम्र अभी 4 साल की हो चुकी थी। मैं अग्निपुत्र- इस परिवार का एक अभिन्न अंग बन चुका था ।परिवार का

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3 जनवरी 2023
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यह वक्त नहीं था। कि मैं पंडित जी के साथ जाउं। गांव पहुंच कर खोजबीन करूं! जहां गांव के बारे में गांव की आबादी के बारे में नोटेड होता है ।क्योंकि ,अभी हम पुष्पलता के इलाज के लिए आए हुए थे। और जरूरी था,

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आज शहर में आए हुए तीसरा दिन था। पुष्प लता लगभग ठीक हो गई थी। मेरे इकरारेईश्क के बाद उसका बुखार धीरे-धीरे कमता चला गया था। या यूं कहें कि दोनों की एकरार के बाद बुखार लगभग उसी, समय कम हो गया था।मु

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4 जनवरी 2023
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पुष्पा को समझ आ चुका था। जिंदगी के बारे में। पुष्पा को इस बात की समझ आ गई थी। जो जिंदगी में जीने के लिए पैसे की भी जरूरत होगी। जो मैं शहर जाकर ही कमा सकता था। गांव में रहकर तो हम सिर्फ खा पी सकते थे।

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4 जनवरी 2023
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मैं जिस रास्ते से इस गांव में आया था। उसी रास्ते से ही मुझे लौटना था। इतने सालों के बाद भी मैं वो रास्ता कभी भूल नहीं पाया था। वह नदी पार करना ,नदी पार करके फिर इस गांव में आना ,जब मैं कभी भूला नहीं प

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6 जनवरी 2023
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वे चार लोग थे ।और मैं उनके बीच में एक अकेला लेटा हुआ था। और मेरी नींद को देखते हुए उन लोगों ने जागाने के लिए एक ने मुझे छू करा आवाज लगाया था।उनकी आवाजों से मेरी आंखें खुल गई थी। मैंने नजर इधर-उधर घुमा

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कत्ले गारत 18

7 जनवरी 2023
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मुझे पता था ।मेरा रास्ता आसान नहीं था। मुझे यह भी पता था। जिन चार लोगों पर मैंने हमला किया था। वह लोग यकीनन कोई न कोई मेरे पीछे आने वाले थे। उन के मुताबिक वह सिर्फ चार नहीं थे ।पूरा कुनबा था। उन

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कत्ले गारत 20

8 जनवरी 2023
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मुझे बहुत आगे निकलना था। वक्त बहुत जाया हो चुका था।मैंने आसमान की ओर देखा। सूरज क्षितिज पे कहीं छुपने की तैयारी कर रहा था। मुझे अपने गांव आगे बढ़ना था। और रात के रुकने की व्यवस्था भी करना था। मेरा घोड

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10 जनवरी 2023
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मकान के बाहर सारागांव जमा हो गया था। सारा गांव ही एक कुनबा था। गांव के लोग में एकता थी एक स्वर बद्धता थी ।जो वहां जमा होने पर दिखती थी।गांव के बड़े बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे। बच्चे भूल से गए थे। उस

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कत्ले गारत 22

11 जनवरी 2023
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उन के अंदर की ज्वाला को मैंने भड़काने की कोशिश की। उनके अंदर की ज्वाला शायद शांत हो चुकी थी ।या कुछ न कर पाने की वजह से वह चुपचाप हो गए थे।शायद वह नहीं चाहते थे ,कि जो बचे खुचे हैं, उनको कोई नुकसान पह

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कत्ले गारत 23

13 जनवरी 2023
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मुझे अब भटकने की जरूरत नहीं थी। गांव वालों को पता था । वह पुराना गांव हमारा कहां पर है.. किस रास्ते से वहां पर जा सकते हैं!मैं अकेला ही उस ओर जाने के लिए तैयार था। मैं सबसे पहले उस धरती का दर्शन चाहता

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कत्ले गारत 24

14 जनवरी 2023
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जब मेरी आंखें खुली, चट्टानों में बैठे-बैठे मुझे नशा सा छा गया था। जिसकी वजह से मैं वहीं पर लुढ़क गया था। करीब चार-पांच घंटे यूं ही मैं बेहोश सा पड़ा रहा। जब मेरे घोड़े ने मुझे

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कात्ले गारत 25

17 जनवरी 2023
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मैं पानी पीकर और हाथ मुंह धो कर अपने गांव की ओर मुड़ा। चारों तरफ बाउंड्री लगी हुई, बीच में कोई इंडस्ट्री बसी हुई थी। बाउंड्री पत्थरों से दीवार बनाई गई थी इस पार से उस पार देख पाना मुमकिन नहीं था

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कत्ले गारत 26

18 जनवरी 2023
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मैं अपने गांव में था। जो अभी फिलहाल इंडस्ट्री में तब्दील हो गई थी। और मेरे अपने लोग यहां कोई नहीं था। मेरा अपना मकान भी नहीं था।मैंने गांव की मिट्टी को अपनी मुट्ठी में लिया दिल से लगा लिया। सच म

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कत्ले गारत 27

20 जनवरी 2023
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कामदारों से मुझे सिर्फ इतना ही पता चल सका था, कि वह अरबों पति लोग थे ।उनके पास पहुंचना मुश्किल काम था। मैं साइबर में बैठकर,इन लोगों का रिहायश, ऑफिस पता लगाना चाहता था। यूं तो वे लोग यहां भी

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कत्ले गारत 28

23 जनवरी 2023
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मार्गरेटा से टोपला बस्ती, ज्यादा दूर नहीं था। करीब 20 किलोमीटर का रास्ता था । ऑन द रोड।अगर मैं अपने घोड़े पर ही टोपला बस्ती पहुंचता तो, लोग यही समझते ,कि कोई बैंड बाजा बारात वाला ही होगा। जो किस

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कत्ले गारत 29

24 जनवरी 2023
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अंधेरी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। मगर टोपला बस्ती का यह एरिया ,रोशनी से जगमग आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हो। और कोठियों में जगमगा रहे हो।जहां मैं ठहरा था , रिस

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कत्ले गारत 30

25 जनवरी 2023
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मौसम इतना ठंडा नहीं था। फिर भी मैं अपने घोड़े को खुले छत में नहीं रख सकता था। रात को रुकने के लिए उसे भी छत चाहिए थी । घास चाहिए था ।और खाने के लिए दाना भी चाहिए था ।पानी भी चाहिए था। उसकी फिकर मुझे अ

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कत्ले गारत 31

29 जनवरी 2023
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अभिषेक ने जो कार्ड दिया था। उसमें सिर्फ उसका नाम और फोन नंबर लिखा हुआ था।और कहा था ।दो दिन बाद कॉल कर लेना। आज तीसरा दिन था। मैंने अभिषेक को कॉल किया था।अभिषेक निहायत ही शरीफ और ईमानदार शख्सियत था। और

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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023
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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा सा

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कत्ले गारत 33

31 जनवरी 2023
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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने लगती है।यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभ

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